नयी दिल्ली: कांग्रेसको उम्मीद है कि उच्चतम न्यायालय कॉलेजियम उत्तराखंड के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को उच्चतम न्यायालय का न्यायाधीश नियुक्त करने के अपने फैसले को जल्द ही दोहराएगा और फैसला टालने काबुधवारका निर्णय अस्थायी था. वहीं भाजपा ने कहा कि न्यायपालिका के कामकाज का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. भाकपा ने कॉलेजियम के फैसले को टाले जाने पर आरोप लगाया कि ‘‘ कुछ चल रहा है ‘ और यह दर्शाता है कि संकट अभी खत्म नहीं हुआ है बल्कि और गहरा गया है. कांग्रेस नेता कपिल सिब्बल ने कहा कि आशा है कि यह विलंब केवल अस्थायी है और कॉलेजियम जल्दी अपनी पूर्व की सिफारिश को दोहराएगा.
भाजपा नेता नलिन कोहली ने हालांकि कहा, ‘‘ हमारा विचार यह है कि न्यायपालिका की प्रक्रिया और कामकाज, उससे जुड़े मुद्दों का राजनीतिकरण नहीं किया जाना चाहिए. यह बहुत दुर्भाग्यपूर्ण है कि कुछ राजनीतिक दल और व्यक्ति लगातार ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं.’ भाकपा नेता डी राजा ने कहा कि अपने यहां राष्ट्रीय न्यायिक आयोग नहीं है. यह सब दर्शाता है कि संकट समाप्त नहीं हुआ है. उन्होंने कहा , ‘‘ कोई नहीं जानता है कि क्या हो रहा है. कोई पारदर्शिता नहीं है. सरकार ने पहले न्यायमूर्ति जोसेफ के नाम पर आपत्ति की थी. सरकार और न्यायपालिका के बीच कुछ चल रहा है. ‘
शीर्ष अदालत में अधिवक्ता कोहली ने कहा कि उच्चतम न्यायालय में पहुंचने वाले प्रत्येक न्यायाधीश अपने – आप में एक संस्था होते है और साथ मिलकर वह संस्था को प्रतिष्ठित बनाते हैं. भाजपा प्रवक्ता ने कहा कि कॉलेजियम की बैठकों और शीर्ष अदालत के कामकाज पर लगातार टिप्पणियां करने और उसमें ताक – झांक करने के कुछ राजनीतिक दलों और लोगों के प्रयास को उनके निर्णय को प्रभावित करने की कोशिश के रूप में भी देखा जा सकता है. जबकि यह संस्थाएं किसी की टीका – टिप्पणी के बिना भी अपना कामकाज कर सकती हैं. उल्लेखनीय है कि कॉलेजियम ने उत्तराखंड उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश केएम जोसेफ को पदोन्नति देकर शीर्ष अदालत का न्यायाधीश बनाने की अपनी सिफारिश पर पुन : विचार करने के विषय पर अपना निर्णय स्थगित कर दिया.