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Jagannath Rath Yatra 2023: कब है जगन्नाथ रथ यात्रा, जानें तिथि, समय और महत्व

Jagannath Rath Yatra 2023: पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे हिंदू भारत में मनाते हैं. यह पुरी, ओडिशा के अलावा भारत के अन्य शहरों में भी धूम धाम के साथ मनाया जाता है. इस दौरान बड़ी संख्या में लोग जुटते हैं और रथ को खींचते हैं. इस त्योहार को आम भाषा में रथ यात्रा भी कहा जाता है.

Jagannath Rath Yatra 2023: पुरी जगन्नाथ रथ यात्रा एक महत्वपूर्ण त्योहार है जिसे हिंदू भारत में मनाते हैं. यह पुरी, ओडिशा के अलावा भारत के अन्य शहरों में भी धूम धाम के साथ मनाया जाता है. इस त्योहार में एक भव्य जुलूस निकाला जाता है. जिसमें भगवान जगन्नाथ, उनके भाई बलभद्र और उनकी बहन सुभद्रा की मूर्तियों को रथ या रथ में ले जाना शामिल होता है, जिसे भक्तों द्वारा खींचा जाता है. यह त्योहार आषाढ़ मास (जून-जुलाई) में शुक्ल पक्ष की द्वितीया तिथि को होता है.

त्योहार में भाग लेने से सौभाग्य और आशीर्वाद

भक्तों का मानना है कि त्योहार में भाग लेने से सौभाग्य और आशीर्वाद मिलता है. ये त्योहार सभी क्षेत्रों के लोगों को एक साथ लाता है. इस त्योहाचर को रथ यात्रा भी कहा जाता है. बता दें कि रथ यात्रा के पहले ही रथ के सजावट का काम शुरू हो जाता है. और तीनों रथों को भक्तों द्वारा रस्सियों से खींचा जाता है.

45 फीट ऊंचा है भगवान जगन्नाथ का रथ

भगवान जगन्नाथ का रथ 45 फीट ऊंचा है, इसमें 16 पहिए हैं और इसका नाम नंदीघोष है. जबकि भगवान बलभद्र का रथ 14 पहियों वाला 45.6 फीट ऊंचा है और इसका नाम तालध्वज है. वहीं, माता सुभद्रा के रथ को देवदलन कहा जाता है और इसमें 12 पहिए होते हैं. यह 44.6 फीट ऊंचा है. जगन्नाथ रथ यात्रा पूरे 9 दिनों का उत्सव है.

Jagannath Rath Yatra 2023: कब है रथ यात्रा

2023 में जगन्नाथ रथ यात्रा 20 जून को रात 22:04 बजे शुरू होगी. इसकी समाप्ति 21 जून को रात 19:09 बजे होगी.

जगन्नाथ रथ यात्रा की रस्में

जगन्नाथ रथ यात्रा भगवान जगन्नाथ जी के मंदिर से 3 किमी दूर उनकी मौसी के घर तक की यात्रा की याद दिलाती है. आइए जानें इस त्योहार की कुछ रस्में:

  • रथों के निर्माण के साथ ही तैयारियां शुरू हो जाती हैं, भक्त जगन्नाथ, बलभद्र और सुभद्रा के लिए 3 विशाल रथों का निर्माण करते हैं.

  • रथ यात्रा के दिन, तीनों देवताओं की मूर्तियों को उनके मंदिरों से ले जाया जाता है और उनके रथों पर रखा जाता है. भक्त रथों को रस्सियों से खींचते हैं और देवता के नामों का जाप करते हैं.

  • पुरी की सड़कों पर रथा यात्रा को देखने के लिए दूर दराज से लोग जुटते है. इस दौरान शंख, ढोल और झांझ की आवाज से पूरा शहर गूंज उठता है.

  • रथ विभिन्न स्थानों पर रुकते हैं, जहां भक्त देवताओं का आशीर्वाद लेते हैं और उन्हें फल, मिठाई और फूल जैसी चीजे भेंट करते हैं.

  • रथ यात्रा को गुंडिचा मंदिर तक पहुंचने में एक दिन लगता है, और देवता यहां 7 दिनों तक रहते हैं. घर लौटने में उन्हें एक दिन का समय लगता है. यह यात्रा गुंडिचा यात्रा या नव दिन यात्रा (9-दिवसीय यात्रा), या घोसा यात्रा है.

  • 9वें दिन की वापसी यात्रा को बहुदा यात्रा कहा जाता है. इस वापसी यात्रा के दौरान, जगन्नाथ का रथ मौसी मां मंदिर (देवता की चाची) में रुकता है. इसके अलावा, देवता को पोडा पीठा, एक केक की पेशकश की जाती है जो उनका पसंदीदा है.

  • भक्त जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने से पहले खुद को शुद्ध करने के लिए महोदधि की पवित्र नदी में डुबकी लगाते हैं.

  • जगन्नाथ रथ यात्रा के दौरान लोग अपने बेहतरीन कपड़े और गहने पहनते हैं.

  • जगन्नाथ रथ यात्रा में भाग लेने और रथों को खींचने से जगन्नाथ का सौभाग्य और आशीर्वाद प्राप्त होता है.

Bimla Kumari
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I Bimla Kumari have been associated with journalism for the last 7 years. During this period, I have worked in digital media at Kashish News Ranchi, News 11 Bharat Ranchi and ETV Hyderabad. Currently, I work on education, lifestyle and religious news in digital media in Prabhat Khabar. Apart from this, I also do reporting with voice over and anchoring.

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