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क्‍यों #EmraanHashmi ने कहा- ”Serial Kisser” के तमगे को कब का भूल चुका हूँ…

इंदौर: फिल्म अभिनेता इमरान हाशमी ने आज कहा कि वह करियर के शुरुआती दौर में मिले ‘सीरियल किसर’ के तमगे को काफी पहले भूल चुके हैं और पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपनी इस पुरानी छवि से काफी अलग किरदार निभाये हैं. अपनी अगली फिल्म ‘बादशाहो’ के प्रचार के लिये यहां आये हाशमी ने कहा, […]

इंदौर: फिल्म अभिनेता इमरान हाशमी ने आज कहा कि वह करियर के शुरुआती दौर में मिले ‘सीरियल किसर’ के तमगे को काफी पहले भूल चुके हैं और पिछले कुछ सालों में उन्होंने अपनी इस पुरानी छवि से काफी अलग किरदार निभाये हैं. अपनी अगली फिल्म ‘बादशाहो’ के प्रचार के लिये यहां आये हाशमी ने कहा, ‘अपने करियर की शुरुआत में मुझे सीरियल किसर का तमगा मिला था. लेकिन मैं इस उपमा को काफी पहले भूल चुका हूं. जब खबरों में मेरे लिये इस उपमा का इस्तेमाल किया जाता है, तो मैं मुस्कुरा देता हूं और इससे मेरा मनोरंजन होता है.

उन्होंने मजाक में कहा, ‘मैं सोच रहा हूं कि अपनी आगामी फिल्मों के अनुबंध में यह शर्त जोड दूं कि अब मैं चुम्बन दृश्य नहीं करुंगा.’ विक्रम भट्ट की थ्रिलर फिल्म ‘फुटपाथ’ (2003) से अपने अभिनय करियर की शुरुआत करने वाले हाशमी ने कहा, ‘मीडिया की हेडलाइन में भले ही मेरे लिये ‘सीरियल किसर’ के तमगे का उपयोग किया जाता रहा हो. लेकिन आवारापन, जन्नत, वन्स अपॉन ए टाइम इन मुंबई और शंघाई जैसी फिल्मों में मेरी यह पुरानी छवि कहीं नजर नहीं आयी. मैंने अपने करियर में किसी खास रझान का अनुसरण नहीं किया है. मैंने लीक से हटकर रोल किये हैं.’

उन्होंने कहा, ‘जब आप 33 से 35 साल के आयु वर्ग में पहुंच जाते हैं, तो एक अभिनेता के तौर पर यह संक्रमण का दौर होता है और आपको पटकथाओं का चयन सोच-समझकर करना पडता है. यह वह दौर होता है, जब आप इतने जवान नहीं रहते कि वे भूमिकाएं निभा सकें जो आपने 15 साल पहले निभाई थीं. इस वक्त आप इतने बूढे भी नहीं होते कि एक पिता का किरदार निभा सकें. लेकिन मैं बतौर अभिनेता इस दौर को अच्छा मानता हूं, क्योंकि आप इसमें अलग-अलग किस्म के रोल चुन सकते हैं.’

हिन्दी फिल्मों में भाई-भतीजावाद को लेकर बहस गर्म होने के बारे में उन्होंने कहा, ‘हां, मैं फिल्म उद्योग से जुडे एक परिवार से ताल्लुक रखता हूं जिसकी वजह से मुझे अभिनय जगत में कदम रखने का मौका मिला. लेकिन मैं पिछले 14 साल से फिल्म उद्योग में भाई-भतीजावाद की वजह से नहीं टिका हुआ हूं. दर्शक यह सोचकर किसी अभिनेता के लिये बार-बार फिल्म का टिकट नहीं खरीदते कि वह फलां फिल्मकार का बेटा या भांजा है.’

उन्होंने कहा, ‘हिन्दी फिल्म उद्योग में जो लोग सबसे ज्यादा सफल हैं, उनके परिवार की कोई फिल्मी पृष्ठभूमि नहीं रही है. शाहरख खान और अमिताभ बच्चन जैसे अभिनेताओं ने अपने बलबूते पर खुद को इस उद्योग में स्थापित किया है.’ मशहूर गीतकार प्रसून जोशी के सेंसर बोर्ड का नया अध्यक्ष बनने पर हाशमी ने कहा, ‘वह एक समझदार शख्स हैं. मैं उम्मीद करुंगा कि वह उदार रहेंगे और उनके कार्यकाल में फिल्मों पर बेवजह कैंची नहीं चलायी जायेगी.’

Prabhat Khabar Digital Desk
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