बिहार के छपरा निवासी लेखक-निर्देशक सुबोध गांधी की पहली हिंदी फीचर फिल्म ‘डार्क जोन’ की शूटिंग अक्तूबर से शुरू हो रही है. लीगल फिल्म्स के बैनर तले बनने जा रही फिल्म डार्क जोन के निर्माता दिनकर कुमार भोलू का कहना है कि आज देश का कई हिस्सा नक्सल समस्याओं से प्रभावित है.
वहीं, निजी सेनाओं के बनने का सिलसिला आज भी जारी है. कौन है ये नक्सली या निजी सेना वाले? आखिर क्यों भटकाव के शिकार हो रहे है देश के युवा? इस सवाल का जवाब तलाशती यह फिल्म देश के युवाओं के लिए एक शिक्षाप्रद फिल्म होगी.
‘डार्क जोन’ फिल्म के निर्देशक सुबोध गांधी बताते हैं कि इस फिल्म की पटकथा पर उन्होंने लगभग तीन सालों से की है. इस पृष्ठभूमि से जुड़े कुछ वरिष्ठ पत्रकारों की मदद भी ली.
गांधी कहते हैं कि पत्रकारों की शोध रिपोर्ट पर आधारित इस फिल्म की पटकथा काफी रोमांचक है. यह दर्शकों को उद्वेलित भी करेगी और रोमांचित भी. इस फिल्म की कहानी का उद्देश्य है सिस्टम की उदासीनता से पनपे नक्सलियों और निजी सेनाओं की मुख्य समस्याओं को समाज के समक्ष रखना है.
क्योंकि सिनेमा मनोरंजन के साथ-साथ समाज का आइना है, अगर इसे साहित्य समझ कर शोधपरक और सार्थक फिल्म बनायी जाये तो सिनेमा समाज को नयी दिशा भी दे सकती है.
बता दें कि सुबोध गांधी पिछले पंद्रह वर्षों से फिल्म, टेलीफिल्म, सीरियल्स का लेखन कार्य कर रहे हैं. इनकी कहानी और पटकथा पर रवि किशन जैसे उम्दा कलाकारों ने भी काम किया है.
साथ ही सुबोध गांधी ने फिल्म डिवीजन की डॉक्युमेंट्री फिल्म पद्मश्री आशा पारीख एवं सिलकोसिस का लेखन कार्य भी किया है. अब इस फिल्म को बनाने की तैयारी जोर शोर से चल रही है.
रंजन सिन्हा की रिपोर्ट