वाशिंगटन : अमेरिकी रक्षा मंत्री एश्टन कार्टर का कहना है कि अमेरिका एशिया-प्रशांत क्षेत्र में शांति और स्थिरता बनाए रखने के लिए चीन और भारत का उदय चाहता है. कार्टर ने कल हार्वर्ड इंस्टीट्यूट ऑफ पॉलिटिक्स जेएफके जूनियर फोरम में दिए अपने संबोधन में कहा, ‘मैं उन लोगों में से नहीं हूं, जो चीन के साथ युद्ध, शीतयुद्ध या ऐसी किसी अन्य स्थिति में यकीन रखते हैं. यह निश्चित तौर पर वांछनीय नहीं है.’ उन्होंने कहा, ‘लेकिन आपको इस दुनिया में कुछ भी मुफ्त नहीं मिलता. हमें कुछ ऐसी स्थितियां बनानी पडती हैं, जिनके तहत बदलाव हो सकते हैं. इनमें एशिया प्रशांत क्षेत्र में बडा प्रभाव डालने वाला ऐसा बदलाव शामिल होना चाहिए, जो कि शांति और स्थिरता का संरक्षण करे.’
रक्षा मंत्री ने कहा, ‘70 साल तक की शांति और स्थिरता ने पहले जापान और फिर दक्षिण कोरिया, ताइवान, दक्षिणपूर्वी एशिया के उत्थान और समृद्धि को पोषित किया है. आज भारत और चीन का मौका है. यह अच्छा है. लेकिन ऐसा इसलिए हो सका है क्योंकि क्षेत्र में शांति और स्थिरता है.’ कार्टर ने कहा कि 70 साल के इतिहास का सबसे महत्वपूर्ण कारक क्षेत्र में अमेरिकी सैन्य शक्ति की अहम भूमिका रही है. कार्टर ने कहा कि अमेरिका इसे जारी रखना चाहता है.
उन्होंने कहा, ‘अब, चीन के उदय को रोकने का मसला नहीं है. बात इससे विपरीत है. हमारी ऐसी सोच कतई नहीं है. हमारा रुख तो यह है कि सभी का उत्थान हो. हम इससे संतुष्ट हैं. हमारी सोच हमेशा से समावेशी रही है, किसी को बाहर करने वाली नहीं. इसलिए वास्तव में हम चाहते हैं कि भारत और चीन का उदय हो.’ एक सवाल के जवाब में कार्टर ने यह भी कहा कि चीन को अपनी भूमिका निभानी चाहिए. उन्होंने कहा, ‘यदि चीनी लोग इस बात पर सोचें कि इस क्षेत्र में पिछले 70 साल में जो चीज कारगर साबित होती आयी है और जिसने चीन समेत सभी को उदय का अवसर दिया है. तो काफी लोग पाएंगे कि यह चीन के लिए अच्छा रहा है. चीन ऐसा खुद भी कर सकता है. वह लाखों लोगों को गरीबी से बाहर ला सकता है और कुछ इस तरह से विकसित हो सकता है जो कि चीन के लिए सौहार्दपूर्ण हो.’
उन्होंने कहा, ‘लेकिन आप शांति और सुरक्षा के इस माहौल को हल्के में भी नहीं ले सकते.’ कार्टर ने आरोप लगाया कि चीन दक्षिणी चीनी सागर में द्वीपों का निर्माण करता आया है और क्षेत्र पर एकपक्षीय दावे करता आया है. उन्होंने कहा, ‘अब वहां ऐसा करने वाला चीन अकेला नहीं रह गया. अन्य देश भी ऐसा ही कर रहे हैं. हम इसके खिलाफ हैं. चीन या किसी अन्य देश के द्वारा दावा करने का यह कोई तरीका नहीं है.’