।। दक्षा वैदकर।।
यार, इस चाय की दुकान में तो हमेशा ही भीड़ रहती है. इसका धंधा तो बढ़िया चल रहा है. हम भी चाय की दुकान ही खोल लेते हैं. कहां ये नौकरी-वौकरी के चक्कर में फंसे हैं.. यार मैं तो सोच रहा हूं कि खुद का ढाबा खोल लूं.. मैं तो कई सालों से सोच रहा हूं कि कुछ कंप्यूटर लगा कर एक साइबरकैफे खोल लूं.. इस तरह की बातें हम अकसर बोलते हैं, लेकिन इन सारी बातों को कभी साकार करने की हिम्मत नहीं जुटा पाते.
हम केवल दूसरे बिजनेसमैन को देखकर जलन करते हैं. खुद को कोसते हैं कि ये आठवीं पास व्यक्ति धंधा कर के मुझसे ज्यादा कमा रहा है और मैं इतना पढ़ा-लिखा होने के बावजूद मर-मर के काम कर रहा हूं और सैलरी भी इतनी कम है. इस हद तक क्रोधित होने के बावजूद वे कौन-सी चीजें हैं, जो हमें धंधा शुरू करने से रोकती हैं? क्यों हम एक्शन नहीं ले पाते? इस विषय पर मेरी एक मित्र से चरचा हुई. उसने बताया कि यह डर मेरे अंदर भी है. मुङो डर है कि मेरे पूरे खानदान में किसी ने बिजनेस नहीं किया. इसके बारे में मेरा अनुभव नहीं है. अगर मैं फेल हो गया तो? मैं अपनी जमा-पूंजी इस बिजनेस में लगा दूंगा और नुकसान हो गया तो?
अब सवाल यह उठता है कि इस डर को कैसे खत्म किया जाए? सबसे पहले इस बात का पता लगाएं कि कौन-सा काम आप सबसे अच्छे से करते हैं और जो आपको 24 घंटे भी करना पड़े तो आप बोर नहीं होंगे. जब आप यह जान लें, तो उसी चीज का बिजनेस शुरू करें. अब आप उसी चीज के बिजनेस करनेवाले लोगों से जुड़ें. उनसे मिलने-जुलने का सिलसिला बनाये रखें. उनसे उनके अनुभव पूछें. इस क्षेत्र से संबंधित बुक्स पढ़ें. इसके बावजूद भी आपको डर लग रहा हो, तो बेहतर है कि आप जो बिजनेस करना चाहते हैं, उसी बिजनेस को करनेवाली किसी कंपनी या किसी व्यक्ति से जुड़ जाएं. उसके साथ रह कर काम सीखें. छोटी-छोटी जिम्मेवारियां लेना भी शुरू कर दें. एक-दो साल में जब आपको यकीन हो जाए कि ये काम तो मैं भी अकेला कर सकता हूं, तब आप अपना बिजनेस शुरू करें.
बात पते की..
सफल उद्यमियों के इंटरव्यू पढ़ें. आपको पता चलेगा कि उन्होंने भी आप ही की तरह शुरुआत की थी. इंटरव्यू पढ़ कर आपको प्रेरणा मिलेगी.
इस पूरी प्रक्रिया में एक बात याद रखें. नकारात्मक बोलनेवाले लोगों से दूर रहें. जो लोग आपको मोटिवेट करें, केवल उन्हीं के साथ रहें.