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Rupees vs Dollar: रुपये में जोरदार गिरावट, अब तक के सबसे निचले स्तर 91.01 प्रति डॉलर पर बंद

Rupees vs Dollar: डॉलर के मुकाबले भारतीय रुपया अब तक के सबसे निचले स्तर 91.01 पर बंद हुआ है. भारत-अमेरिका व्यापार समझौते में अनिश्चितता और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी से रुपये पर दबाव बढ़ा है. कारोबार के दौरान रुपया 91.14 तक फिसला, जबकि पिछले कुछ सत्रों में इसमें तेज गिरावट देखी गई है.

Rupees vs Dollar: अंतरबैंक विदेशी मुद्रा बाजार में मंगलवार को भारतीय रुपया अमेरिकी डॉलर के मुकाबले बड़ी गिरावट के साथ बंद हुआ. रुपया 23 पैसे टूटकर 91.01 प्रति डॉलर के अब तक के सबसे निचले स्तर पर पहुंच गया. दिन के कारोबार में यह और भी फिसलकर 91.14 तक चला गया था. हालांकि, अंत में कुछ सुधार देखने को मिला. बाजार में यह गिरावट ऐसे समय आई है, जब भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर अनिश्चितता बनी हुई है और विदेशी पूंजी की लगातार निकासी हो रही है.

भारत-अमेरिका व्यापार समझौते से बढ़ा दबाव

विदेशी मुद्रा कारोबारियों के अनुसार, रुपये पर दबाव की सबसे बड़ी वजह भारत और अमेरिका के बीच व्यापार समझौते में कोई ठोस प्रगति न होना है. बाजार में यह खबर फैलते ही कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत के नए व्यापार प्रस्तावों को स्वीकार नहीं किया है, डॉलर की मांग और तेज हो गई. इससे निवेशकों का भरोसा कमजोर पड़ा और रुपये की विनिमय दर में तेज गिरावट दर्ज की गई.

कारोबार के दौरान दिखी भारी अस्थिरता

मंगलवार को रुपया 90.87 प्रति डॉलर पर खुला था. दिन के दौरान यह 90.76 से 91.14 के दायरे में कारोबार करता रहा. कारोबार के आखिरी सत्र में कुछ सुधार जरूर हुआ, लेकिन रुपया 91.01 पर ही बंद हुआ. इससे एक दिन पहले सोमवार को भी रुपया 29 पैसे टूटकर 90.78 के स्तर पर बंद हुआ था, जो उस समय तक का सर्वकालिक निचला स्तर था.

पिछले सत्रों में तेज गिरावट का सिलसिला

रुपया पिछले 10 कारोबारी सत्रों में लगातार कमजोर हुआ है और इस दौरान यह 90 के स्तर से फिसलकर 91 के पार चला गया. सिर्फ पिछले पांच सत्रों में ही रुपये में लगभग एक प्रतिशत की गिरावट दर्ज की गई है. बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि अगर मौजूदा हालात बने रहे, तो आने वाले दिनों में रुपये पर दबाव और बढ़ सकता है.

डॉलर कमजोर, फिर भी रुपये पर असर

वैश्विक स्तर पर अमेरिकी डॉलर कमजोर रहा और कच्चे तेल की कीमतों में भी भारी गिरावट दर्ज की गई. इसके बावजूद रुपये की गिरावट को रोका नहीं जा सका. डॉलर इंडेक्स 0.08 प्रतिशत गिरकर 98.23 पर रहा, जबकि अंतरराष्ट्रीय बाजार में ब्रेंट क्रूड करीब 1.78% टूटकर 59.48 डॉलर प्रति बैरल पर आ गया. आमतौर पर ऐसे हालात रुपये के लिए राहत लेकर आते हैं, लेकिन घरेलू कारकों ने इस बार असर को उलट दिया.

रुपये में जारी रह सकती है गिरावट

फिनरेक्स ट्रेजरी एडवाइजर्स एलएलपी के कार्यकारी निदेशक अनिल कुमार भंसाली के अनुसार, भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) के सक्रिय हस्तक्षेप के अभाव में रुपये की गिरावट जारी रह सकती है. उन्होंने कहा कि जब तक कोई ठोस व्यापार समझौता नहीं होता या आरबीआई की ओर से मजबूत कदम नहीं उठाए जाते, तब तक रुपया 92 के स्तर को भी पार कर सकता है. बाजार में सट्टेबाज भी डॉलर-रुपया जोड़ी को ऊपर ले जाने की कोशिश कर रहे हैं.

शेयर बाजार और विदेशी निवेश का असर

घरेलू शेयर बाजार में भी कमजोरी देखने को मिली. सेंसेक्स 533.50 अंक टूटकर 84,679.86 पर और निफ्टी 167.20 अंक गिरकर 25,860.10 पर बंद हुआ. शेयर बाजार के आंकड़ों के अनुसार, विदेशी संस्थागत निवेशकों ने एक दिन में 1,468.32 करोड़ रुपये के शेयर बेचे। विदेशी पूंजी की यह निकासी रुपये पर अतिरिक्त दबाव बना रही है.

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रुपये में जारी रहेगा उतार-चढ़ाव

विदेशी मुद्रा बाजार के जानकारों का मानना है कि निकट भविष्य में रुपये में उतार-चढ़ाव बना रह सकता है. अगर व्यापार समझौते को लेकर सकारात्मक संकेत नहीं मिले और विदेशी निवेश की वापसी नहीं हुई, तो रुपये की कमजोरी और गहराने की आशंका है. ऐसे में निवेशकों और आयातकों की नजर अब 92 के मनोवैज्ञानिक स्तर पर टिकी हुई है.

भाषा इनपुट के साथ

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KumarVishwat Sen
KumarVishwat Sen
कुमार विश्वत सेन प्रभात खबर डिजिटल में डेप्यूटी चीफ कंटेंट राइटर हैं. इनके पास हिंदी पत्रकारिता का 25 साल से अधिक का अनुभव है. इन्होंने 21वीं सदी की शुरुआत से ही हिंदी पत्रकारिता में कदम रखा. दिल्ली विश्वविद्यालय से हिंदी पत्रकारिता का कोर्स करने के बाद दिल्ली के दैनिक हिंदुस्तान से रिपोर्टिंग की शुरुआत की. इसके बाद वे दिल्ली में लगातार 12 सालों तक रिपोर्टिंग की. इस दौरान उन्होंने दिल्ली से प्रकाशित दैनिक हिंदुस्तान दैनिक जागरण, देशबंधु जैसे प्रतिष्ठित अखबारों के साथ कई साप्ताहिक अखबारों के लिए भी रिपोर्टिंग की. 2013 में वे प्रभात खबर आए. तब से वे प्रिंट मीडिया के साथ फिलहाल पिछले 10 सालों से प्रभात खबर डिजिटल में अपनी सेवाएं दे रहे हैं. इन्होंने अपने करियर के शुरुआती दिनों में ही राजस्थान में होने वाली हिंदी पत्रकारिता के 300 साल के इतिहास पर एक पुस्तक 'नित नए आयाम की खोज: राजस्थानी पत्रकारिता' की रचना की. इनकी कई कहानियां देश के विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुई हैं.

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