इसके अलावा यदि नियमानुसार नौकरी की मियाद पूरी की गयी तो रिटायरमेंट के लाभ आदि मिलेंगे कि नहीं,कुछ भी तय नहीं है. तत्कालीन माकपा सरकार के समय राज्य शिक्षा विभाग की एक लापरवाही इन 28 शिक्षकों और ग्रुप डी 14 कर्मचारियों पर अब भारी पड़ रहा है. अपने भविष्य को लेकर चिंतित यह सभी प्राथमिक शिक्षा काउंसिल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वहां से भी समस्या समाधान की उम्मीद नहीं दिख रही है.
एक तो सिलीगुड़ी प्राथमिक विद्यालय काउंसिल ने प्रति विद्यालय पांच शिक्षक और दो ग्रुप डी कर्मचारी के हिसाब से कागजात भेजा और तत्कालीन शिक्षा विभाग अधिकारियों ने बिना कुछ देखे ही नियुक्ति कर दी. राज्य शिक्षा विभाग की ओर से की गयी लापरवाही का परिणाम इन शिक्षकों और ग्रुप डी कर्मचारियों भुगतना पड़ रहा है. ये 42 लोग अपना भविष्य सुधारने के लिये प्राथमिक काउंसिल का चक्कर तो काट रहे हैं,लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं आ रहा है. वैसे इन शिक्षकों को वर्तमान में मासिक वेतन आदि दिये जा रहे हैं. ऐसे माना जा यह जा रहा है कि नौकरी से रिटायरमेंट के बाद इन्हें काफी परेशानी का सामना करना होगा. नियमानुसार इन 42 शिक्षको व ग्रुप डी कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए. जानकारों के मुताबिक राज्य शिक्षा विभाग के सामने इन गलती को सुधारने के दो रास्ते हैं. या तो इन 42 कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया जाये या फिर इनकी नियुक्ति के लिये फिर से अधिसूचना जारी हो. समस्या यह है कि सात साल से अधिक नौकरी करने के बाद शिक्षा विभाग इन 42 कर्मचारियों को किस आधार पर सेवा से हटायेगी, इसे लेकर एक विवाद पैदा हो रहा है.