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राज्य शिक्षा विभाग की लापरवाही से कई शिक्षक परेशान

सिलीगुड़ी. राज्य शिक्षा विभाग की लापरवाही का मामला फिर से एक बार सामने आया है. सिलीगुड़ी शिक्षा जिला प्राथमिक विद्यालय काउंसिल के अंतर्गत विभिन्न विद्यालय में वर्ष 2009 से कार्यरत कुल 42 शिक्षकों का भविष्य अंधकार में है. उन्हें मासिक वेतन तो मिल रहा है लेकिन यह नौकरी कब तक रहेगी,यह तय नहीं है. इसके […]

सिलीगुड़ी. राज्य शिक्षा विभाग की लापरवाही का मामला फिर से एक बार सामने आया है. सिलीगुड़ी शिक्षा जिला प्राथमिक विद्यालय काउंसिल के अंतर्गत विभिन्न विद्यालय में वर्ष 2009 से कार्यरत कुल 42 शिक्षकों का भविष्य अंधकार में है. उन्हें मासिक वेतन तो मिल रहा है लेकिन यह नौकरी कब तक रहेगी,यह तय नहीं है.

इसके अलावा यदि नियमानुसार नौकरी की मियाद पूरी की गयी तो रिटायरमेंट के लाभ आदि मिलेंगे कि नहीं,कुछ भी तय नहीं है. तत्कालीन माकपा सरकार के समय राज्य शिक्षा विभाग की एक लापरवाही इन 28 शिक्षकों और ग्रुप डी 14 कर्मचारियों पर अब भारी पड़ रहा है. अपने भविष्य को लेकर चिंतित यह सभी प्राथमिक शिक्षा काउंसिल कार्यालय का चक्कर लगा रहे हैं. वहां से भी समस्या समाधान की उम्मीद नहीं दिख रही है.

उल्लेखनीय है कि वर्ष 2009 में राज्य के साथ ही सिलीगुड़ी जिला शिक्षा प्राथमिक विद्यालय काउंसिल कार्यालय के अंतर्गत भी शिक्षकों की नियुक्ति राज्य शिक्षा विभाग की ओर से की गयी थी. तब राज्य में वाम मोरचा का शासन था. विभागीय सूत्रों से मिली जानकारी के अनुसार वर्ष 2009 में कुछ स्कूलों के अपग्रेडेशन के साथ 14 नये स्कूल भी बनाये गये. इन स्कूलों में नियुक्ति किये जाने की अधिसूचना राज्य शिक्षा विभाग की ओर से जारी की गयी थी. इसके मुताबिक इन 14 स्कूलों में से प्रत्येक में तीन शिक्षक और एक ग्रुप डी कर्मचारी की नियुक्ती होनी थी. लेकिन यहां तीन के बदले पांच शिक्षक और एक के बदले दो ग्रुप डी कर्मचारियों की नियुक्ति कर दी गयी. इस हिसाब से इन 14 स्कूलों में से प्रत्येक में दो शिक्षक और एक ग्रुप डी कर्मचारी की नियुक्ति राज्य शिक्षा विभाग द्वारा जारी अधिसूचना से बाहर की गयी. मिली जानकारी के मुताबिक सिलीगुड़ी जिला शिक्षा प्राथमिक काउंसिल कार्यालय के साथ राज्य शिक्षा विभाग ने भी इस मामले में काफी लापरवाही बरती है.

एक तो सिलीगुड़ी प्राथमिक विद्यालय काउंसिल ने प्रति विद्यालय पांच शिक्षक और दो ग्रुप डी कर्मचारी के हिसाब से कागजात भेजा और तत्कालीन शिक्षा विभाग अधिकारियों ने बिना कुछ देखे ही नियुक्ति कर दी. राज्य शिक्षा विभाग की ओर से की गयी लापरवाही का परिणाम इन शिक्षकों और ग्रुप डी कर्मचारियों भुगतना पड़ रहा है. ये 42 लोग अपना भविष्य सुधारने के लिये प्राथमिक काउंसिल का चक्कर तो काट रहे हैं,लेकिन उनके हाथ कुछ भी नहीं आ रहा है. वैसे इन शिक्षकों को वर्तमान में मासिक वेतन आदि दिये जा रहे हैं. ऐसे माना जा यह जा रहा है कि नौकरी से रिटायरमेंट के बाद इन्हें काफी परेशानी का सामना करना होगा. नियमानुसार इन 42 शिक्षको व ग्रुप डी कर्मचारियों की नियुक्ति नहीं होनी चाहिए. जानकारों के मुताबिक राज्य शिक्षा विभाग के सामने इन गलती को सुधारने के दो रास्ते हैं. या तो इन 42 कर्मचारियों को सेवा से हटा दिया जाये या फिर इनकी नियुक्ति के लिये फिर से अधिसूचना जारी हो. समस्या यह है कि सात साल से अधिक नौकरी करने के बाद शिक्षा विभाग इन 42 कर्मचारियों को किस आधार पर सेवा से हटायेगी, इसे लेकर एक विवाद पैदा हो रहा है.

क्या कहती हैं डीआइ
इस संबंध में सिलीगुड़ी जिला शिक्षा प्राथमिक विद्यालय निरीक्षक (डीआइ)और प्रभारी चेयरमैन विजय लक्ष्मी पाल ने बताया कि गलती तो शिक्षा विभाग से हुयी है. इतने दिन कार्यरत रहने के बाद इन कर्मचारियों को हटाना भी मुश्किल है. इसलिये उन्होंने राज्य शिक्षा विभाग से एक मेमो जारी कर इन्हें आधाकारिक रूप से कर्मचारी की मान्यता देने का अनुरोध भेजा है. उन्होंने कहा कि प्रभावित शिक्षक इस मामले को लेकर बार-बार उनके पास आते हैं. शिक्षा विभाग से आवेदन करने के अलावा उनके पास और कोई चारा नहीं है, जो उन्होंने काफी पहले ही कर दिया है. यही आश्वासन देकर वह शिक्षकों को विदा भी करती हैं.

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