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शहर के आसपास बढ़ती आवासीय योजनाओं से बढ़ी चिंता

सिलीगुड़ी. कभी सिलीगुड़ी शहर अपनी हरियाली के लिए जाना जाता था. बढ़ती आबादी के दबाव में शहर के भीतर से हरियाली सिमटती गयी और उनकी जगह पर अपार्टमेंट खड़े होते गये. इसके बावजूद शहर के आसपास का इलाका हरा-भरा बना रहा. पर अब इस पर भी आफत दिख रही है. नगर निगम क्षेत्र से बाहर […]

सिलीगुड़ी. कभी सिलीगुड़ी शहर अपनी हरियाली के लिए जाना जाता था. बढ़ती आबादी के दबाव में शहर के भीतर से हरियाली सिमटती गयी और उनकी जगह पर अपार्टमेंट खड़े होते गये. इसके बावजूद शहर के आसपास का इलाका हरा-भरा बना रहा. पर अब इस पर भी आफत दिख रही है. नगर निगम क्षेत्र से बाहर के इलाकों में भी पेड़-पौधे तेजी से खत्म हो रहे हैं और उनकी जगह कंक्रीट का जंगल उग रहा है. शहर से लगे ग्रामीण इलाकों में पर्यावरण विभाग के नियमों का खुलेआम मजाक बनाया जा रहा है. हाल ही में सिलीगुड़ी महकमा परिषद की एक बैठक में इसे लेकर गहरी चिंता जतायी गयी.

सिलीगुड़ी नगर निगम के दायरे से बाहर, ग्रामीण इलाकों में पिछले कई सालों से अनेक आवासीय परियोजनाओं का निर्माण कार्य चल रहा है. कुछ परियोजनाएं तो इतनी बड़ी हैं कि प्रत्येक में 700 से 800 परिवार रहेंगे. पर्यावरण विभाग ने अपनी चिंता जाहिर करते हुए महकमा परिषद को बताया है कि इन परियोजनाओं में आबादी के हिसाब से न तो खुली जगह है और ना ही हरियाली. इसके इतने सारे परिवारों के लिए बड़ी मात्रा में पानी की जरूरत होगी.

वहां पेयजल आपू्र्ति की कोई व्यवस्था है नहीं, तो ऐसे में पानी जमीन में बोरिंग करके ही निकाला जायेगा. इतने बड़े पैमाने पर भू-गर्भीय जल के दोहन से बड़ा संकट पैदा हो सकता है. आसपास की खेतिहर जमीन और बस्तियों के लिए पानी की समस्या भीषण रूप ले सकती है. जिन आवासीय परियोजनाओं का निर्माण चल रहा है, उनमें वर्षा जल संरक्षण (वाटर हार्वेस्टिंग) के लिए कोई संरचना तैयार नहीं की गयी है.

इनमें जल निकासी का भी कोई इंतजाम नहीं किया गया है. यहां से निकलनेवाला गंदा पानी आसपास के क्षेत्रों में गंदगी फैलायेगा, जिससे मच्छर-मक्खियों की संख्या बढ़ेगी और बीमारी फैलेगी. पर्यावरण विभाग की इस चिंता से महकमा परिषद हरकत में आया है. परिषद ने जिला इंजीनियर को इस पूरे मामले को देखने को कहा है. महमा परिषद के अध्यक्ष तापस सरकार ने बताया कि पर्यावरण विभाग के अधिकारियों ने उन्हें अपनी चिंता से वाकिफ कराया है. इन अधिकारियों का कहना है कि ग्रामीण इलाकों में बिना जरूरी इंतजाम किये जितने बड़े पैमाने पर आवासीय योजनाएं बन रही हैं वे भविष्य में बड़ी परेशानी का सबब बन सकती हैं. इनकी वजह से आसपास का पर्यावरण दूषित हो सकता है.

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