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समस्या सुलझाने में हस्तक्षेप करें मुख्यमंत्री, सरकार को अंधेरे में रख रहे हैं अधिकारी
सिलीगुड़ी : एक और जहां राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल दौरे पर सोमवार को बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंची वहीं दूसरी ओर बागडोगरा से थोड़ी ही दूरी बैंगडुबी में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर चाय श्रमिक प्रदर्शन करने में लगे हुए थे. इनमें न्यूनतम मजदूरी तय करने तथा राशन व्यवस्था फिर से चालू करने की […]
सिलीगुड़ी : एक और जहां राज्य की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी उत्तर बंगाल दौरे पर सोमवार को बागडोगरा एयरपोर्ट पहुंची वहीं दूसरी ओर बागडोगरा से थोड़ी ही दूरी बैंगडुबी में अपनी विभिन्न मांगों को लेकर चाय श्रमिक प्रदर्शन करने में लगे हुए थे. इनमें न्यूनतम मजदूरी तय करने तथा राशन व्यवस्था फिर से चालू करने की मांग प्रमुख है. काफी संख्या में चाय श्रमिक आज चाय श्रमिकों के 29 ट्रेड यूनियन संगठन के जॉइंट फोरम के बैनर तले तराई ब्रांच ऑफ इंडियन टी एसोसिएशन के कार्यालय पहुंचे और वहां विरोध प्रदर्शन करने लगे. इसके अलावा चाय श्रमिकों ने मेडिकल कॉलेज इलाके में स्थित टी एसोसिएशन ऑफ इंडिया के कार्यालय में भी विरोध प्रदर्शन किया.
चाय श्रमिक न्यूनतम मजदूरी 360 रूपये तय करने की मांग कर रहे हैं. इसके साथ ही जमीन का पट्टा देने, सभी चाय श्रमिकों के बीमा करने आदि की मांग भी रखी है. चाय श्रमिकों ने मुख्य रूप से मुख्यमंत्री ममता बनर्जी से इस मामले में हस्तक्षेप की मांग की है. इनका कहना है कि यदि मुख्यमंत्री ममता बनर्जी इस मामले में हस्तक्षेप करें तो 1 बैठक में ही समस्या का समाधान हो जाएगा. न्यूनतम मजदूरी को लेकर इतनी बैठक नहीं करनी पड़ेगी. यहां उल्लेखनीय है कि चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी को लेकर पिछले 2 साल में कई दौर की बैठक हो चुकी है.
इस समस्या का समाधान नहीं निकला है. चाय श्रमिकों ने मुख्यमंत्री से इस मामले में हस्तक्षेप की अपील की है. विरोध प्रदर्शन के बाद संवाददाताओं से बातचीत करते हुए श्री चक्रवर्ती ने आगे कहा कि एक-डेढ़ सौ साल से भी अधिक समय से चाय श्रमिक चाय बागान इलाके में रह रहे हैं. लेकिन अब तक उन्हें जमीन का पट्टा नहीं मिला है.
दूसरी ओर पीउब्ल्यूडी तथा रेलवे की जमीन पर जबरिया कब्जा कर जो लोग रह रहे हैं उनको भी सरकारी योजनाओं में घर आदि बनाने में सहायता दी जा रही है. दूसरी और शांतिप्रिय चाय श्रमिक को घर देने की कोई व्यवस्था नहीं की जा रही है. कई बार राज्य सरकार से पट्टा देने की मांग की गई. इससे पहले राज्य में वाम मोर्चा की सरकार थी तब भी चाय श्रमिकों को पट्टा देने की मांग की गई थी. वर्तमान में तृणमूल कांग्रेस सरकार से भी पट्टा देने की मांग की जा रही है. तमाम सरकारों ने सिर्फ आश्वासन दिया.
जमीन का पट्टा अब तक किसी भी दल के सरकार ने देने की कोई पहल नहीं की. उन्होंने आगे कहा कि चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी भी नहीं बढ़ाई जा रही है.सिर्फ अंतरिम देने की घोषणा की गई है. चाय श्रमिकों को अंतरिम भत्ता नहीं बल्कि न्यूनतम मजदूरी चाहिए. पड़ोसी राज्य असम के चाय श्रमिकों की स्थिति हमारे राज्य के चाय श्रमिकों से काफी अच्छी है. वहां के चाय श्रमिकों की दैनिक मजदूरी 287 रूपये है. जबकि यहां के चाय श्रमिक काफी कम पैसे में काम कर रहे हैं. वहां की सरकार ने चाय श्रमिकों के लिए जीवन बीमा तक की व्यवस्था कर दी है. राज्य सरकार जीवन बीमा का प्रीमियम देती है.
दूसरी और पश्चिम बंगाल में ऐसी कोई व्यवस्था नहीं है. श्री चक्रवर्ती ने कहा कि यदि मुख्यमंत्री चाहें तो 1 दिन के अंदर इस समस्या का समाधान हो सकता है .उन्होंने अधिकारियों पर मुख्यमंत्री को अंधेरे में रखने का आरोप लगाया. उन्होंने कहा कि संबंधित अधिकारी राज्य के श्रम मंत्री तथा मुख्यमंत्री को सही जानकारी नहीं दे रहे हैं. इसी वजह से चाय श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी तय किए जाने का मामला अब तक अटका हुआ है. यदि मुख्यमंत्री इस मामले में हस्तक्षेप करें तो तत्काल समस्या का समाधान हो जाएगा.
समाधान नहीं तो 23 से तीन दिन हड़ताल
श्री चक्रवर्ती ने चाय बागान मालिकों को इस महीने की 23 तारीख तक का अल्टीमेटम दिया है. उन्होंने कहा है कि यदि इस तिथि तक न्यूनतम मजदूरी तय नहीं हो जाती तो 23 तारीख से तीन दिवसीय चाय उद्योग में हड़ताल किया जाएगा. चाय श्रमिकों के सामने हड़ताल के अलावा और कोई रास्ता नहीं है. आज विरोध प्रदर्शन के मौके पर जॉइंट फोरम में शामिल विभिन्न ट्रेड यूनियन संगठन के नेता तथा भारी संख्या में चाय श्रमिक भी उपस्थित थे.
बागान मालिकों के खिलाफ खोला मोर्चा
इंटक नेता आलोक चक्रवर्ती ने कहा कि यहां चाय बागानों की स्थिति काफी खराब है. 17 चाय बागान बंद पड़े हुए हैं. इन चाय बागानों को खोलने की मांग मालिकों से की गई है. इसके अलावा ना तो श्रमिकों की न्यूनतम मजदूरी निर्धारित की गई है और ना ही राशन व्यवस्था फिर से चालू किया गया है. इन दोनों मामलों में तत्काल निर्णय लेने की मांग सरकार और बागान मालिकों से की गई. बागान मालिकों को ज्ञापन दिया गया है.
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