14.1 C
Ranchi

BREAKING NEWS

Advertisement

सिलीगुड़ी की रीमा का चेन्नई में सफल फेफड़ा प्रत्यारोपण

सिलीगुड़ी/कोलकाता. कहते हैं कि पूरी शिद्दत से अगर प्रयास किया जाये तो कायनात उसे पूरा करने की कोशिश में लग जाती है. डॉक्टरों का अथक प्रयास व घरवालों की आस ने 38 वर्षीय रीमा अग्रवाल को नयी सांसें दी हैं. रीमा पिछले पांच वर्षों पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रही थी. इस बीमारी के कारण फेफड़ा […]

सिलीगुड़ी/कोलकाता. कहते हैं कि पूरी शिद्दत से अगर प्रयास किया जाये तो कायनात उसे पूरा करने की कोशिश में लग जाती है. डॉक्टरों का अथक प्रयास व घरवालों की आस ने 38 वर्षीय रीमा अग्रवाल को नयी सांसें दी हैं. रीमा पिछले पांच वर्षों पल्मोनरी फाइब्रोसिस से जूझ रही थी. इस बीमारी के कारण फेफड़ा मोटा,कड़ा व सूख गया था जिसके कारण उनके दोनों फेफड़े ठीक तरह से कार्य नहीं कर पा रहे थे. इस बीमारी के कारण उसे हर रोज करीब आठ लीटर ऑक्सीजन लेना पड़ता था.
सिलीगुड़ी की रहनेवाली रीमा के पति राजेश अग्रवाल इलाज के लिए कोलकाता के कई बड़े अस्पतालों के चिकित्सक से मुलाकात कर चुके थे. यहां तक की उन्होंने महानगर एक सुप्रसिद्ध होमियोपैथी के चिकित्सक से भी मिल चुके थे. इलाज न होने पर राजेश अपनी पत्नी को लेकर मुंबई पहुंचे. मुंबई के एक बड़े निजी अस्पताल में उनका इलाज शुरू हुआ लेकिन स्वस्थ होने की बजाय रीमा की तबीयत खराब होती जा रही थी. अब उनके लिए फेफड़े का प्रत्यारोपण ही एक मात्र उपाय शेष था. चिकित्सकों ने रीमा को दो से तीन महीने का अल्टीमेटम भी दे दिया था. प्रत्यारोपण नहीं होने पर रीमा की मौत निश्चित थी. इसके लिए चिकित्सकों ने राजेश को विदेश जाने की सलाह दी लेकिन उन्हें यह कहा कि फेफड़े के प्रत्यारोपण के लिए विदेशों में भी काफी लंबी वेटिंग लिस्ट चल रही है. यानी रीमा के लिए करीब सभी रास्ते बंद हो गये थे. मुंबई से पहले इलाज के सिलसिले में राजेश अपनी पत्नी को लेकर दिल्ली भी गये थे.
गूगल सर्च इंजन ने दिखायी राह
फेफड़े का प्रत्यारोपण काफी जटिल कार्य है. भारत में गिने-चुने अस्पतालो‍ं में ही यह होता है. तीन महानगरों में समस्या के समाधान नहीं होने से निराश होने के बावजूद राजेश ने प्रयास करना नहीं छोड़ा. उन्होंने गूगल सर्च इंजन पर भारत में फेफड़ा प्रत्यारोपण करनेवाले अस्पतालों की खोज शुरू की. इसी दौरान चेन्नई के ग्लेनिग्लस ग्लोबल हेल्थ सिटी के विषय में जानकारी मिली. उन्होंने तुरंत चेन्नई हेल्थ सिटी के निदेशक डॉ संदीप अत्तावर से मुलाकाता की. 24 अप्रैल 2017 को रीमा के स्वास्थ्य जांच के बाद उसे प्रत्यारोपण के लिए स्वस्थ्य बताया. इसके बाद चार जुलाई को रीमा के दोनो फेफड़ों का प्रत्यारोपण किया.
क्या कहते हैं डॉक्टर
डॉ संदीप अत्तावर की देखरेख में करीब 50 चिकित्सक कर्मियों की टीम के अथम प्रयास की वजह से प्रत्यारोपण संभव हो पाया. डॉ अत्तावर ने बताया कि पल्मोनरी फाइब्रोसिस से भारत के करीब 80 फीसदी लोग ग्रसित हैं. चार जुलाई को सर्जरी की गयी जो करीब छह घंटे तक चली. सर्जरी के करीब तीन सप्ताह बाद रीमा पूरी तरह से स्वस्थ हो गयी. अब वह पूरी तरह से स्वस्थ्य है. मरीज को बाहर से ऑक्सीजन लेने की आवश्यता नहीं पड़ती है. डॉक्टर ने दावा किया कि बंगाल के किसी मरीज का पहली बार यहां फेफड़ा प्रत्यारोपण किया गया. वहीं अस्पताल में 2011 से अब तक करीब 75 फेफड़ों को प्रत्यारोपण किया गया है.

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

Advertisement

अन्य खबरें

ऐप पर पढें