कोलकाता : पश्चिम बंगाल भाजपा के नेता राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाने के खिलाफ हैं क्योंकि उनका मानना है कि इससे लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर उल्टा असर पड़ेगा. वहीं, तृणमूल सरकार ने चिटफंड घोटाले की सीबीआई जांच को लेकर केंद्र सरकार के खिलाफ आंदोलन छेड़ रखा है.
भाजपा के नेताओं ने मंगलवार को कहा कि अगर, केंद्र ने लोकसभा चुनावों से पहले राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाया तो सत्तारूढ़ तृणमूल कांग्रेस नेत्री ममता बनर्जी अन्याय का रोना रोकर सहानुभूति वोट हासिल कर लेंगी. राज्य भाजपा के एक वरिष्ठ नेता ने नाम उजागर नहीं करने की शर्त पर बताया, अगर आप राज्य नेतृत्व का विचार जानना चाहते हैं तो मैं केवल इतना ही कहूंगा कि राज्य इकाई राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के पक्ष में नहीं है. भाजपा के एक अन्य नेता ने कहा कि तृणमूल कांग्रेस का राज्य में तेजी से जनाधार घट रहा है. नेता ने कहा, इस तरह की स्थिति में अगर राष्ट्रपति शासन लगाया जाता है तो तृणमूल कांग्रेस बदले की राजनीति का बहाना करेगी और सहानुभूति वोट हासिल कर लेगी. हम ऐसा क्यों होने दें? उन्होंने कहा कि पश्चिम बंगाल के लोग स्वभावत: उस पार्टी को वोट करते हैं जो केंद्र सरकार का विरोध करती है.
केंद्र और तृणमूल कांग्रेस सरकार के बीच रविवार को उस समय संघर्ष हो गया जब मुख्यमंत्री ममता बनर्जी चिटफंड घोटाला मामले में कोलकाता पुलिस प्रमुख से सीबीआई की पूछताछ के प्रयास के विरोध में धरना पर बैठ गयीं. इसके बाद राज्य में राष्ट्रपति शासन लगाये जाने के कयास शुरू हो गये. राज्य भाजपा के नेताओं ने कहा कि उन्होंने इस बारे में स्पष्ट रूप से केंद्रीय नेतृत्व को अवगत करा दिया है कि राष्ट्रपति शासन लगाने से न केवल टीएमसी को फायदा मिलेगा, बल्कि लोकसभा चुनावों में पार्टी की संभावनाओं पर इसका विपरीत असर होगा.