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दुर्गापुर में तृणमूल महिला सम्मेलन, वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने माकपा और केंद्र सरकार पर बोला हमला

कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य उपस्थित थीं.

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महिलाओं से सरकार की योजनाओं को जमीन तक पहुंचाने की अपील

दुर्गापुर. रविवार को शहर के बेनाचिटी स्थित आनंद धारा में तृणमूल कांग्रेस के एक नंबर ब्लॉक महिला संगठन की ओर से महिला सम्मेलन का आयोजन किया गया. कार्यक्रम में मुख्य रूप से राज्य की वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य उपस्थित थीं. उनके साथ पंचायत, ग्रामीण विकास एवं सहकारिता मंत्री प्रदीप मजूमदार, जिला तृणमूल अध्यक्ष नरेंद्रनाथ चक्रवर्ती, महिला तृणमूल अध्यक्ष असीमा चक्रवर्ती, एसबीएसटीसी चेयरमैन सुभाष मंडल और तृणमूल नेता प्रभात चटर्जी समेत अन्य गणमान्य नेता उपस्थित रहे.

कार्यक्रम के तहत महिला तृणमूल कार्यकर्ताओं से अपील की गयी कि वे अपने-अपने क्षेत्रों में जाकर महिलाओं को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं की जानकारी दें और यदि किसी महिला को कोई समस्या हो तो प्रशासन को सूचित कर उनके समाधान में सहयोग करें.

राजनीतिक हमले में माकपा और महिला आयोग पर निशाना

मीडिया से बातचीत के दौरान वित्त मंत्री चंद्रिमा भट्टाचार्य ने माकपा की ब्रिगेड रैली पर तंज कसते हुए कहा कि माकपा अब राज्य में “बी-ग्रेड पार्टी ” बनकर रह गयी है. उन्होंने कहा कि “दुर्गापुर आते समय माकपा के 10-12 बसें सड़क से गुजरती दिखीं. बसों पर झंडे तो थे, लेकिन लोग नहीं थे. यह सब कर के क्या होगा?” उन्होंने आरोप लगाया कि माकपा अब भाजपा की ‘बी टीम’ बन चुकी है और राष्ट्रीय स्तर पर पूरी तरह खत्म हो चुकी है.

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी पर कटाक्ष करते हुए उन्होंने कहा कि “अगर हम आयुष्मान भारत योजना राज्य में लागू कर लेते तो कार्ड पर प्रधानमंत्री की तस्वीर होती, जिनकी दाढ़ी कभी लंबी, कभी मध्यम और कभी एकदम साफ हो जाती है. जबकि बंगाल की स्वास्थ्य साथी योजना के कार्ड पर ममता बनर्जी की नहीं, कार्डधारक की मां या सास की तस्वीर होती है. ”

वित्त मंत्री ने राष्ट्रीय महिला आयोग पर भी हमला बोलते हुए कहा कि “महिला आयोग का इस तरह से पक्षपातपूर्ण रवैया नहीं होना चाहिए. प्रधानमंत्री के लोकसभा क्षेत्र वाराणसी में 19 वर्षीय युवती के साथ गैंगरेप की घटना हुई, वहां 13 लोगों को गिरफ्तार किया गया, 10 अभी भी लापता हैं, युवती को हेपेटाइटिस बी है, फिर भी वहां महिला आयोग नहीं गया. मणिपुर में इतनी बड़ी-बड़ी घटनाएं हुईं, वहां न मानवाधिकार आयोग दिखा, न महिला आयोग. लेकिन बंगाल में वे जब चाहें आ जाते हैं, क्योंकि बंगाल में लोकतंत्र है. “

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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