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इसीएल को मिलेगी सहायता

प्रतिबद्धता. सीपी ने हाइकोर्ट को शपथपत्र देकर किया आश्वस्त आसनसोल : पुलिस आयुक्त लक्ष्मी नारायण मीणा ने कलकत्ता हाइ कोर्ट को आश्वस्त किया है कि कोल इंडिया खासकर इसीएल के स्तर से मांगी गयी हर सहायता पर पर्याप्त पुलिस सहायता उपलब्ध करायी जायेगी. सनद रहे कि वर्ष 2009 में दायर लोकहित याचिका से संबंधित एक […]

प्रतिबद्धता. सीपी ने हाइकोर्ट को शपथपत्र देकर किया आश्वस्त
आसनसोल : पुलिस आयुक्त लक्ष्मी नारायण मीणा ने कलकत्ता हाइ कोर्ट को आश्वस्त किया है कि कोल इंडिया खासकर इसीएल के स्तर से मांगी गयी हर सहायता पर पर्याप्त पुलिस सहायता उपलब्ध करायी जायेगी. सनद रहे कि वर्ष 2009 में दायर लोकहित याचिका से संबंधित एक शिकायत में हाइकोर्ट ने पुलिस आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगा था.
क्या है पृष्टभूमि: वर्ष 2009 में कलकत्ता हाइकोर्ट के अधिवक्ता पार्थ घोष ने हाइ कोर्ट में लोकहित याचिका दायर की थी.उन्होंने कहा था कि सरकारी कोयला कंपनी इसीएल के सैकड़ों आवासों पर गैर कंपनी कर्मियों का कब्जा है. इन आवासों में रहनेवाले कब्जेदार कंपनी की पानी तथा बिजली का उपयोग कर रहे हैं. इसके कारण कंपनी को सलाना चार सौ करोड़ रूपये से अदिक राशि का नुकसान हो रहा है. सरकारी कंपनी होने के नाते यह क्षति राष्ट्र की संपत्ति की क्षति है. इस कारण कंपनी के इन आवासों से कब्जेदारों का कब्जा हटाया जाये. इसमें कोल इंडिया लिमिटेड (सीआइएल) सहित विभिन्न पक्षों को प्रतिवनादी बनाया गया है.
हाइ कोर्ट ने इसकी सुनवायी के दौरान सभी संबंधित पक्षों से स्पष्टीकरण मांगा है. कंपनी के स्तर से राजनीतिक दबाब, माफिया प्रभाव तथा पुलिस असहयोग की बाते विभिन्न चरणों में कही गयी है. राज्य सरकार के पुलिस विभाग ने हर स्तर से सहयोग करने का दिलासा दिया है. यह सहयोग मिल भी रहा है. कभी तेज तो कभी धीमी गति से इन आवासों को खाली कराने का कार्य चल रहा है. अधिसंख्य ऐसे आवासों में पानी व बिजली की सप्लाइ बंद कर दी गयी है.
क्या है नया मामला
इसीएल के सूत्रों ने कहा कि इसीएल के सालानपुर क्षेत्र की बनजेमारी कोलियरी से सटे भूईयांधौड़ा को प्रबंधन खाली कराना चाहता है. उक्त बस्ती कंपनी की जमीन पर स्थित है. कोलियरी के विस्तार के लिए उक्त बस्ती को खाली कराना अनिवार्य है. खान सुरक्षा महानिदेशालय ने भी सेक्शन 22 को प्रभावी कर दिया है.
इस बस्ती को खाली कराने में प्रबंधन पुलिस कमीश्नरेट का सहयोग मांग रहा है. इस मुद्दे को लेकर हाइ कोर्ट में मुद्दा उठाया गया था. जिस पर हाइ कोर्ट ने पुलिस आयुक्त से स्पष्टीकरण मांगा था. मई माह के पहले सप्ताह में पुलिस आयुक्त के हस्ताक्षर से शपथपत्र दाखिल किया गया है.
क्या कहा है पुलिस आयुक्त ने
चार मई को लिखे पत्र में पुलिस आयुक्त ने न्यायाधीश अरुण मिश्र तथा न्यायाधीश जयमाल्या बागची की खंडपीठ के निर्णय का जिक्र किया है. उन्होंने कहा कि कोर्ट के निर्णय को लागू करने के प्रति पुलिस कमीश्नरेट प्रतिबद्ध है.
कोर्ट के आदेश में सभी संबंधित पुलिस अधिकारियों को निर्देश जारी हो चुके हैं कि सीआइएल खासकर इसीएल को हर सहयोग देना है. चाहे वह मामला अवैध कोयला खनन का हो, कंपनी की जमीन व आवास से अतिक्रमणकारियों को हटाने का हो या पानी व बिजली की सप्लाइ का हो. उन्होंने कहा है कि कोर्ट के आदेश के आलोक में पुलिस अधिकारी अपने दायित्वों का पूर्ण पालन कर रहे हैं.
पिछले कई मौके पर त्वरित कार्रवाई की गयी है. कंपनी को गैर कानूनी गतिविधियों को रोकने में पूरा सहयोग मिला है. कमीश्नरेट के सभी थानेदारों व पुलिस निरीक्षकों को कहा गया है कि इसीएल अधिकारियों के द्वारा मांगे जाने पर उन्हें पर्याप्त पुलिस बल उपलब्ध कराया जाये. उन्होंने कहा है कि पारा 10 में दर्ज विवरण के संबंध में स्थिति यह थी कि वर्ष 2016 के मई व जून माह में पुलिस कर्मियों तथा अधिकारियों की संख्या कम होने के कारण तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस उपायुक्त (पश्चिम जोन) पूरा सहयोग नहीं कर पाये थे. लेकिन इस समय पुलिस कमीश्नरेट पूरा सहयोग दे रहा है तथा भविष्य में भी सहयोग जारी रहेगा.

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