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इसीएल की खदानों में आज से उड़ेंगे ड्रोन

आसनसोल : इसीएल की खदानों में कोयला और ओबी की मापी, कोयला स्टॉक की मापी, डिस्पैच का आंकड़ा, कोयला चोरी आदि की निगरानी ड्रोन से कराने को लेकर कार्य आरंभ हुआ. ड्रोन की उपयोगिता खदानों में कितनी सही साबित हो सकती है इसके लिए कंपनी के विभिन्न खदानों में मंगलवार से तीन दिवसीय परीक्षण का […]

आसनसोल : इसीएल की खदानों में कोयला और ओबी की मापी, कोयला स्टॉक की मापी, डिस्पैच का आंकड़ा, कोयला चोरी आदि की निगरानी ड्रोन से कराने को लेकर कार्य आरंभ हुआ. ड्रोन की उपयोगिता खदानों में कितनी सही साबित हो सकती है इसके लिए कंपनी के विभिन्न खदानों में मंगलवार से तीन दिवसीय परीक्षण का कार्य शुरू होगा.
दिल्ली की कंपनी एएवीवीआईके ड्रोन का पावर पॉइंट प्रेसेंटेशन के साथ फील्ड में इसके परीक्षण का नमूना दिखायेगी. कोल मंत्रालय के निर्देश पर यह कार्य इसीएल के विजिलेंस विभाग को सौंपा गया है. परीक्षण के उपरांत इसकी रिपोर्ट तैयार कर विजिलेंस विभाग मंत्रालय को सौंपेगा. जिसके आधार पर ही मंत्रालय इसे कंपनी में लागू करने पर निर्णय लेगा.
कोयला खदानों में सभी विषयों पर सम्पूर्ण तथ्य की जानकारी उच्च तकनीक के माध्यम से कराने को लेकर जनवरी 2018 में कोयला मंत्रालय की बैठक हुयी थी. जिसमे ड्रोन की बात सामने आयी. अनेक निजी कंपनियों के खदान में ड्रोन के जरिये किये जा रहे कार्य और उसके परिणाम की चर्चा के बाद पायलट प्रोजेक्ट के रूप में ड्रोन का परीक्षण इसीएल और सीसीएल में कराए जाने का निर्णय हुआ.
इस निर्णय के आधार पर इसीएल में विजिलेंस विभाग को ड्रोन का परीक्षण करवाकर उसपर रिपोर्ट देने का आदेश जारी किया गया. इस आदेश पर अमल करते हुए विजिलेंस विभाग ने ड्रोन का निर्माण करने वाली अनेकों कंपनियों से संपर्क किया. अंत मे एएवीवीआईके कंपनी को ड्रोन को लेकर पावर पॉइंट प्रेजेंटेशन के साथ फील्ड में इसके कार्य का डेमोस्ट्रेशन देने के लिए आमंत्रित किया गया. मंगलवार से विभिन्न खदानों में तीन दिवसीय डेमोस्ट्रेशन का कार्य चलेगा.
दस किलोमीटर तक उड़ान कर पायेगा
डेमोस्ट्रेशन के लिए जो ड्रोन लाया जाएगा वह एक बार चार्ज होने से 10 किलोमीटर तक उड़ान भर पायेगा. इसकी उड़ने की ऊंचाई को 500 मीटर तक रखा गया है. ड्रोन अपने कैमरे से अनेकों प्रकार का डाटा भेजेगा. सॉफ्टवेयर में जो डाटा फीड होगा उसका सम्पूर्ण विवरण मॉनिटर पर उपलब्ध होगा.। यह डाटा कोई कहीं से भी बैठे देख सकता है. यहां तक कि दिल्ली में बैठे अधिकारी भी जब चाहे ड्रोन से निगरानी वाले किसी भी खदान का सम्पूर्ण डाटा देख सकते है.
कोयला चोरी और ओवर रिपोर्टिंग पर अंकुश
सूत्रों के अनुसार ड्रोन को कंपनी में लाने के मुख्य उद्देश्य कोयला को लेकर ओवर रिपोर्टिंग और खदान सहित आसपास के क्षेत्रों में चल रहे कोयला चोरी की निगरानी करना है. ड्रोन प्रतिदिन कितना कोयला और ओवी का खनन हुआ, कितना डिस्पैच हुआ, कितना स्टॉक में है यह सारी जानकारी देगा. इसके अलावा खदान और खदान के आसपास कोयले चोरी की पूरी वीडियो फुटेज भी देगा. ड्रोन की रिपोर्ट के आधार पर अधिकारियों को तत्काल कार्यवाई करनी होगी.

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