पानागढ़: बर्दवान जिले के कालना महकमा के पूर्व स्थली थाना अंतर्गत नंदाई ग्राम में एक घर से 18 मानव कंकाल बरामद किये गये. कालना महकमा प्रशासन व एसपीडीओ की ओर से चलाये गये संयुक्त अभियान में इन नरकंकाल के साथ चार लोगों को गिरफ्तार किया गया. मौके से हाइड्रोजन पैराक्साइड सहित कई रसायनों की बरामदगी की गयी है. पुलिस ने आरोपियों को कोर्ट में पेश किया. अदालत ने एक आरोपी को दस दिनों की पुलिस रिमांड पर और तीन को न्यायिक हिरासत में भेज दिया है.
क्या है मामला: बर्दवान के जिलाधिकारी अनुराग श्रीवास्तव ने बताया कि कालना महकमा प्रशासन और कालना एसडीपीओ ने एक सूचना के आधार पर छापेमारी की. घटनास्थल से 18 नरकंकाल बरामद किये गये हैं. हाइड्रोजन पैराक्साइड जैसा केमिकल भी जब्त किया गया है. इतने नरकंकाल कहां से और किस उद्देश्य से एकत्रित किये गये थे, इसकी जांच की जा रही है. उन्होंने कहा कि गिरफ्तार लोगों में तीन महिला व एक पुरुष शामिल है. इतनी बड़ी संख्या में नरकंकाल मिलने से स्थानीय लोगो में हड़कंप है.
पुलिस के अनुसार, गिरफ्तार सभी चार आरोपियों को सोमवार को कालना महकमा कोर्ट की एसीजेएम अदालत में पेश किया गया. एसीजेएम डालिया भट्टाचार्य ने अभियुक्त नकुल चौधरी को 10 दिन के लिए पुलिस रिमांड में भेज दिया. अन्य तीन महिला आरोपियों राखी पाल, यमुना पाल तथा मिठू दे को 10 दिनों के लिए न्यायिक हिरासत में जेल भेज दिया गया.
पूर्व में बरामद हो चुके हैं 50 नरकंकाल
बर्दवान जिले के पूर्वस्थली थाना इलाके में पाटूली गांव स्थित एक कारखाने से कुछ वर्ष पहले 50 नरकंकाल मिले थे. पुलिस जांच में यह सामने आया था कि नरकंकाल की तस्करी करनेवालों के हाथ बैंकाक व सिंगापुर तक फैले हैं. यहां से हर माह सैकड़ों की संख्या में नरकंकाल विदेश और देश के विभिन्न हिस्सों में भेजे जाते थे. पुलिस जांच के अनुसार, मुक्ति विश्वास अपने पुत्र गोपाल विश्वास के साथ मिलकर पाटूली में कारखाना चलाता था. मुक्ति विश्वास ने जो बयान दिया है उससे जिला पुलिस भी अचंभित थी. अंतरराष्ट्रीय नरकंकाल तस्करों के साथ इन लोगों की साठगांठ थी. बताया जाता है कि बतौर कीमत प्रति नर कंकाल 10 से 15 हजार रुपये इन्हें मिलते थे. इस गोरखधंधे में मुक्ति विश्वास के कई एजेंट काम करते थे. वह लावारिस व कब्रगाहों से लाशों की चोरी के साथ ही साथ हत्या जैसे जघन्य अपराधों को भी अंजाम देते थे. तत्कालीन जिला पुलिस अधीक्षक पीयूष पांडे का कहना था कि अापराधिक तत्वों के अलावा कई सफेदपोश लोगों के नाम भी शामिल हो सकते हैं. सात आरोपियों को गिरफ्तार किया गया था. अपुष्ट खबर के अनुसार, जिले के 15 गांवों से 70 शवों की चोरी हुई थी. शवों को पाने के लिए मुक्ति विश्वास के लोग बस पड़ाव, सड़कों तथा रेलवे प्लेटफार्मों पर गरीब भिखारियों की हत्या तक कर देते थे. बताया जाता है कि उक्त लावारिस शवों को कारखाना परिसर के अंदर मौजूद साढ़े तीन फुट चौड़ा तथा चार फुट गहरे गड्ढे में सड़ने के िलए छोड़ दिया जाता था. छह दिनों के बाद शवों को कास्टिक सोडा व एसिड पानी से धोकर कंकाल को बेचा जाता था.