Rourkela News: ओडिशा स्टेट हाउसिंग बोर्ड की ओर से छेंड कॉलोनी व बसंती कॉलोनी में आवंटित मकानों को फ्री होल्ड करने की मांग यहां के 6500 मकान मालिक लंबे समय से करते रहे हैं. लेकिन इसका कोई नतीजा अब नहीं निकला है. इन मकान मालिकों काे उम्मीद थी कि सूबे में सत्तासीन भाजपा की डबल इंजन सरकार उनकी समस्या का समाधान करने की पहल करेगी. लेकिन इस सरकार के आठ महीने पूरे होने के बाद भी इसका काेई हल नहीं निकला है.
6500 मकान मालिकों का खत्म नहीं हो रहा इंतजार
मकान मालिक इसकी शिकायत राज्य आवास बोर्ड के अधिकारियों से करते रहे हैं. राज्य आवास बोर्ड के अधिकारी इन घरों की स्थिति के बारे में आवश्यक रिपोर्ट देने के लिए स्थानीय तहसीलदार को भी लिख रहे हैं. जबकि यह पत्र पिछले साल लिखा गया था. आखिरी पत्र 20 फरवरी, 2025 को आया है. इसमें राउरकेला तहसीलदार को राउरकेला टाउन यूनिट नंबर-3, खाता नंबर-9 और प्लॉट नंबर-137 समेत अन्य 93 एकड़ 585 डिसमिल जमीन के लिए हाउसिंग बोर्ड की ओर से राजस्व विभाग को आवेदन करने की बात दर्शायी गयी है. साथ ही बताया गया कि हाउसिंग बोर्ड द्वारा अधिसूचना संख्या-29099 एवं दिनांक 14.08.2023 के आधार पर राजस्व विभाग को बार-बार पत्र लिखा जाता रहा, लेकिन इस संबंध में कोई कार्रवाई नहीं की गयी. इस पत्र में प्रबंध निदेशक ने तत्काल आवश्यक प्रक्रिया पूरी कर हाउसिंग बोर्ड को सूचित करने के लिए तहसीलदार काे सूचित किया है. लेकिन भाजपा की डबल इंजन सरकार के शासन में इन दोनों कॉलोनी के 6500 मकान मालिकों को कब फ्री होल्ड की सुविधा मिल सकेगी, इसका इंतजार है.
फ्री होल्ड होने से मकान बेचने या पुनर्निमाण में होगी सहूलियत
छेंड कॉलोनी और बसंती कॉलोनी में हाउसिंग बोर्ड के मकानों को यदि फ्री होल्ड कर दिया जाये, तो मकान मालिकों को यह मकान बेचने के साथ ही अपने स्तर पर इसका निर्माण कराने की सहूलियत प्राप्त हो सकती है. यहां तक कि राउरकेला महानगर निगम से एप्रूवल लेकर वे इसे अपार्टमेंट में भी बदल सकते हैं. इसके अलावा मकान खरीद-बिक्री का कार्य भी फ्री होल्ड आसान करेगा. वर्तमान यहां के मकान खरीदने व बेचने का काम केवल पावर ऑफ अर्टनी के माध्यम से ही हाे रहा है. साथ ही इन मकानों के फ्री होल्ड हो जाने से सरकार को मकानों की खरीद-बिक्री से राजस्व भी मिलेगा. लेकिन आरोप है कि राजस्व विभाग इस संबंध में तत्परता नहीं दिखा रहा है. इससे राज्य हाउसिंग बोर्ड के अंतर्गत आने वाले छेंड और बसंती कॉलोनी के मकान मालिकों को निराश होना पड़ रहा है.
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