Bhubaneswar News: मुख्यमंत्री मोहना चरण माझी ने भुवनेश्वर के जनता मैदान में आयोजित 19वें तोशाली राष्ट्रीय हस्तशिल्प मेला का उद्घाटन किया. उन्होंने कहा कि हस्तशिल्प हमारी गौरवमयी ऐतिहासिक धरोहर का प्रतीक है. यह हमारी पहचान है और ओड़िया अस्मिता का परिचायक है. हजारों कारीगरों को हस्तशिल्प न केवल जीवनयापन का साधन प्रदान करता है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनने की कला भी सिखाता है. इस समृद्ध सांस्कृतिक धरोहर के संरक्षण के लिए हमारी सरकार प्रतिबद्ध और संकल्पबद्ध है.
6000 कारीगरों को प्रशिक्षण देने की है योजना
मुख्यमंत्री ने कहा कि 2025-26 के आर्थिक वर्ष में हम हस्तशिल्प के प्रोत्साहन के लिए 52 करोड़ रुपये खर्च करने की योजना बना रहे हैं. इसके अलावा, बयन शिल्प के प्रोत्साहन के लिए 122 करोड़ और हस्तशिल्प उद्योग के प्रोत्साहन के लिए भी 122 करोड़ रुपये का प्रस्ताव रखा गया है. इस वर्ष 6000 कारीगरों को दक्षता प्रशिक्षण देने की योजना है. 2025-26 के आर्थिक वर्ष में नौ हस्तशिल्प उत्पादों को जीआइ टैग के लिए आवेदन किया जायेगा. इसके साथ ही 550 कारीगरों को ‘वर्क शेड निर्माण’ योजना के तहत शामिल किया जायेगा. इसके अलावा, 100 कारीगरों को अपने उत्पादन यूनिट स्थापित करने के लिए बैंक वित्त और मार्जिन मनी प्रदान की जायेगी. कंटिलो, पिपिली, बालेश्वर, हीराकुद क्षेत्र, कटक और कोटपाड़ को ऐतिहासिक कारीगरी और बुनकर गांव के रूप में विकसित किया जायेगा और पर्यटन को हस्तशिल्प से जोड़ने पर जोर दिया जायेगा. मुख्यमंत्री ने बुनकरों और कारीगरों को धन्यवाद देते हुए कहा कि ओडिशा की हस्तकला और हस्तशिल्प ने संपूर्ण ओड़िया जाति को कला के एकता सूत्र में बांधकर रखा है. उन्होंने कहा कि हमारे देश में खादी और ग्रामोद्योग आयोग बाजार और शिल्पियों और बुनकरों के बीच पुल की तरह काम करता है. नरेंद्र मोदी ने प्रधानमंत्री बनने के कुछ ही महीनों में सभी को खादी पहनने का संदेश दिया था और स्वयं भी खादी पहनते हुए इसे एक फैशन क्रांति बना दिया. आजकल हमारे युवा समाज में भी खादी का प्रचलन बढ़ गया है.
हस्तशिल्प और हस्तकला ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ : मोहन माझी
मुख्यमंत्री मोहन चरण माझी ने कहा कि हस्तशिल्प और हस्तकला ग्रामीण अर्थव्यवस्था की रीढ़ हैं. अर्थव्यवस्था के विकास में मां और बहनें अहम भूमिका निभा रही हैं. विभिन्न स्वयं सहायता समूहों की मां और बहनें जब भी किसी काम में हाथ डालती हैं, उसके परिणाम स्वरूप यह कृतियां आज विभिन्न स्टॉलों पर प्रदर्शित हो रही हैं. हम एक करोड़ से अधिक महिलाओं को निकट भविष्य में सहायता प्रदान करेंगे. यह सहायता उन सभी के लिए मददगार साबित होगी. ओडिशा के कई हस्तशिल्प उत्पादों ने भौगोलिक संकेत टैग प्राप्त किया है, जिससे राज्य का गौरव बढ़ा है.
31 मार्च तक चलेगा मेला, पारंपरिक खाद्य के 35 स्टॉल लगाये गये
बताया गया कि यह मेला 31 मार्च तक अपराह्न 3:00 से रात 10:00 बजे तक खुला रहेगा. इस मेला में 15 से अधिक राज्यों के कारीगर और बुनकर भाग ले रहे हैं. इस वर्ष मेला में 650 से अधिक स्टॉल लगाये गये हैं और इसके साथ ही ओडिशा के पारंपरिक खाद्य पदार्थों के लिए 35 स्टॉल लगाये गये हैं. मुख्यमंत्री ने पहले जनता मैदान में पहुंचकर मेला का उद्घाटन किया और स्टॉलों को घूमकर देखा. कार्यक्रम में बयन और हस्तशिल्प मंत्री प्रदीप बलसामंत ने कहा कि बुनकर और कारीगरों की आर्थिक स्वतंत्रता के लिए यह मेला एक स्वागत योग्य कदम है और महिला सशक्तीकरण, आत्मनिर्भरता और आजीविका सुरक्षा के लिए यह मेला समर्पित है.
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