फिल्म -धुरंधर
निर्माता – आदित्य और लोकेश
निर्देशक – आदित्य धर
कलाकार – रणवीर सिंह,अक्षय खन्ना,अर्जुन रामपाल, संजय दत्त,आर माधवन,राकेश बेदी,सारा अर्जुन,गौरव गेरा,सौम्या टंडन और अन्य
प्लेटफार्म -सिनेमाघर
रेटिंग -तीन
dhurandhar movie review :2019 में रिलीज हुई फिल्म “उरी द सर्जिकल स्ट्राइक” के लिए नेशनल अवार्ड अपने नाम कर चुके निर्देशक आदित्य धर 6 साल के लम्बे अंतराल के बाद निर्देशन में फिल्म “धुरंधर” से वापसी की है.हाउ इज द जोश वाला सवाल दोहराएं तो जवाब इस बार भी हाई ही है.निर्देशक,निर्माता और लेखक आदित्य धर ने धुरंधर से एक बार फिर हाई एड्रीनलीन देशभक्ति ड्रामा परदे पर रच दिया है.जो शुरुआत से आखिर तक ना सिर्फ आपको बांधे रखती है बल्कि जमकर मनोरंजन भी करती है.
गुमनाम नायक की कहानी
यह फिल्म सत्य घटनाओं पर आधारित है. यह फिल्म के ट्रेलर में ही बता दिया गया था और फिल्म की शुरुआत 1999 में हुए कंधार हाईजैक से होती है. इस घटना का आईबी चीफ सान्याल (आर माधवन )पडोसी मुल्क पाकिस्तान को मुंह तोड़ जवाब देना चाहते हैं.सरकार की अपनी मजबूरियां है लेकिन जब आतंकी हमला साल 2001 में संसद तक पहुँच जाता है,तो भारत सरकार सान्याल के पाकिस्तान को मुँह तोड़ देने वाले जवाब यानी ऑपरेशन “धुरंधर”को हरी झंडी दे ही देती है. जिससे सतबीर,हमजा बन (रणवीर सिंह )अफगानिस्तान से होते हुए पाकिस्तान के ल्यारी में पहुँचता है. ल्यारी पर बादशाहत का मतलब कराची पर कण्ट्रोल. हमजा के लिए यह बादशाहत पाना आसान नहीं है क्योंकि ल्यारी गैंगस्टर्स का गढ़ है, राजनेताओं की मदद से वह और भी मजबूत हो रहे हैं. किस तरह से हमजा गैंगस्टर रहमान डकैत (अक्षय खन्ना )का भरोसा जीत उसके गैंग में शामिल होकर भारत के हितों के लिए काम करना शुरू कर देता है. यही फिल्म की कहानी है.जिसमें बहुत ट्विस्ट एंड टर्न है. इसमें आईएसआई का खूंखार चेहरा मेजर इकबाल (अर्जुन रामपाल )और डीएसपी असलम चौधरी (संजय दत्त )जैसे किरदार भी उससे जुड़ते हैं. ऑपरेशन धुरंधर की पूरी कामयाबी के लिए मार्च 2026 तक इंतजार करना होगा क्योंकि फिल्म का दूसरा और आखिरी पार्ट तभी आएगा.
फिल्म की खूबियां और खामियां
भारत और पाकिस्तान के रिश्ते को लेकर अब तक कई फिल्में और वेब सीरीज बन चुकी हैं.जिसमे स्पाई थ्रिलर तो पसंदीदा जॉनर रहा है.धुरंधर भी है लेकिन आदित्य धर निर्देशित यह फिल्म स्पाई थ्रिलर भर नहीं है बल्कि गैंगस्टर ड्रामा है.जिसका अहम हिस्सा पाकिस्तान की राजनीति भी है.जो शायद ही अब तक किसी फिल्म या वेब सीरीज का हिस्सा बना हो. पाकिस्तान का मतलब कराची और लाहौर ही अब तक की फिल्मों में नजर आया है लेकिन यह फिल्म दुनिया के डेंजरस शहरों में शुमार रही कराची के ल्यारी की कहानी है और उससे जुड़े दहशतगर्दो की.जिनके तार भारत में आतंकी हमला करवाने वाले आकाओं से जुड़े थे.आदित्य धर ने पूरी रिसर्च के साथ अपनी इस रियलिस्टिक कहानी को कहा है.कालखंड उन्होंने साल 2001 के बाद का चुना है.जो फिल्म के पार्ट दो तक डेढ़ दशक तक चलने वाली है.फिल्म मल्टीस्टारर है.परदे पर बहुत कुछ चलता रहता है लेकिन आदित्य धर ने कहानी और किरदारों को बहुत ही साफगोई के साथ परदे पर प्रस्तुत किया है. जिससे मामला कन्फ्यूजिंग नहीं शुरुआत से ही एंगेजिंग रहता है. फिल्म के मेकर्स ने इसे मेजर मोहित शर्मा पर आधारित होने से इंकार किया था,लेकिन फिल्म बाकी के सारे किरदार रियल हैं और घटनाक्रम भी. फिल्म में आतंकी हमले, भारत में आतंकी हमलों से जुड़े नाम के अलावा नकली नोट छापने का भी प्रसंग है. जो इस फिल्म को जानदार बनाते हैं.तकनीकी पहलुओं पर आये तो फिल्म की सिनेमेटोग्राफी की भी तारीफ बनती है. असल घटना पर आधारित इस फिल्म को यह रिअलिस्टिक लुक देती है. फिल्म में रियल फुटेज का भी इस्तेमाल हुआ है.”मुँह तोड़ने के लिए मुट्ठी बंद करने की ज़रूरत होती है””घायल हूं इसलिए घातक हूं “जैसे संवाद फिल्म के जॉनर को और प्रभावी बना गए हैं. गीत संगीत की बात करें तो फिल्म में नए गानों के साथ पुराने सुपरहिट गीतों को जिस तरह से जोड़ा गया है. वह फिल्म में एक अलग ही रंग भरता हैं.खामियों की बात करें तो फिल्म का पहला भाग दो घंटे लंबा है. जिसे देखते हुए थोड़े धैर्य की जरूरत होती है लेकिन सेकेंड हाफ टाइट होने के साथ -साथ इस कदर ट्विस्ट एंड टर्न से भरा हुआ है कि फर्स्ट हाफ की लम्बाई की शिकायत को आप भूल जाते हैं. शिकायत फिल्म में दिखाए गए खून खराबे से भी हो सकती है.फिल्म के ट्रेलर लांच में ही यह बात साफ़ हो गयी थी कि यह एक्शन ,थ्रिलर फिल्म हिंसा से भरी हुई है और यह इसके लगभग साढ़े तीन घंटे के रन टाइम में जमकर देखने को भी मिलती है.इस फिल्म में पाकिस्तान की ही नहीं बल्कि भारतीय राजनीति पर भी बात करती है.यूपी माफिया का जिक्र करते हुए 2002 की यूपी सरकार को ना सिर्फ सवालों के घेरे में डालती है, बल्कि आनेवाली सरकार को देशभक्त भी बता जाती है. जो कइयों को खटक सकता है.
रणवीर और अक्षय खन्ना है जानदार
रणवीर सिंह लाजवाब रहे हैं. इंटेसिटी के साथ उन्होंने हमजा के किरदार को जिया है.उनकी आँखें इस किरदार के भीतर घुसने में मदद करती हैं.किरदार से जुड़ा हर इमोशन आपको वहीँ नज़र आता है फिर चाहे 26 /11 के हमले का सेलिब्रेशन वाला दृश्य हो या भारतीय मुखबिर को यातना देने वाला सीन.अक्षय खन्ना की एक्टिंग इस फिल्म की हासिल है. ये कहना गलत नहीं होगा.उन्होंने रहमान डकैत के किरदार को कुछ इस कदर जिया है कि लगता ही नहीं है कि वह एक्टिंग कर रहे हैं.अभिनेता संजय दत्त ने अपने किरदार को पूरे स्वैग के साथ निभाया है.राकेश बेदी ने भी उल्लेखनीय अभिनय किया है.सारा अर्जुन ने इस फिल्म से बतौर अभिनेत्री अपनी शुरुआत की है और वह बहुत प्यारी लगी हैं.अर्जुन रामपाल, आर माधवन, सौम्या टंडन, मानव गोहिल सहित अक्षय खन्ना के बॉडीगार्ड बने एक्टर सहित बाकी सभी ने अपने अभिनय से कहानी को प्रभावी बनाया है.

