जैंतगढ़. वैतरणी नदी पर बनने वाला ओडिशा का दूसरा सबसे बड़ाबांध कानपुर डैम विवादों में फंस गया है. किसानों को इस परियोजना से लाभ कम और हानि अधिक दिख रही है. गेट बंद किये जाने से वैतरणी नदी सूख गयी है. कई स्थानों पर नाला का रूप ले चुकी है. वैतरणी के तटीय गांवों में पानी के लिए हाहाकार मचने की खबरें आ रही है. इसे लेकर क्षेत्र की जनता मुखर हो रही है. पानी के लिए संग्राम मच सकता है. ओडिशा में राजेंद्र सिंह ने प्रभावित गांवों का दौरा किया. उन्होंने कहा कि सरकार को नाबार्ड बैंक कृषि और सिंचाई के लिए पैसा दी थी. उस पैसे को डैम बनाने में खर्च कर दिया गया. बैंक को तर्क दिया गया डैम से सिंचाई की जाएगी. सिंचाई तो दूर किसानों और ग्रामीणों को पीने का पानी नसीब नहीं हो रहा है. अब वैतरणी नदी सूखने के कगार पर है. इसके अस्तित्व पर खतरा मंडरा रहा है. किसानों का पानी उद्यमियों को देने की योजना है. बांध में ही एसपीएल और जेएसडब्ल्यू का इंटेकवेल बन रहा है. इसके द्वारा पाइपलाइन से लौह अयस्क का परिवहन किया जाएगा, जिसमें रोजाना लाखों लीटर पानी की खपत हो सकती है. ऐसे में न पनबिजली के लिए कुछ बचेगा और न ही सिंचाई के लिए पानी मिलेगा. इसके ठीक उलट वैतरणी के निचले इलाके में सुखाड़ की स्थिति उत्पन्न हो जाएगी.
वैतरणी के सूखने से रबी और ज्यादातर फसलों पर आफत
प्रभावित क्षेत्र के किसानों ने कहा कि ट्रक मालिक और कृषकों के आंदोलन के बाद इंटेकवेल का काम स्थगित रखा गया है. लेकिन उद्यमी इसे बनाने के लिए एड़ी-चोटी एक कर रहे हैं. वैतरणी सूखने से रबी और ज्यादातर फसलों पर आफत आन पड़ी है. वैतरणी किनारे सब्जी खूब हुआ करती थी. अब सब्जियों के बागान को पानी नहीं मिलने से किसान तालाब व कुआं से पानी लाकर पटवन कर रहे हैं. कृषकों ने कहा कि समाधान नहीं निकला और पूर्व की तरह वैतरणी का पानी नहीं छोड़ा गया तो अगले साल से किसान खेती करना छोड़ देंगे और सब्जी उगाना बंद कर देंगे. समस्याओं के समाधान के लिए जल मानव राजेंद्र सिंह ने ग्रामीणों के साथ आंदोलन की रूप रेखा तैयार भी की.
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