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शहीदों के आश्रितों को देंगे नौकरी : मुख्यमंत्री

खरसावां : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तो गुवा गोलीकांड के शहीदों के परिजनों को खोज-खोज कर नौकरी दी थी. खरसावां गोलीकांड के शहीदों के परिजनों को खोज कर उन्हें भी नौकरी दी जायेगी. मुख्यमंत्री बुधवार को खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद यहां […]

खरसावां : मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने कहा कि जब वे पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तो गुवा गोलीकांड के शहीदों के परिजनों को खोज-खोज कर नौकरी दी थी. खरसावां गोलीकांड के शहीदों के परिजनों को खोज कर उन्हें भी नौकरी दी जायेगी. मुख्यमंत्री बुधवार को खरसावां गोलीकांड के शहीदों को श्रद्धांजलि देने के बाद यहां आयोजित कार्यक्रम में संबोधित कर रहे थे.

श्री सोरेन ने कहा खरसावां गोलीकांड के जिन शहीदों के आश्रित नौकरी करने की स्थिति में नहीं होंगे, उन्हें सम्मान जनक पेंशन दी जायेगी. उन्होंने कहा कि खरसावां गोलीकांड के दस्तावेज कहीं न कहीं निश्चित रूप से होंगे. उसे खोज कर निकाला जायेगा. उसी आधार पर शहीदों की पहचान की जायेगी. इस पर जल्द ही कार्य शुरू होगा.

सीएम को भेंट की गयी पत्ते की पारंपरिक टोपी : कार्यक्रम के दौरान मुख्यमंत्री को पत्ते की पारंपरिक टोपी भेंट की गयी. इस दौरान विभिन्न संगठनों की ओर से क्षेत्र की समस्याओं से जुड़ा मांग पत्र भी सौंपा गया.

शहीद स्थल पर दी श्रद्धांजलि : मुख्यमंत्री ने उपस्थित विधायकों और पार्टी नेताओं के साथ शहीद स्थल व केरसे मुंडा शिलापट्ट पर जा कर श्रद्धांजलि अर्पित की. इस दौरान आमलोगों से मिले. प्रशासन की ओर से हेलीपैड पर गार्ड ऑफ ऑनर दिया गया.

सीएम के साथ श्रद्धांजलि देनेवालों में मुख्य रूप से विधायक दशरथ गागराई, चंपई सोरेन, बन्ना गुप्ता, दीपक बिरुवा, जोबा मांझी, सविता महतो, निरल पूर्ति, सुखराम उरांव, सुमन महतो, बहादुर उरांव, दामोदर हांसदा, बाबूराम सोय, गुरुचरण बांकिरा आदि शामिल थे.

खरसावां के शहीदों की पहचान करना है चुनौती

1948 को खरसावां गोलीकांड में शहीद हुए धरतीपुत्रों की पहचान करना चुनौती है. हेमंत सोरेन सरकार ने शहीद परिवारों को नौकरी और सम्मान की घोषणा की है. लेकिन 72 वर्ष बाद इस गोलीकांड के शहीद परिवारों तक पहुंचना आसान नहीं है. इस गोलीकांड में आधिकारिक तौर पर 35 लोगों की मारे जाने की सूचना है, लेकिन इसे आजाद भारत का सबसे बड़ा गोलीकांड बताया जाता है. इसमें लगभग एक हजार लोगों के मारे जाने की भी बात भी इतिहास की चर्चा में शामिल है.

शहीदों से जुड़े कोई दस्तावेज उपलब्ध नहीं हैं. अब तक दो शहीदों की पहचान हो पायी है. खरसावां गोलीकांड के शहीदों के अरमान पूरे हों, उनके परिजनों को नौकरी व सम्मान मिले, इसके लिए सरकार को वृहत तौर पर काम करना होगा. उच्च स्तरीय कमेटी या आयोग बना कर शोधपरक काम करने की जरूरत है.

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