प्रतिनिधि, हटिया.
भारतीय स्वतंत्रता संग्राम सिपाही विद्रोह के जननायक अमर सेनानी ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव का शहादत दिवस हटिया स्थित शहादत स्मारक स्तंभ के प्रांगण में मनाया गया. अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव अध्ययन केंद्र के तत्वावधान में आयोजित समारोह की शुरुआत पूर्वाह्न 10:00 बजे से की गयी. समारोह में मुख्य अतिथि शहीद के प्रत्यक्ष उत्तराधिकारी बड़कागढ़ के ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव ने श्रद्धासुमन अर्पित किया. उन्होंने अमर शहीद ठाकुर विश्वनाथ शाहदेव के जीवनी को पाठ्य पुस्तकों में शामिल करने की मांग की. उन्होंने कहा कि 16 अप्रैल 1858 को रांची जिला स्कूल के समक्ष कदम के वृक्ष की डाली पर प्रातः 5:30 बजे अंग्रेजों द्वारा उनको फांसी पर लटका दिया गया था. इनकी पूरी बड़कागढ़ इस्टेट को अंग्रेजों ने अपने अधीन कर ली थी. ठाकुर का गढ़ हटिया स्थित चिरनागढ़ को तोप से उड़ाकर ध्वस्त कर दिया गया. उनकी धर्मपत्नी और एकमात्र पुत्र को मारने का ब्रिटिश सरकार ने षड़यंत्र रचा. जिसके परिणाम स्वरूप ठकुरानी को गढ़ छोड़कर भागना पड़ा और 12 साल निर्वासित जीवन गुमला स्थित खोरहा जंगल में बिताया. तब भी अंग्रेजी सरकार अपने गुप्तचरों के माध्यम से पता करते रहे, परंतु उन्हें खोज नहीं सके. मिताक्षरा कानून के तहत जब उनके पुत्र ठाकुर कपिल नाथ शाहदेव की उम्र 13 वर्ष हो गयी, तब रानी प्रकट हुईं और कोलकाता विलियम फोर्ट में केस दर्ज किया. परंतु रानी को निराशा ही हाथ लगी. समारोह में गुप्तेश्वर सिंह, सीताराम ओहदार, परवेज खलीफा, सूरज मुंडा, ठाकुर सुधांशु नाथ शाहदेव, सोनू सिंह, पंकज कुमार, राकेश उरांव, जेम्स मिंज व अन्य ने शहीद को श्रद्धांजलि दी.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है