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Makar Sankranti 2025: पतंगों से सजा रांची का बाजार, दो से 600 रुपये तक के रेंज में है अवेलेबल

Makar Sankranti 2025: रांची में पतंगों का बाजार मकर संक्राति को लेकर सज चुका है. इसकी खरीदारी करने के लिए शहर के विभिन्न इलाकों से आ रहे हैं. कागज से बनी पतंग की डिमांड सबसे अधिक है.

रांची : मकर संक्रांति नजदीक आते ही हर उम्र के लोगों में पतंगबाजी का खुमार चढ़ जाता है. बाजार भी रंग-बिरंगे पतंग से सजा नजर आ रहा है जो, लोगों को अपनी ओर लुभाते हैं. रांची के कर्बला चौक में 50 साल से अधिक पुराना पतंग बाजार है. इस मार्केट में रांची समेत आस-पास के प्रखंड से लोग पतंगों की खरीदारी करने आते हैं. यहां दो रुपये से 600 रुपये तक के पतंग, लटाई और धागे मिल रहे हैं. इनकी खरीदारी के लिए लोगों की भीड़ जुटने लगी है. हालांकि, लोगों के बीच आज भी सबसे अधिक कागज से बनी पतंग की डिमांड है. इसके अलावा पन्नी से बने पतंग की भी खूब बिक्री हो रही हैं. बच्चों से लेकर बुजुर्गों के बीच पतंगबाजी न केवल मनोरंजन का माध्यम है, बल्कि यह लोगों को आपस में जोड़ने का काम करती है.

पतंगों और लटाई का बाजार

मकर संक्रांति के अवसर पर पतंग और लटाई का बाजार भी पूरी तरह सज जाता है. बाजार में विभिन्न प्रकार की पतंगें, मंझे और अन्य सामग्री उपलब्ध होती हैं. बाज, बटरफ्लाई, एयरोप्लेन, कोरिया पतंग, पैराशूट, प्रिंटेड पतंग, कागज और कार्टून डिजाइन की पतंगों की सबसे अधिक मांग रहती है. हाल ही में बड़े आकार की पतंगें लोगों के बीच ज्यादा लोकप्रिय हो रही हैं, जिनकी कीमत 100 रुपये से लेकर 600 रुपये तक होती है. आमतौर पर पतंगों की कीमत 2 रुपये से लेकर 600 रुपये तक होती है. सबसे ज्यादा बिकने वाली पतंग की कीमत 6 रुपये है. वहीं, लटाई की कीमत 20 रुपये से लेकर 1300 रुपये तक होती है. लटाई प्लास्टिक और लकड़ी की होती हैं, जो छोटे, मीडियम और बड़े आकारों में मिलती हैं.

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अधिकतर पतंग बरेली में बनाए जाते हैं

धागे की बात करें तो इनकी लंबाई 100 मीटर से लेकर 10,000 मीटर तक होती है. अधिकतर धागे बरेली में बनाए जाते हैं. इनकी कीमत 5 रुपये से शुरू होकर 1200 रुपये तक होती है. आमतौर पर 100 मीटर धागे की कीमत 10 रुपये होती है, जबकि 10,000 मीटर धागे की कीमत 300 से 400 रुपये तक होती है. थोक विक्रेताओं से फुटकर विक्रेता को पतंगें आधे से भी कम दामों में मिलती हैं. फुटकर विक्रेता इन्हें दुगने दाम पर बेचकर मुनाफा कमाते हैं.

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पतंग निर्माण की क्या है प्रक्रिया

पतंग बनाने के लिए उपयोग में आने वाला प्लास्टिक अहमदाबाद से मंगवाया जाता है, जबकि पतंग की कमानी कोलकाता में निर्मित होती है. इन सामग्रियों को स्थानीय कारीगर जोड़ते हैं और पतंग तैयार करते हैं. तैयार पतंगों को बाजार में बेचा जाता है. पतंग का व्यापार मकर संक्रांति जैसे त्योहारों के दौरान अपने शबाब पर होता है, जब बच्चों और बड़े दोनों में उत्साह का माहौल रहता है. व्यापारियों के लिए यह एक अच्छा अवसर है, खासकर जब वे थोक में खरीदारी कर सीजन के हिसाब से कीमत तय करते हैं. छोटे और प्लास्टिक पतंगों की अधिक मांग रहती है, और धागे की गुणवत्ता भी बिक्री को प्रभावित करती है. यदि सही समय पर, ग्राहक की पसंद और बाजार की आवश्यकता को समझते हुए व्यापार किया जाए, तो यह एक लाभकारी और सफल व्यवसाय साबित हो सकता है.

पतंग व्यापारियों की मकर संक्रांति सीजन में जबरदस्त कमाई

थोक विक्रेता तालिब ने बताया, “पतंगों का सीजन जनवरी तक रहता है. इस दौरान हमारी कमाई 8 से 10 लाख रुपये तक होती है. वहीं, पूरे साल में हम 20 लाख रुपये की पतंगें बेच लेते हैं. हमारे यहां से कई फुटकर विक्रेता पतंग खरीदते हैं और आज तक पतंग को लेकर कोई शिकायत नहीं आई.”

हरमू में पतंगों का बढ़ता बाजार

हरमू के राहुल कुमार पिछले 10 साल से पतंगों का व्यवसाय कर रहे हैं. इस बार उन्होंने 300 रुपये का माल खरीदा, जिसमें एक पतंग उन्हें थोक में मात्र 2 रुपये में पड़ी. उनका कहना है कि प्लास्टिक की पतंगों की मांग कागज की पतंगों से अधिक है. छोटे पतंगों की बिक्री सबसे अधिक हो रही है, जो ग्राहकों के बीच खासा लोकप्रिय है.

हिमांशु को है पतंग उड़ाने का जबरदस्त उत्साह

कस्टमर हिमांशु बताते हैं कि उन्हें पतंग उड़ाने में बहुत मजा आता है. वह पांडा के धागे का इस्तेमाल करते हैं और आज से पतंग उड़ाना शुरू कर रहे हैं. हिमांशु ने यह भी कहा कि वह मकर संक्रांति के बाद तक पतंगबाजी का पूरा आनंद लेने का मन बना चुके हैं.

चुटिया में रवि साहू की किराना दुकान और पतंग व्यापार

चुटिया में स्थित रवि साहू की किराना दुकान में पूजा सामग्री, सब्जी और अन्य सामग्री के साथ पतंग भी बिकते हैं. इस बार उन्होंने 100 पतंग खरीदी हैं, जिनकी कुल कीमत 500 रुपये पड़ी. वह इन पतंगों को अपने ग्राहकों को 600-650 रुपये में बेचने की योजना बना रहे हैं. रवि साहू का कहना है कि पतंग के ग्राहक बच्चों के साथ-साथ बड़े भी होते हैं, और उनकी दुकान में पतंग की बिक्री मुख्य रूप से सीजन में ही होती है.

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Sameer Oraon
Sameer Oraon
इंटरनेशनल स्कूल ऑफ बिजनेस एंड मीडिया से बीबीए मीडिया में ग्रेजुएट होने के बाद साल 2019 में भारतीय जनसंचार संस्थान दिल्ली से हिंदी पत्रकारिता में पीजी डिप्लोमा किया. 5 साल से अधिक समय से प्रभात खबर में डिजिटल पत्रकार के रूप में कार्यरत हूं. इससे पहले डेली हंट में भी बतौर प्रूफ रीडर एसोसिएट के रूप में भी काम किया. झारखंड के सभी समसमायिक मुद्दे खासकर राजनीति, लाइफ स्टाइल, हेल्थ से जुड़े विषय पर लिखने और पढ़ने में गहरी रूचि है. तीन साल से अधिक समय से झारखंड डेस्क पर काम किया. फिर लंबे समय तक लाइफ स्टाइल डेस्क पर भी काम किया. इसके अलावा स्पोर्ट्स में भी गहरी रूचि है.

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