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झारखंड कृषि उत्पादन विधेयक-2022 का होने लगा विरोध, कल राज्य भर में बंद रहेगा खाद्यान्न कारोबार

झारखंड चेंबर के महासचिव डॉ अभिषेक रामधीन ने कहा कि केंद्र का बहाना बना कर राज्य सरकार झारखंड में फिर से कृषि बाजार शुल्क लागू करने की तैयारी कर रही है. झारखंड चेंबर इसका विरोध कर रहा है.

‘झारखंड राज्य कृषि उत्पादन और पशुधन विपणन विधेयक-2022’ के तहत दो फीसदी शुल्क लगाने के निर्णय के विरोध में राज्य भर के खाद्यान्न कारोबारी व राइस व फ्लावर मिलर्स आठ फरवरी को कारोबार बंद रखेंगे. अपने घर व प्रतिष्ठान पर काला झंडा लगा कर कारोबारियों ने विरोध के संकेत भी दे दिये हैं.

यह जानकारी सोमवार को झारखंड चेंबर ऑफ कॉमर्स एंड इंडस्ट्रीज के पदाधिकारियों ने प्रेस वार्ता में दी. उन्होंने इस शुल्क को सभी वर्गों के लिए काला कानून करार दिया.. इस मुद्दे पर आठ जनवरी को ही झारखंड चेंबर भवन में खाद्यान्न कारोबारियों की बैठक होगी.

झारखंड चेंबर के महासचिव डॉ अभिषेक रामधीन ने कहा कि केंद्र का बहाना बना कर राज्य सरकार झारखंड में फिर से कृषि बाजार शुल्क लागू करने की तैयारी कर रही है. झारखंड चेंबर इसका विरोध कर रहा है. उन्होंने बताया कि वर्ष 2015 में जब कृषि बाजार शुल्क हटाया गया, तो 73 से ज्यादा राइस मिल खुलीं. जिससे खाद्यान्न के मामले में हम पड़ोसी राज्यों से मुकाबला करने की स्थिति में आ गये.

अब जब फिर से शुल्क का अधिभार बढ़ेगा, तो किसानों, खाद्यान्न कारोबारियों के साथ ही ट्रेडर्स व उपभोक्ताओं को महंगाई की मार झेलनी होगी. इस मौके पर सह सचिव रोहित पोद्दार, शैलेश अग्रवाल, उपाध्यक्ष अमित शर्मा सहित कई अन्य लोग मौजूद थे.

करीब 60 करोड़ आय:

पूर्व चेंबर अध्यक्ष प्रवीण जैन छाबड़ा ने कहा कि अनियमितता को देखते हुए ही वर्ष 2015 में समाप्त कर दिया गया था. दोबारा इस शुल्क को लागू करने का निर्णय अव्यावहारिक भी है. झारखंड में अधिकांश कृषि उत्पादित वस्तुएं अन्य राज्यों से आयातित होती हैं, ऐसे में बाहर से आयातित वस्तुओं पर शुल्क लगाने से हर वर्ग के लोग प्रभावित होंगे.

इससे राज्य सरकार को बाजार समितियों व मंडियों के विकास के लिए महज 60 करोड़ रुपये ही मिल सकेंगे, जबकि सरकार को इससे कई गुना ज्यादा नुकसान होने की संभावना है. पदाधिकारियों ने कहा कि कृषि बाजार शुल्क लगने से उत्पाद महंगे होंगे और हम पड़ोसी राज्यों के मुकाबले से बाहर हो जायेंगे.

बिहार में बाजार समिति भंग कर दी गयी है. योगी सरकार ने इसे सभी वर्गों को हो रही असुविधा को देखते हुए हटा दिया है. पंडरा बाजार व रांची चेंबर के अध्यक्ष संजय माहुरी का कहना है कि झारखंड पहुंचने के पहले ही मंडियों में टैक्स लग चुका होता है, ऐसे में कृषि बाजार शुल्क लगाने से यहां के लोगों को डबल टैक्सेशन की मार पड़ेगी.

इधर, डीलरों की हड़ताल आज से, तीन दिनों तक नहीं बंटेगा राशन

ऑल इंडिया फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन व झारखंड फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन के आह्वान पर राशन डीलरों की तीन दिवसीय सांकेतिक हड़ताल सात फरवरी से शुरू होगी. इस वजह से राज्य के 60.29 लाख गरीब परिवारों के बीच राशन का वितरण नहीं हो पायेगा. 12 सूत्री मांगों को लेकर एसोसिएशन ने सात से नौ फरवरी तक सांकेतिक हड़ताल की घोषणा की है.

इसमें राज्य के 25,135 राशन डीलर शामिल रहेंगे. हड़ताल की अवधि में राशन डीलर ई-पॉश मशीन बंद रखेंगे. सोमवार को फेयर प्राइस शॉप डीलर्स एसोसिएशन रांची के अध्यक्ष ज्ञानदेव झा के नेतृत्व में एक दल ने रांची एसओआर को ज्ञापन सौंप कर इसकी सूचना दी है.

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