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दीवाली मनायें, रोग न फैलायें

खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है दीवाली के दिन वायु और ध्वनि प्रदूषण रांची : राजधानी के कई इलाकों में दीवाली के दिन वायु और ध्वनि प्रदूषण की मात्र तय सीमा से अधिक हो जाती है. इसलिए सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. वायु और ध्वनि प्रदूषण चार से 14 साल तक के बच्चों के लिए […]

खतरनाक स्थिति में पहुंच जाता है दीवाली के दिन वायु और ध्वनि प्रदूषण
रांची : राजधानी के कई इलाकों में दीवाली के दिन वायु और ध्वनि प्रदूषण की मात्र तय सीमा से अधिक हो जाती है. इसलिए सावधानी बरतनी बेहद जरूरी है. वायु और ध्वनि प्रदूषण चार से 14 साल तक के बच्चों के लिए बहुत खतरनाक है. सांस की बीमारी में तो यह जानलेवा भी साबित हो सकता है. इससे कई तरह की अन्य बीमारियों का खतरा भी बढ़ जाता है.
कई एजेंसियों ने वायु प्रदूषण और ध्वनि प्रदूषण से होनेवाले नुकसान पर अध्ययन भी कराया है. इसमें पाया गया है कि राजधानी के लालपुर और अलबर्ट एक्का चौक में गतवर्ष दीवाली के समय ध्वनि प्रदूषण की स्थिति नियंत्रण सीमा से अधिक थी. विशेषज्ञों का मानना है कि एक दिन की दीपावली पर हुए वायु प्रदूषण व ध्वनि प्रदूषण का असर कम से कम 10 दिनों तक रहता है. अत: हमें स्वच्छ व सुरक्षित दीवाली मनाने के लिए कम से कम प्रदूषण फैलाने की कोशिश करनी चाहिए.
125 डेसिबल ध्वनि का पटाखा प्रतिबंधित
125 डेसिबल से ज्यादा ध्वनिवाला पटाखा प्रतिबंधित श्रेणी में है. चार मीटर से नजदीक होने पर यह कानों को नुकसान पहुंचा सकता है. बोर्ड ने अस्पताल, स्कूल, अदालत आदि इलाकों को शांत जोन घोषित किया है. इनके परिसर में पटाखा फोड़ना कानूनन अपराध की श्रेणी में आयेगा. लोगों से आग्रह किया गया है कि इसका ख्याल रखें.
अस्थमा रोगियों के लिए है खतरनाक
इएसआइ अस्पताल में पदस्थापित डॉ राजेश कुमार का कहना है कि दीवाली के दिन अस्थमा के मरीजों को ज्यादा परेशानी होगी. पटाखे का धुआं सीधे अंदर चला जाता है. यह कभी-कभी गंभीर रूप भी ले सकता है. बच्चों को भी ज्यादा धुआं और ज्यादा रोशनीवाले पटाखों से बचना चाहिए.
जिनको सांस की समस्या हो, उनको पटाखों से बचना चाहिए. श्री कुमार ने कहा कि ध्वनि की भी एक सीमा है. सीमा से ज्यादा आवाज होने पर कान को नुकसान पहुंच सकता है. इससे कम सुनने की समस्या हो सकती है. इससे बचने का हर संभव प्रयास करना चाहिए.
सोशल साइट्स पर चल रहा है अभियान
कई लोग दीवाली में पटाखा फोड़ने के विरोध में सोशल साइट्स पर अभियान चला रहे हैं. लोगों में जागरूकता फैलाने की कोशिश कर रहे हैं. सीएमपीडीआइ कर्मी तथा सीटू नेता आरपी सिंह का मानना है कि दीपावली के नाम पर नोट जलाना या पटाखा जलाना एक ही बात है. अमित राय ने पटाखा जलाना छोड़े, भूख मिटाते चलें, का नारा दिया है.
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एके मिश्र ने कहा
कम प्रदूषण फैले, इसी में है दीवाली की खुशी
राज्य प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष एके मिश्र ने कहा है कि दीपावली में पर्यावरण संरक्षण का ख्याल रखना चाहिए. खुशी तब ज्यादा होगी, जब कम से कम प्रदूषण फैलेगा. यह हमारी नैतिक और सामाजिक जिम्मेदारी भी है. राजधानी में इस बार आठ स्थानों पर ध्वनि और वायु प्रदूषण की जांच की व्यवस्था की गयी है.
21 अक्तूबर को इन सभी स्थानों पर वायु प्रदूषण का सामान्य आंकड़ा रिकॉर्ड किया गया है. अब 23 अक्तूबर को हर घंटे उन स्थानों पर वायु प्रदूषण की मात्र रिकॉर्ड की जायेगी. इसके आधार पर राजधानी में वायु प्रदूषण की स्थिति का आकलन हो पायेगा. इसकी रिपोर्ट भारत सरकार के केंद्रीय प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड को भी भेजी जायेगी.

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