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रांची : महिला सिपाही देखती रह गयीं, पुरुष बने हवलदार
मामले को लेकर हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर रांची : आरक्षी वरीयता सूची अलग कर देने के कारण जैप-10 की महिला आरक्षी (सिपाही) प्रोन्नति से वंचित हो रही हैं. वर्ष 2004-2005 में नियुक्त लगभग 500 से अधिक महिला आरक्षियों की प्रोन्नति वरीयता सूची अलग होने से प्रभावित हुई है. लगभग 14 साल सेवा पूरी होने […]
मामले को लेकर हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर
रांची : आरक्षी वरीयता सूची अलग कर देने के कारण जैप-10 की महिला आरक्षी (सिपाही) प्रोन्नति से वंचित हो रही हैं. वर्ष 2004-2005 में नियुक्त लगभग 500 से अधिक महिला आरक्षियों की प्रोन्नति वरीयता सूची अलग होने से प्रभावित हुई है.
लगभग 14 साल सेवा पूरी होने के बाद भी महिला आरक्षियों को एक भी प्रोन्नति का लाभ नहीं दिया गया है, जबकि वर्ष 2006 में नियुक्त पुरुष आरक्षियों में से दर्जनों आरक्षियों को हवलदार पद पर प्रोन्नति दे दी गयी है. यह स्थिति महिला-पुरुष आरक्षियों की वरीयता सूची अलग करने के कारण हुई है. इससे महिला आरक्षियों में नाराजगी है. यह मामला झारखंड हाइकोर्ट में पहुंच गया है.
झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन जैप-10 महिला बटालियन एसोसिएशन की अध्यक्ष उर्मिला कच्छप व अन्य की अोर से हाइकोर्ट में रिट याचिका दायर की गयी है. प्रार्थियों की अोर से उक्त याचिका अधिवक्ता सुभाशीष सोरेन ने दायर की है.
उन्होंने याचिकाकर्ता की अोर से बताया कि वर्ष 2017 में एडीजीपी ने आरक्षी वरीयता सूची को अलग कर दिया. महिला व पुरुष आरक्षी की अलग-अलग वरीयता सूची तैयार कर दी गयी. इसे सेवा शर्त नियमावली का उल्लंघन बताया गया है. वर्ष 2017 के पूर्व आरक्षियों की एक ही वरीयता सूची रहती थी. याचिकाकर्ताअों ने भेदभाव का विरोध करते हुए प्रोन्नति का लाभ देने के लिए सरकार को उचित आदेश देने की मांग की है.
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