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एग्रो-फूड समिट में छाया झारखंड का कटहल, विदेशी बाजारों में मांग के अनुरूप नहीं होता उत्पादन, संभावनाएं काफी

सिंगापुर में बिक रहा है फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हैं काफी संभावनाएं बाजार के हिसाब से सरकार योजना बनाने के लिए प्रयासरत विदेशों में हो रही है झारखंड के कटहल की मांग एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 के दूसरे दिन कई विषयों पर सेमिनार आयोजित किसानों के िलए आयोजित ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट […]

सिंगापुर में बिक रहा है फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में हैं काफी संभावनाएं
बाजार के हिसाब से सरकार योजना बनाने के लिए प्रयासरत
विदेशों में हो रही है झारखंड के कटहल की मांग
एग्रीकल्चर एंड फूड समिट 2018 के दूसरे दिन कई विषयों पर सेमिनार आयोजित
किसानों के िलए आयोजित ग्लोबल एग्रीकल्चर एंड फूड समिट के दूसरे दिन शुक्रवार को विभिन्न मुद्दों पर आधा दर्जन सेमिनार का आयोजन किया गया़ इस सेमिनार में विश्व बैंक के कृषि अर्थशास्त्री से लेकर मंगोलिया के राजदूत, फिलीपींस के प्रतिनिधि और अलग-अलग राज्यों से आये उद्योगपतियों ने हिस्सा लिया़ सभी ने एक बात पर जोर िदया कि झारखंड में जमीन और मेहनतकश किसानों की कमी नहीं है़
न ही सरकार के प्रयास में कमी है़ बस जरूरत है तो नयी तकनीक को अपनाने की, क्योंकि नयी तकनीक से ही कृषि के क्षेत्र में बदलाव लाया जा सकता है़ अपने देश का उदाहरण देते हुए कहा कि किस तरह वहां के किसान इज्जत के साथ खेती करते हैं और िवकास की गाथा लिख रहे हैं.
कृषि केवल खेतों तक नहीं है, इसका बड़ा बाजार भी है : जीशान कमर
रांची : मदर डेयरी के सफल के बिजनेस हेड प्रदीप्ता कुमार साहू ने कहा कि झारखंड में फूड प्रोसेसिंग के क्षेत्र में काफी संभावनाएं हैं. झारखंड में काम करते हुए मदर डेयरी इस बात को महसूस कर रही है.
श्री साहू शुक्रवार को खेलगांव में फूड प्रोसेसिंग : इस्टर्न हब विषय पर आयोजित सेक्टोरल सेमिनार में बोल रहे थे. यहां मटर की प्रोसेसिंग हो रही है. उन्होंने कहा कि राजधानी के नगड़ी में एक प्लांट का संचालन हो रहा है. किसानों को जोड़ कर समृद्ध किया जा रहा है. यहीं से कटहल की प्रोसेसिंग शुरू की गयी है. इसकी मांग सिंगापुर में हो रही है.
वहां के लोगों के बीच यह काफी प्रसिद्ध है. सफल यहां के किसानों से मकई तैयार करा रहा है. आने वाले दिनों में जामुन का पल्प तैयार करने की योजना है. इसके लिए डाबर और पेपर बोट कंपनी से बात हुई है. बाबा फूड्स के राकेश अग्रवाल ने बताया कि उनकी कंपनी यहां चावल और आटा तैयार कर रही है. इसकी बाजार में खूब मांग हो रही है. एसएसए विजन ग्रुप के अनिरुद्ध पोद्दार ने बताया कि कंपनी झारखंड में तीन हजार एमटी का आटा मिल लगाने जा रही है.
इसका उपयोग बिस्किट बनाने में किया जायेगा. इस मौके पर उद्योग विभाग के निदेशक जीशान कमर ने कहा कि कृषि केवल खेतों तक ही नहीं है. इसका बड़ा बाजार भी है. इसके हिसाब से योजना बनाने के लिए सरकार प्रयास कर रही है. इस मौके पर प्रगति केमिकल्स इंडिया के अनूप लोढ़ा, गणपति फूड्स के अजय भंडारी तथा मॉरिश के अनिल सिंह ने भी अपनी बातें रखी. धन्यवाद ज्ञापन उद्योग विभाग के सिंगल विंडो सिस्टम के जीएम संजय कुमार ने किया.
खेती और मत्स्य पालन में हो सकता है सेंसर का उपयोग
कृषि स्टार्टअप पर आयोजित सेमिनार में आइवी कनेक्ट सोल्यूशन प्राइवेट लिमिटेड के विनोद कुमार ने कहा कि अब बिना तकनीक के विकास नहीं हो सकता है. इस कारण अब एक नये विषय पर चर्चा हो रही है. वह है द इंटरनेट ऑफ थिंग्स (आइओटी). देश के कई राज्यों के किसान इसका उपयोग करने लगे हैं. लोग सेंसर के माध्यम से मत्स्य पालन कर रहे हैं.
इसको पानी में लगाने के बाद ऑक्सीजन की स्थिति की जानकारी मिलती है. पानी का तापमान, मछली की स्थिति सब कुछ पता चलता है. इसका संचालन सोलर से होता है. इसका उपयोग मिट्टी में करने से उसमें उपलब्ध तत्वों की जानकारी मिलती है. उसमें कमी क्या है. कब पानी की जरूरत होगी, सब कुछ. इसका मैसेज किसान को मोबाइल पर मिल जायेगा. इससे किसानों को बचत भी होती है. एक सेंसर से करीब एक एकड़ में खेती हो सकती है.
प्रोफेशनल तरीके से करनी होगी खेती
महिंद्रा टॉप ग्रीन हाउस के निपुण सबरवाल ने कहा कि खेती भी अब प्रोफेशनल तरीके से करनी होगी. नये एप्रोच के साथ काम करना होगा. क्रॉप इन के कुणाल प्रसाद ने कहा कि 2010 से कंपनी शुरू हुई है. अब तक 21 लाख किसानों को डिजिटलाइज किया जा चुका है. ऑल सीजन फॉर्म फ्रेश के अब्दुल हमीद, सुरंजन महथा ने भी विचार रखे.
मैनेज हैदराबाद की जयंती सारे ने कहा कि केवल आइटी से कृषि में इनोवेशन नहीं हो सकता है. बिना आइटी के प्रयोग के भी कई किसान अच्छी कमाई कर रहे हैं. इस मौके पर कृषि विभाग के उप निदेशक विकास कुमार ने कहा कि सरकार हर स्तर पर सहयोग के लिए तैयार है. उप निदेशक कृषि इंजीनियरिंग एपी सिंह ने झारखंड में स्टार्टअप स्कीम की जानकारी दी. धन्यवाद ज्ञापन संयुक्त कृषि निदेशक सुभाष सिंह ने किया.
फिलीपींस में मांग के अनुरूप नहीं होता है कटहल का उत्पादन, झारखंड हमें भेजे
सेमिनार में फिलीपींस दूतावास के डिप्टी चीफ ने किया आग्रह
रांची : एग्रो फूड समिट के पार्टनर कंट्री सेमिनार में फिलीपींस ने झारखंड से उत्पादित सारे कटहल को खरीदने की बात कही. फिलीपींस दूतावास के डिप्टी चीफ आर्विन आरडी लियोन ने कहा कि फिलीपींस के लोगों को कटहल काफी पसंद है, पर वहां मांग के अनुरूप उत्पादन नहीं होता. झारखंड में कटहल का उत्पादन ज्यादा होता है. यहां के किसान चाहें तो फिलीपींस को कटहल का निर्यात कर सकते हैं. उन्होंने चावल के उत्पादन, डेयरी और मांस उत्पादन में भी भारत से शोध में सहयोग की मांग की.
श्री लियोन ने कहा कि फिलीपींस के प्रतिनिधि पहली बार झारखंड आये हैं. 1960 के पूर्व फिलीपींस कृषि क्षेत्र में अग्रणी था, पर बाद में औद्योगिकीकरण हुआ और लोग कृषि कार्य छोड़ने लगे. स्थिति यह है कि वहां किसान नहीं हैं. जो हैं उनकी औसत आयु 59 वर्ष है. वर्तमान सरकार ने कृषि को प्राथमिकता में रखा है. फिलीपींस पूरी दुनिया में नारियल में दूसरा, अनानास में तीसरा, केला में चौथा, चावल में आठवां और गन्ना उत्पादन में नौवें स्थान पर है.
मंगोलिया के राजदूत ने हिंदी में दिया भाषण : भारत में मंगोलिया के राजदूत गोन्चिंग गैनबोल्ड ने हिंदी और अंग्रेजी में भाषण दिया. कहा कि भारत और मंगोलिया के सांस्कृतिक संबंध काफी मजबूत हैं. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के 2015 के मंगोलिया दौर से संबंध और भी प्रगाढ़ हुए हैं. सहयोग और कार्य के क्षेत्र बढ़े हैं.
लाइन ऑफ क्रेडिट बढ़े हैं. इसका उपयोग सामाजिक, सांस्कृतिक और अार्थिक क्षेत्र में बढ़ोतरी करने में हो सकेगा. अटल बिहारी वाजपेयी के नाम पर एक प्रशिक्षण केंद्र मंगोलिया में बनाया जा रहा है.
दोनों देश नवीकरणीय ऊर्जा और रिफाइनरी के क्षेत्र में अच्छा काम कर सकते हैं.उन्होंने कहा कि मंगोलिया भारत को उच्च सम्मान में रखता है, क्योंकि यह गौतम बुद्ध की पवित्र भूमि है. लोकतंत्र, विकास और बौद्ध धर्म दोनों देशों के बीच द्विपक्षीय संबंधों के तीन मुख्य खंभे हैं. उन्होंने कहा कि मंगोलिया के इंजीनियर रिफाइनरी में प्रशिक्षण के लिए आइआइटी-आइएसएम धनबाद आयेंगे.
भारत और मंगोलिया दोनों देश आइटी और संचार में सह-संचालन कर सकते हैं. उन्होंने कहा कि मंगोलिया में कई बौद्ध धर्मग्रंथ, शिलालेख और किताबें हैं जो भारत की मदद से डिजिटल प्रारूप में परिवर्तित हो सकती हैं. उन्होंने कहा कि मंगोलिया और झारखंड के बीच सहयोग का पर्याप्त दायरा है, जो दोनों के लिए उपयोगी साबित होगा.
चीन और भारत के व्यापारिक रिश्ते प्रगाढ़
चीनी दूतावास के आर्थिक और वाणिज्यिक कंसुलर ली बाइजुन ने कहा कि चीन और भारत के व्यापारिक रिश्ते प्रगाढ़ हैं. कृषि चीनी अर्थव्यवस्था का मुख्य आधार है और लगभग 300 मिलियन किसानों को रोजगार देता है. दोनों देशों में 18 जनवरी -18 अक्तूबर के दौरान द्विपक्षीय व्यापार करीब 80 अरब अमेरिकी डॉलर का था.
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के शासनकाल में डिजिटल इंडिया, कौशल विकास ने कारोबारी माहौल बनाया और विदेशी निवेशकों को खींच लिया. चीन ने मुख्य रूप से ऑटोमोबाइल, उद्योग, बिजली के उपकरणों और यहां तक की टेक्नोलॉजी उद्योग और इंटरनेट में निवेश किया है.
चीन के इंटरनेट दिग्गजों जैसे अलीबाबा ने भारतीय बाजारों को भी प्रभावित किया है. मेक इन इंडिया के तहत श्योमी, ओप्पो, वीवो जैसी चीनी मोबाइल कंपनियों ने भारत में कारखानों को खोला है और गुणवत्ता वाले उत्पाद उपलब्ध करायें हैं. ली बाइजुन ने कहा कि झारखंड न केवल खनिजों में बल्कि कृषि और वानिकी में भी समृद्ध है. यहां कृषि विकास 9 प्रतिशत है जो महत्वपूर्ण है.
उन्होंने कहा कि दोनों देश मिल कर अपने नागरिकों की उन्नति के लिए काम कर सकते हैं. कार्यक्रम को संबोधित करते हुए विधायक डॉ जीतू चरण राम ने कहा कि झारखंड के किसान कटहल निर्यात में फिलीपींस के प्रस्ताव का लाभ लेंगे. कृषि विभाग के संयुक्त सचिव मंजुनाथ भजयंत्री ने कहा कि एशियन देशों के साथ मिल कर कृषि विकास करने की भारत की ये शानदार पहल है.

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