10.1 C
Ranchi

लेटेस्ट वीडियो

#world handwashing day 1.5 लाख सखी मंडल की सहायता से पूरे राज्य में बताया जायेगा महत्व : डॉ मधुलिका जोनाथन

रांची : इस वर्ष ‘ वर्ल्ड हैंडवॉश डे’ का थीम है ‘स्वच्छ हाथ, अच्छे स्वास्थ्य का नुस्खा. इस थीम का सीधा संबंध हाथ की सफाई और भोजन के बीच संबंधों पर केंद्रित है, जिसमें भोजन की स्वच्छता और पोषण शामिल है. गौरतलब है कि ‘हैंडवॉश’ से भोजन को सुरक्षित रखने, बीमारियों से बचाने तथा बच्चों […]


रांची :
इस वर्ष ‘ वर्ल्ड हैंडवॉश डे’ का थीम है ‘स्वच्छ हाथ, अच्छे स्वास्थ्य का नुस्खा. इस थीम का सीधा संबंध हाथ की सफाई और भोजन के बीच संबंधों पर केंद्रित है, जिसमें भोजन की स्वच्छता और पोषण शामिल है. गौरतलब है कि ‘हैंडवॉश’ से भोजन को सुरक्षित रखने, बीमारियों से बचाने तथा बच्चों के सुदृढ़ विकास में मदद मिलती है.

‘वर्ल्ड हैंडवॉश डे’ के मौके पर यूनिसेफ झारखंड की प्रमुख, डॉ मधुलिका जोनाथन कहती हैं, झारखंड आजीविका मिशन, स्वच्छ भारत मिशन, झारखंड सरकार का पेयजल एवं स्वच्छता विभाग तथा यूनिसेफ ने राज्य के 1.5 लाख सखी मंडल की सहायता से पूरे राज्य में साबुन से हाथ धोने के लाभों के बारे में लोगों तक संदेश पहुंचाने की योजना बनायी है. झारखंड आजीविका मिशन की स्व-सहायता समूह तथा जल सहिया हाथ धुलाई तथा भोजन की स्वच्छता के बारे में लोगों के अंदर जागरूकता बढ़ाने में महत्वपूर्ण भूमिका अदा कर सकती हैं. ग्राम स्वास्थ्य एवं पोषण दिवस (वीएचएनडी) तथा स्कूलों तथा आंगनबाड़ी केंद्रों में आयोजित होने वाले स्वच्छता दिवस को इस संदेश को प्रचारित-प्रसारित करने के लिए एक प्लेटफार्म के रूप में उपयोग किया जा सकता है.

हमारे देश में 70 प्रतिशत तक डायरिया का कारण भोजन का सही रखरखाव न होना और स्वच्छता की कमी है. खाद्य पदार्थ से जुड़ी बीमारियां अधिकतर कम आय वर्ग के लोगों में मृत्यु का प्रमुख कारण बनती है, खासकर 5 वर्ष से कम आयु वर्ग के बच्चों में (एडीएएमएस/डब्ल्यूएचओ 1999). दूषित भोजन कई बीमारियों और प्रकोपों का कारण बन सकता है, जिनमें से कई, खासकर गर्भवती महिला, भ्रूण तथा कमजोर प्रतिरोधक क्षमता वाले लोगों के लिए काफी खतरनाक है.

साबुन से हाथों की धुलाई के कारण खाद्य स्वच्छता व्यवहार में सुधार देखा गया है तथा इससे भोजन के दूषण में कमी आयी है. बच्चों के लिए हाथों की धुलाई के अभ्यास को लागू करना महत्वपूर्ण है. जब बच्चे खाने से पहले और शौच के बाद साबुन से हाथ धोते हैं तो वे डायरिया के खतरे को 40 प्रतिशत से अधिक कम कर देते हैं (लांसेट 2004). झारखंड में 5 वर्ष से कम उम्र के लगभग 3,000 बच्चों की मृत्यु डायरिया से हो जाती है (एसआरएस से अनुमानित, ).

दुनिया भर में 53 प्रतिशत स्कूलों में साबुन एवं पानी के हाथ धोने की सुविधा है और इसिलिए इन्हें डब्ल्यूएचओ यूनिसेफ संयुक्त निगरानी कार्यक्रम (जेएमपी) रिपोर्ट 2018 के तहत बुनियादी स्वच्छता सेवाओं के रूप में वर्गीकृत किया गया है. यूनिफाइड डिस्ट्रिक्ट इंफार्मेंशन सिस्टम फॉर एजुकेशन (यूडीआईएसई 2018) के अनुसार, झारखंड में 35 प्रतिशत विद्यालयों (13,590) में हाथ धुलाई इकाई स्थापित है तथा 98 प्रतिशत विद्यालयों में लड़कों तथा लड़कियों के लिए अलग-अलग शौचालय की सुविधा है.

साबुन से हाथों की सफाई मां और बच्चे को बीमारी तथा संक्रमण से बचाने का सबसे साधारण तथा प्रभावी तरीका है, खासकर जन्म के समय। 50 से अधिक देशों में यूनिसेफ एवं डब्ल्यूएचओ (2015) का आंकड़ा बताता है कि 35 प्रतिशत अस्पतालों तथा स्वास्थ्य केंद्रों में हाथ धुलाई के लिए नल का पानी तथा साबुन उपलब्ध नहीं है तथा 19 प्रतिशत के पास बुनियादी शौचालय नहीं है. यह मां और बच्चे के जीवन को खतरे में डालता है तथा स्वास्थ्य देखभाल कर्मचारियों में स्वच्छता की आदतों को डालने से रोकता है.

झारखंड सरकार ने स्वच्छ भारत मिशन (एसबीएम), जिला खनिज फाउंडेशन ट्रस्ट (डीएमएफटी) और 14वें वित्त आयोग के कोष के माध्यम से राज्य के सभी आंगनबाड़ी केंद्रों तथा सरकारी स्कूलों में हाथ धुलाई इकाई प्रदान की है.

Prabhat Khabar Digital Desk
Prabhat Khabar Digital Desk
यह प्रभात खबर का डिजिटल न्यूज डेस्क है। इसमें प्रभात खबर के डिजिटल टीम के साथियों की रूटीन खबरें प्रकाशित होती हैं।

Prabhat Khabar App :

देश, एजुकेशन, मनोरंजन, बिजनेस अपडेट, धर्म, क्रिकेट, राशिफल की ताजा खबरें पढ़ें यहां. रोजाना की ब्रेकिंग हिंदी न्यूज और लाइव न्यूज कवरेज के लिए डाउनलोड करिए

संबंधित ख़बरें

Trending News

जरूर पढ़ें

वायरल खबरें

ऐप पर पढें
होम आप का शहर
News Snap News Reel