Hemant Soren Returns Ranchi| रजरप्पा (रामगढ़), सुरेंद्र कुमार/शंकर पोद्दार : दिशोम गुरु शिबू सोरेन के निधन के बाद मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन 14 दिनों से अपने पैतृक गांव नेमरा में थे. इस दौरान वे पूरी तरह शोक में डूबे थे. लगातार गुरुजी के श्राद्धकर्म तथा परंपरागत अनुष्ठानों में शामिल रहे. गुरुजी को अंतिम विदाई देने के लिए झारखंड समेत अन्य राज्यों के मुख्यमंत्री, केंद्रीय मंत्री, मंत्री, नेता, कार्यकर्ता सहित लाखों लोग नेमरा पहुंचे.
17 अगस्त को दामोदर में विसर्जित हुई गुरुजी की अस्थियां
जनसैलाब ने साबित कर दिया कि शिबू सोरेन सिर्फ एक राजनीतिक व्यक्तित्व नहीं, बल्कि झारखंड की आत्मा और अस्मिता के प्रतीक थे. रविवार 17 अगस्त को रजरप्पा स्थित दामोदर नद में गुरुजी की अस्थियों का विधिवत विसर्जन किया गया. पूरा क्षेत्र भावुक हो उठा.

देर शाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन परिवार के साथ रांची गये
श्रद्धांजलि देने पहुंचे लोगों ने अश्रुपूरित नेत्रों से गुरुजी की स्मृतियों को नमन किया. प्रशासन ने भी भारी भीड़ को देखते हुए सुरक्षा और व्यवस्था के पुख्ता इंतजाम किये थे. अस्थि विसर्जन के अगले दिन सोमवार देर शाम मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन अपने परिवार के साथ रांची लौट गये.
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14वें दिन मुख्यमंत्री के चेहरे पर दिखी मुस्कान
लगभग 15 दिनों तक शोकाकुल रहने के बाद उनके चेहरे पर पहली बार मुस्कान दिखी. पूरे परिवार के साथ फोटो खिंचवाते समय वे अपेक्षाकृत सहज नजर आये. इस दौरान उन्होंने अपनी मां को स्वयं ह्वीलचेयर पर बैठाकर साथ लिया और पूरे परिवार के साथ नेमरा गांव से रांची के लिए रवाना हुए. यह दृश्य वहां मौजूद हर किसी को भावुक कर गया.
पटरी पर लौट रही राजनीतिक-सामाजिक गतिविधियां
गुरुजी के निधन के बाद पूरे राज्य में शोक की लहर फैल गयी थी. हालांकि, अस्थि विसर्जन और परंपरागत कर्मकांड पूरा होने के साथ ही अब राजनीतिक और सामाजिक गतिविधियां धीरे-धीरे पटरी पर लौट आयी है. मुख्यमंत्री के रांची लौटने को इसी कड़ी से जोड़कर देखा जा रहा है.
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