मेदिनीनगर : शुक्रवार को विश्व विश्वव्यापी पर्यावरण संरक्षण अभियान के राष्ट्रीय अध्यक्ष सह पर्यावरण धर्म व वनराखी मूवमेंट के प्रणेता पर्यावरणविद कौशल किशोर जायसवाल ने छठ व्रतियों के बीच सूखी हुई आम की लकड़ी का वितरण किया. मौके पर मौके पर पर्यावरणविद् श्री जायसवाल ने कहा कि छठ महापर्व में आम के लकड़ी का काफी महत्व है. व्रती आम की लकड़ी से ही खरना व प्रसाद बनाते हैं. जिस अनुपात में आम की लकड़ी का प्रयोग हो रहा है, उस अनुपात में पौधे नहीं लगाये जायेंगे, तो आने वाले समय में लोगों को आम की लकड़ी काफी महंगे दामों पर खरीदना पड़ेगा.
पर्यावरण धर्म के आठ मूल मंत्रों को अपनाते हुए अधिक से अधिक आम के पौधों को लगाने की जरूरत है. क्योंकि मानव के जीवन में आम के लकड़ी का काफी महत्व है. पर्यावरणविद श्री जायसवाल ने कहा कि संत, सरोवर और पौधे परोपकार के लिए ही पृथ्वी पर होते हैं. इसलिए तो कहा जाता है कि एक पेड़ 10 पुत्र के सामान होता है.
पेड़ मरने के बाद भी हिंदू को जलाने और मुस्लिम व ईसाई को दफनाने के काम आता है. उन्होंने कहा कि शहर में पत्थर, कोयला और गैस की व्यवस्था आसानी से हो जाती है. लेकिन सूखी हुई आम की लकड़ियां लोगों को बहुत महंगे दर पर मिलता है. छठ व्रती को आसानी से आम की लकड़ी उपलब्ध हो, इसी सोच के तहत वह पिछले 25 वर्षों से मेदिनीनगर व अपने गांव में छठव्रतियों के बीच आम के लकड़ी का वितरण करते आ रहे हैं.
मौके पर डाली पंचायत के मुखिया अमित कुमार जायसवाल, डॉ अर्पण जयदीप, प्राईवेट स्कूल एसोसिएशन के अविनाश वर्मा, सूचित कुमार जायसवाल, सुभाष गुप्ता, कामेश्वर विश्वकर्मा, अनुज चंद्रवंशी, बसंत सिंह, गोपाल प्रसाद, लाल मोहम्मद, छठी माझी, संतोष मेहता, दीपक चौरसिया, शमीम अंसारी सहित कई लोगमौजूद थे.