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क्रांतिकारी और व्यापक बदलाव की ओर नयी शिक्षा नीति

अच्छी शिक्षा और शिक्षित व्यक्ति ही प्रगतिशील और सभ्य समाज की रचना करते हैं. विवेकानंद जी के शब्दों में 'वर्तमान शिक्षा प्रणाली गलत है. मन तथ्यों से घिर जाता है, इससे पहले कि यह पता हो कि कैसे सोचना है

रघुवर दास, पूर्व मुख्यमंत्री झारखंड

अच्छी शिक्षा और शिक्षित व्यक्ति ही प्रगतिशील और सभ्य समाज की रचना करते हैं. विवेकानंद जी के शब्दों में ‘वर्तमान शिक्षा प्रणाली गलत है. मन तथ्यों से घिर जाता है, इससे पहले कि यह पता हो कि कैसे सोचना है.’ इसी को ध्यान में रखते हुए वर्तमान की मोदी सरकार नयी शिक्षा नीति लेकर आयी है. यह एक क्रांतिकारी बदलाव की तरफ इशारा करता है. केंद्रीय मंत्रिमंडल द्वारा पारित शिक्षा नीति में प्राथमिक शिक्षा से लेकर उच्च शिक्षा का एक व्यापक बदलाव का खाका है. इससे पूरी शिक्षा व्यवस्था में सुधार का अनुमान है. मोदी सरकार 2014 में पहली बार जिस वादे के साथ सत्ता में आयी थी, उसमें शिक्षा नीति में व्यापक बदलाव भी शामिल था.

झारखंड के परिदृश्य में नयी शिक्षा नीति : 2011 की जनगणना के अनुसार झारखंड की साक्षरता दर 67.43 प्रतिशत थी (पुरुष 78.45 प्रतिशत, महिला 56.21 प्रतिशत) जो कि राष्ट्रीय औसत में कम था. अगर हम बात करें शहरी और ग्रामीण संदर्भ में तो साक्षरता की यह खाई अब भी चिंताजनक स्थिति में है. झारखंड एक आदिवासी जनजातीय बाहुल्य प्रदेश है. जहां पर ग्रामीण आबादी ज्यादा होने के कारण लोग अपनी शिक्षा-दीक्षा पर ज्यादा ध्यान नहीं दे पाते हैं. नयी शिक्षा नीति सारे व्यवधानों से मुक्ति का मार्ग प्रशस्त करेगी, जिसमें झारखंड का प्रत्येक नागरिक अपने सपने को पूरा करने की दिशा में अग्रसर हो सकेगा.

झारखंड में भी भाजपा के नेतृत्व वाली पिछली एनडीए सरकार ने शिक्षा को जन-जन तक पहुंचाने की कई कोशिशें की थी, जिसे 21वीं सदी की इस नयी शिक्षा नीति से काफी बल मिलेगा. नयी शिक्षा नीति में इस बात पर खासा जोर दिया गया है कि पिछड़े जिले और उन क्षेत्रों पर विशेष ध्यान देने भी जरूरत है जो सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़े हैं. इस श्रेणी में राज्य के दो तिहाई जिले आते हैं. आधी आबादी के उत्थान को लेकर सरकार ने दर्जनों कदम उठाये थे.

कस्तूरबा विद्यालय में पठन-पाठन और हॉस्टल की व्यवस्थाओं में सुधार लाकर भाजपा सरकार ने लड़कियों के लिए भी बड़े सपनों के द्वार खोले थे. नयी शिक्षा नीति में कुपोषण को भी शिक्षा से जोड़ा गया है. प्रकृति के साथ-साथ झारखंड सभ्यता और संस्कृति के लिए भी जाना जाता है. नयी शिक्षा नीति में इस पर भी जोर दिया गया है. बच्चों को स्थानीय भाषा से जोड़ा जा रहा है. इस तरह के प्रावधानों में झारखंड की सभ्यता-संस्कृति को बचाने में मदद मिलेगी.

Post by : Pritish Sahay

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