Jharkhand News: झारखंड हाईकोर्ट ने सिविल जज जूनियर डिवीजन प्रतियोगिता की प्रारंभिक परीक्षा की उत्तरकुंजी को चुनौती देनेवाली याचिकाओं पर फैसला सुनाया है. इसमें याचिकाओं को आंशिक रूप से स्वीकार किया गया है. हाईकोर्ट ने यह फैसला उक्त मामले में दायर याचिकाओं की सुनवाई करते हुए किया. यह फैसला चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने सुनाया है. इसमें कहा गया कि इस परीक्षा का रिजल्ट अब केवल 98 अंक पर तय किया जाएगा.
खंडपीठ को मिली उत्तरकुंजी में गलती
इस दौरान खंडपीठ ने प्रार्थी की दलील स्वीकार किया और बुकलेट ए सीरीज के प्रश्न संख्या-आठ, 74 व 96 की उत्तरकुंजी को गलत पाया. इस पर खंडपीठ ने निर्देश दिया कि उन सबको एक नंबर दीजिये, जिन अभ्यर्थियों ने प्रश्न संख्या-आठ का जवाब ए दिया है. वहीं, खंडपीठ ने प्रश्न संख्या 74 और 96 प्रश्न को डिलीट कर दिया. इस कारण 100 अंकों की यह परीक्षा अब महज 98 प्रश्न (98 अंक) की होगी. इसी अंक पर अभ्यर्थियों का रिजल्ट भी निर्धारित होगा.
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अभ्यर्थियों का मेरिट लिस्ट जारी करे जेपीएससी- खंडपीठ
चीफ जस्टिस एमएस रामचंद्र राव और जस्टिस दीपक रोशन की खंडपीठ ने जेपीएससी (JPSC) से परीक्षा में शामिल सभी अभ्यर्थियों का अंतिम मार्क्स तैयार कर मेरिट लिस्ट जारी करने की भी बात कही है. साथ ही जेपीएससी को चार हफ्ते के अंदर सारी प्रक्रियाएं पूरी करने का निर्देश दिया है. इसके अलावा खंडपीठ ने प्रार्थियों के उस आग्रह को भी स्वीकार कर लिया है, जिसमें कुल वैकेंसी के 15 गुना अभ्यर्थियों को मुख्य परीक्षा के लिए सफल घोषित करने का निवेदन किया गया है.
हाईकोर्ट में सुनवाई के दौरान प्रार्थियों की ओर से अधिवक्ता मनोज टंडन, अधिवक्ता सुमित गाड़ोदिया और अधिवक्ता शैलेश पोद्दार ने बहस की. इन्होंने खंडपीठ को जानकारी दी कि पीटी के रिजल्ट में कई गलतियां हैं, साथ ही कुछ प्रश्नों में भी त्रुटियां हैं. लेकिन जेपीएससी द्वारा गलतियों में सुधार किये बगैर ही रिजल्ट तैयार कर दिया. वहीं, जेपीएससी की ओर से अधिवक्ता संजय पिपरावाल, अधिवक्ता प्रवीण कुमार पांडेय, अधिवक्ता प्रिंस कुमार व अधिवक्ता अमित कुमार ने पैरवी की, जिन्होंने खंडपीठ के सामने पीटी रिजल्ट को सही बताया.