जमशेदपुर-हजारों सालों से आदिवासी समाज अपनी सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक नियम व संस्कार आदि को मौखिक साहित्य के रूप में संरक्षण करते आ रहे हैं. लिखित रूप में इनका कोई दस्तावेज नहीं है, लेकिन अब वह दिन दूर नहीं जब आदिवासियों के सामाजिक, सांस्कृतिक व धार्मिक तमाम नियम-विधि व संस्कार आदि का दस्तावेजी होगा. पंचायती राज मंत्रालय, भारत सरकार एवं पंचायत राज विभाग झारखंड द्वारा संयुक्त रूप से क्रियान्वित हमारी परंपरा-हमारी विरासत अभियान के तहत अनुसूचित क्षेत्रों में निवास करने वाले अनुसूचित जनजातियों के परंपरा एवं रूढ़िवादी व्यवस्था के दस्तावेजीकरण का काम शुरू हो चुका है. फिलहाल पायलट प्रोजेक्ट के रूप में पूर्वी सिंहभूम जिले के धालभूमगढ़, चाकुलिया और बहरागोड़ा प्रखंड के 9-9 गांवों में दस्तावेजीकरण के लिए ग्रामस्तर पर टीम को तैयार किया जाएगा. इसको लेकर झारखंड सरकार के पंचायती राज विभाग द्वारा 11 मार्च 2025 को आदेश भी जारी कर दिया गया है.
दस्तावेजीकरण के लिए समिति का गठन
रविवार को चाकुलिया प्रखंड के कुचियाशोल गांव में ग्रामस्तर पर परंपरा व विरासतों के दस्तावेजीकरण के लिए एक समिति का गठन किया गया. जिसमें नौ लोगों की एक समिति बनायी गयी है. इसमें महीराम सोरेन, मेघराय मार्डी, बरिसा मुर्मू, सुनील मुर्मू, लखाई मुर्मू, किशुन सोरेन, विजय बल्लभ टुडू, महाचंद हांसदा एवं पूर्णचंद मुर्मू को जिम्मेदारी दी गयी है. समिति का गठन राज्य स्तरीय कॉ-ऑर्डिनेटर पंचानन सोरेन व प्रो. श्याम मुर्मू की देखरेख में किया गया. बताते चलें कि झारखंड के दूसरे जिलों में आदिवासियों के परंपरा व विरासतों को दस्तावेजीकरण के लिए समिति का गठन का कार्य चल रहा है.
ये भी पढे़ं: झारखंड में आंधी-तूफान के साथ झमाझम बारिश और ओलावृष्टि, प्रचंड गर्मी से मिली राहत, पेड़ गिरने से सड़क जाम
चाकुलिया प्रखंड के इन गांवों में बनी है दस्तावेजीकरण समिति
कुचियाशोल, सालकागड़िया, रसपाल, सिंदुरगौरी, राजबांध, नीमडीहा, गड़गड़िया, पुखिरिया, सोखाभांगा