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बाघिन की मौत साजिश, सीएम करायें जांच

जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सह पूर्व मंत्री सरयू राय ने पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री की है. उन्होंने कहा है कि बाघिन की मौत को गौर (विजन) नामक जानवर के झुंड का हमला बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करने वाले […]

जमशेदपुर : जमशेदपुर पूर्वी से विधायक सह पूर्व मंत्री सरयू राय ने पलामू टाइगर रिजर्व में बाघिन की मौत के मामले की उच्चस्तरीय जांच कराने की मांग मुख्यमंत्री की है. उन्होंने कहा है कि बाघिन की मौत को गौर (विजन) नामक जानवर के झुंड का हमला बताकर मामले को रफा-दफा करने की कोशिश करने वाले वन विभाग के अधिकारियों पर कानूनी कार्रवाई की प्रक्रिया आरंभ की जानी चाहिए. मामले में वन अधिकारियों ने लापरवाही बरती है और नेशनल टाइगर कंजर्वेशन अथॉरिटी के प्रावधानों के अनुरूप काम नहीं किया है.

श्री राय ने शनिवार काे प्रेस काे दिये वक्तव्य में सवाल उठाया कि चीफ वाइल्ड लाइफ वार्डन ने आज तक घटनास्थल का दौरा कर मामले का स्वयं पर्यवेक्षण क्यों नहीं किया. जहां पर बाघिन मरी है वहां खून का एक कतरा भी नहीं है. गौर के हमले में ऐसा संभव नहीं. अधिकारी बता रहे हैं कि बाघिन बूढ़ी हो गई थी, उसके नाखून झड़ गये थे.
मृत बाघिन की तस्वीर देखने से स्पष्ट है कि उसके सभी पैरों के नाखून यथावत हैं, वे झड़े नही हैं. तस्वीर में बाघिन की नाक का रंग गुलाबी दिख रहा है. यह उसके जवान होने का लक्षण है. एनटीसीए के प्रावधान के मुताबिक बाघ/बाघिन की ऐसी मौत की जांच यह मानकर शुरू की जाती है कि यह मौत शिकारी की गोली से हुई है.
एनटीसीए के प्रावधान के अनुसार एनटीसीए के प्रतिनिधि की मौजूदगी में पोस्टमार्टम् होना है जो नहीं हुआ है. बाघिन का शव जलाने की इतनी अफरा-तफरी वन विभाग को क्यों थी? वन विभाग के अधिकारी बाघिन की मौत के सबूत मिटाने व एनटीसीए के प्रोटोकॉल की धज्जियां उड़ाने के दोषी हैं. उन्हें यह एक सुनियोजित साजिश का हिस्सा लगता है.

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