जमशेदपुर : भारतीय तीरंदाज कोमोलिका बारी ने रविवार को स्पेन में विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट बालिका वर्ग के एकतरफा फाइनल में जापान की उच्च रैंकिंग वाली सोनोदा वाका को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया. जमशेदपुर की टाटा तीरंदाजी अकादमी की 17 साल की खिलाड़ी कोमालिका अंडर-18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली भारत की दूसरी तीरंदाज बनी. उनसे पहले दीपिका कुमारी को 2009 में यह खिताब मिला था. कोमोलिका ने सेमीफाइनल मुकाबले में भी प्रभावशाली प्रदर्शन किया था.
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जमशेदपुर की कोमोलिका बनी कैडेट विश्व आर्चरी चैंपियन
जमशेदपुर : भारतीय तीरंदाज कोमोलिका बारी ने रविवार को स्पेन में विश्व युवा तीरंदाजी चैंपियनशिप के रिकर्व कैडेट बालिका वर्ग के एकतरफा फाइनल में जापान की उच्च रैंकिंग वाली सोनोदा वाका को हराकर स्वर्ण पदक हासिल किया. जमशेदपुर की टाटा तीरंदाजी अकादमी की 17 साल की खिलाड़ी कोमालिका अंडर-18 वर्ग में विश्व चैंपियन बनने वाली […]
विश्व तीरंदाजी से निलंबन लागू होने से पहले भारत ने अपनी आखिरी प्रतियोगिता में दो स्वर्ण और एक कांस्य पदक के साथ अभियान का समापन किया. इस महीने की शुरुआत में विश्व तीरंदाजी संस्था ने भारत को निलंबित करने का फैसला किया था.
जिसके हटने तक अब कोई भी भारतीय तीरंदाज देश का प्रतिनिधित्व नहीं कर पायेगा. भारतीय तीरंदाजों ने इससे पहले शनिवार को मिश्रित जूनियर युगल स्पर्धा में स्वर्ण और शुक्रवार को जूनियर पुरुष टीम स्पर्धा में कांस्य जीता था.
कोमोलिका से पहले दीपिका व पलटन ने किया था कमाल
कैडेट वर्ल्ड आर्चरी चैंपियनशिप जूनियर स्तर पर सबसे बड़ा टूर्नामेंट है. इस टूर्नामेंट में अभी तक तीन भारतीय ने स्वर्ण पदक हासिल किया है. इसमें तीनों ही भारतीय झारखंड के हैं. कोमोलिका से पहले दीपिका कुमारी (2009) और सरायकेला के पलटन हांसदा (2006) ने चैंपियन बनने का गौरव हासिल किया है.
मैं काफी खुश हूं. मैं इतना बड़ा खिताब केवल अपने कोच के कारण ही जीत पायी हूं. उनका योगदान बहुत बड़ा है. मैं फाइनल में थोड़ा नर्वस जरूर थी, लेकिन हर तीर शूट करने से पहले मैं लंबी, लंबी सांसें लेकर कोच द्वारा बताये गये तरीके से अपने आप को एकाग्र करने की कोशिश कर रही थी.
-कोमोलिका बारी, आर्चर, भारत
झोली में पांच पदक : दो बार फाइनल में हार गयी थीं
साल 2017 और 2018 में रजत जीता था और फाइनल में हार गयी थीं. 2013 व 2014 में कांस्य से संतोष करना पड़ा था. अब सिंधु के खाते में पांच पदक हो गये हैं.
42 साल के इतिहास में सिंधु चैंपियन बननेवाली पहली भारतीय बन गयीं
2015 के फाइनल में साइना नेहवाल हारी
1983 में प्रकाश पादुकोण और 2019 में बी साई प्रणीत ने कांस्य पदक जीता
ज्वाला गुट्टा और अश्विनी पोनप्पा की जोड़ी ने 2011 में महिला डबल्स में कांस्य जीता था
भारत को दूसरी बार दो पदक
वर्ल्ड चैम्पियनशिप के इतिहास में यह सिर्फ दूसरा मौका होगा, जब भारतीय शटलर दो पदक के साथ स्वेदश लौटेंगे. इससे पहले 2017 में साइना ने कांस्य जीता था. वहीं, सिंधु ने रजत पदक अपने नाम किया था.
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