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कलयुगी ”गंगा” ने बच्चे को नाली में बहाया, ऐसी क्या बेबसी थी ”मां”, जो तूने मुझे मरने के लिए छोड़ दिया
जमशेदपुर : ‘मां’ मुझे कुछ ही समय तो हुआ था, इस दुनिया में आंखें खोले हुए. तुमने अंधेरी रात में दुनिया से छुप-छुपा के नाली में मुझे अकेले छोड़ दिया. मुझे पता ही नहीं कि मैंने कोई कुसूर किया था या तुमने इस दुनिया की नजरों में कोई कुसूर किया था. लेकिन यह ताे सही […]
जमशेदपुर : ‘मां’ मुझे कुछ ही समय तो हुआ था, इस दुनिया में आंखें खोले हुए. तुमने अंधेरी रात में दुनिया से छुप-छुपा के नाली में मुझे अकेले छोड़ दिया. मुझे पता ही नहीं कि मैंने कोई कुसूर किया था या तुमने इस दुनिया की नजरों में कोई कुसूर किया था. लेकिन यह ताे सही है कि मैं अब इस दुनिया में नहीं रहा.
यह सही है कि तुमने नौ महीने तक अपने पेट में रख मुझको जिंदगी दी, लेकिन यह सामाजिक व्यवस्था की खामी है या फिर ऊपर बैठे भगवान की, जो मुझे इस तरह तड़प-तड़प के अपनी जान देनी पड़ी. ‘मां’ यदि यह समाज मेरे रहने लायक नहीं था, तो तुम्हारी भी तो कुछ जिम्मेदारी बनती थी, मुझे तुम उस दुनिया में क्यों नहीं ले गयी, जहां सिर्फ हम दोनों होते.
तुम्हारा लाड़-प्यार होता और परियों की कहानी. यदि तुम मुझे इस समाज में रहने देती, तो शायद उन सब लड़ाई में मैं तेरे साथ होता, जो अब तुझे अकेले लड़नी है. मैं तो इस दुनिया को छोड़ चुका हूंं और यह भी सच्चाई है कि तुम मुझे जिंदगी भर भूल नहीं पाओगी. मैं बस इसी उम्मीद के साथ जा रहा हूं कि कोई मां अब इस तरह मुझ जैसे मासूम को कहीं नदी किनारे, नाली में या फिर झाड़ी में मरने के लिए नहीं छोड़ेगी.
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