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ऑटो कलस्टर : तीन माह में घाटे से उबर जायेगी कंपनी, 4.10 लाख प्रतिमाह घाटा
आदित्यपुर : औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों को कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से 65.63 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2005 में स्थापित आदित्यपुर ऑटो कलस्टर (एएसी) घाटा में चल रही है. कंपनी को इस समय प्रतिमाह 4.10 लाख रुपये का घाटा हो रहा है. प्रतिमाह […]
आदित्यपुर : औद्योगिक क्षेत्र के उद्योगों को कई प्रकार की सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए केंद्र व राज्य सरकार के सहयोग से 65.63 करोड़ रुपये की लागत से वर्ष 2005 में स्थापित आदित्यपुर ऑटो कलस्टर (एएसी) घाटा में चल रही है. कंपनी को इस समय प्रतिमाह 4.10 लाख रुपये का घाटा हो रहा है. प्रतिमाह कंपनी को विभिन्न मदों में दस लाख रुपये खर्च करने पड़ते हैं, जबकि इसकी आय अबतक 2.77 लाख रुपये थी, जो बढ़कर 5.90 लाख रुपये हुई है.
कंपनी की 13वीं वार्षिक आमसभा (एजीएम) में उम्मीद जतायी गयी कि इस घाटा से कंपनी अगले तीन माह में उबर जायेगी. बैठक में निदेशक मंडल के सदस्य जियाडा के क्षेत्रीय उपनिदेशक हरि कुमार केशरी, कंपनी के एमडी एसएन ठाकुर, आरके सिन्हा, इंदर अग्रवाल, संतोष खेतान, दिलीप गोयल, संजय सिंह व दर्जनों शेयर होल्डर उपस्थित थे.
एजीएम में आय-व्यय के ब्योरे को स्वीकृति प्रदान की गयी और दो साल का कार्यकाल पूरा कर चुके निदेशक दिलीप गोयल की जगह विनोद देबुका को निदेशक मंडल का सदस्य बनाया गया. इसके अलावा एन अग्रवाल एंड कंपनी को तीन सालों के लिए अंकेक्षक नियुक्त किया गया.
लाभ में लाने के हो रहे उपाय : एएसी प्रबंधन कंपनी को लाभ ने लाने के उपाय पर गंभीरता से विचार करते निदेशकों व शेयर होल्डरों से मिले सुझाव पर अमल कर रहा है.
यह प्रयास हो रहा है कि घाटा पाटने के लिए जमा पूंजी वेतन आदि के भुगतान में खर्च न हो. काम नहीं कर पा रहे व उच्च वेतनमान वाले अधिकारी हटाये गये. साथ ही लाखों की लागत से बने एक्जिबीशन सेंटर इस तरह तैयार किया जा रहा है कि छह माह के अंदर यह आय का अच्छा स्त्रोत बन जायेगा. इसके लिए इसे पांच साल के ठेके पर दिया जायेगा.
साथ ही यहां लगे सभी प्रकार की आधुनिक मशीनों को उपयोगी बनाने के उपाय किये जा रहे हैं, ताकि इनके उपयोग से राजस्व प्राप्त हो. तकनीकी प्रशिक्षण देने के क्षेत्र में भी कंपनी को आगे बढ़ाने का प्रयास किया जा रहा है. कंपनी में इस समय 135 शेयर होल्डर हैं. इनकी भी संख्या बढ़ाये जाने का प्रयास किया जा रहा है.
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