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हजारीबाग की मिट्टी में लहलहा रही काला नमक धान की फसल

विष्णुगढ़, बड़कागांव व सदर के किसानों ने शुरू की खेती

हजारीबाग. हजारीबाग जिले के किसानों ने अब अपने खेतों में देश-दुनिया में प्रसिद्ध काला नमक चावल की खेती शुरू की है. अपनी अनोखी सुगंध और स्वाद के लिए मशहूर इस पारंपरिक धान की विष्णुगढ़, बड़कागांव व सदर सहित कई प्रखंडों के किसानों ने रोपाई की है. यह धान मूल रूप से उत्तर प्रदेश के हिमालय की तराई क्षेत्र में उगायी जाती है. काला नमक चावल को जीआइ (जियोग्राफिकल इंडिकेशन) टैग भी प्राप्त है, जिससे इसकी वैश्विक पहचान और भी मजबूत हुई है. अब हजारीबाग की मिट्टी में भी इसकी खुशबू फैलने लगी है.

बड़कागांव प्रखंड के गुरुचट्टी गांव के किसान पोखरण राणा ने बताया कि इस वर्ष उन्होंने करीब पांच कट्ठा में काला नमक धान की बुआई की है. उन्होंने बताया कि इसकी खेती सामान्य धान की तरह ही की जाती है. यह धान करीब 130 से 145 दिनों में पककर तैयार हो जाती है. इस धान को तैयार होने से पहले दो बार एंजाइन का छिड़काव किया जाता है. पोखरण राणा कहते हैं कि काला नमक धान की खासियत इसकी खुशबू और स्वाद है. इसके चावल की मांग धीरे-धीरे बाजार में बढ़ रही है, जिससे किसानों को अच्छी आमदनी की उम्मीद है.

आयरन, जिंक व विटामिन एक की मात्रा भरपूर

काला नमक चावल में एक खास किस्म की सुगंध होती है, जो इसे अन्य चावल की किस्मों से अलग बनाती है. इसके दाने हल्के भूरे रंग के होते हैं और भूसी काली होती है, इसी कारण इसे काला नमक धान नाम मिला है. विशेषज्ञों के अनुसार, इस चावल में आयरन, जिंक और विटामिन ए (बीटा-कैरोटीन के रूप में) भरपूर मात्रा में पाया जाता है. इसका ग्लाइसेमिक इंडेक्स कम होने के कारण यह मधुमेह रोगियों के लिए भी बेहतर माना जाता है.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

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