गुमला. गुमला जिले के सभी 12 प्रखंडों में करम पर्व धूमधाम से मनाया गया. करम पर्व में दिखा की हमारी परंपरा आज भी जीवित है. मौके पर करम डाल को आंगन में गाड़ कर पूजा की गयी. करम डाल की पूजा के बाद लोग पारंपरिक वेशभूषा में मांदर व नगाड़ा की थाप पर नाचे. इसके बाद गुरुवार की सुबह करम डाल का विधि-विधान से नदी व तालाब में विसर्जन किया गया. शहर के उरांव छात्रावास में समारोह हुआ, जिसमें विधायक भूषण तिर्की समेत कई अधिकारी शामिल हुए. विधायक ने मांदर बजाते हुए खूब थिरके. मौके पर विधायक भूषण तिर्की ने कहा है कि प्रकृति पर्व करम गुमला जिले में धूमधाम व पारंपरिक तरीके से मनाने की परंपरा रही है. यह पर्व भाइयों व बहनों के पवित्र प्रेम को दर्शाता है. इस दिन बहनें अपने भाइयों की सुख-समृद्धि और दीर्घायु होने की कामना करती है. इसके अलावा परंपरा के अनुसार धान को खेत में रोपने के बाद यह त्योहार मनाया जाता है. कहा कि जिस प्रकार सरहुल में सखुआ फूल की पूजा की जाती है, उसी प्रकार करम में करम शाखा की पूजा की जाती है. करम डाल की पूजा इस दिन करम डाली (करम डाइर) की पूजा की जाती है. आदि परंपरा के अनुसार करम की डाली को पूरे रीति-रिवाज के साथ आदिवासियों के धार्मिक स्थल अखरा में लगाया जाता है. करम पर्व में जावा का महत्व काफी होता है. विधायक ने कहा कि वर्तमान पीढ़ी प्राचीन परंपरा व संस्कृति को जीवित रखें. मौके राजू उरांव, रंजीत सिंह सरदार समेत हजारों युवक व युवती शामिल थे.
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