::::: दोस्तों की जुबानी शहीद की वीरता की कहानी 3 गुम 46 में मेजर डीएन दास3 गुम 47 में कैप्टन एचएनपी सिंह3 गुम 48 में जनार्दन कुमार3 गुम 49 में गौड़ी उरांवदुर्जय पासवान, गुमलापरमवीर चक्र विजेता शहीद अलबर्ट एक्का के साथ 1971 के युद्ध में मेजर डीएन दास, कैप्टन ह्रदयानंद प्रसाद सिंह व सिपाही गौड़ी उरांव थे. पवित्र मिट्टी लाने में डीएन दास व ह्रदयानंद जी का भी बहुत बड़ा योगदान रहा है. तीनों दोस्त गुरुवार को जारी गांव आये थे. पूरे कार्यक्रम में भाग लिये. इस दौरान इन लोगों ने तीन दिसंबर 1971 के युद्ध की कहानी बतायी. किस प्रकार अलबर्ट एक्का ने दुश्मनों को जवाब दिये और जीत का तिरंगा झंडा गाड़ा. मेजर डीएन दास ने कहा : अगर अलबर्ट एक्का नहीं रहते तो उस युद्ध में 150 भारतीय सेना मारे जाते. लेकिन इस छोटे से गांव के आदिवासी युवक अलबर्ट ने जिस साहस का परिचय दिया. उसे बयां नहीं किया जा सकता. अपनी जान देकर उन्होंने जवानों की जान बचायी. इतना ही नहीं जीत का झंडा भी गाड़ दिया. बंदर की तरह वह टॉप टावर पर चढ़ा और मशीनगन को छिन लिया. ह्रदयानंद प्रसाद सिंह ने कहा : जिस समय अलबर्ट शहीद हुआ, उस समय शहीद के शव को लाने की व्यवस्था नहीं थी. इस कारण अगरतला में ही दफन क्रिया किया गया था. उस वक्त जो पल था, आज भी याद कर आंखों में आंसू आने के साथ जोश भी भर जाता है. पूरे साहस के साथ अलबर्ट ने हम सबों की जान बचायी थी. आज खुशी होती है कि 44 साल बाद उनकी पवित्र मिट्टी को गांव लाया गया. हम पूरे दिल से उनको नमन करें. उनकी पवित्र मिट्टी से प्रेरणा लें कि इस क्षेत्र का हर एक जवान सेना में जायें और उनकी तरह वीरता प्रस्तुत करें. उन्होंने जारी गांव की दुर्दशा पर चिंता प्रकट की. श्री सिंह ने कहा : हमलोग सीएम से मांग करेंगे कि इस क्षेत्र का जल्द विकास हो. गौड़ी उरांव ने कहा : अलबर्ट एक्का जब शहीद हुआ था, तो मैंने ही उसे अपने हाथ में उठाया था. उसे कब्र तक ले गया था. उसकी वीरता की जितनी कहानी कही जाये, कम होगी. आज मैं यहां इसलिए आया कि उनका पवित्र मिट्टी लाया गया है. यह बहुत ही खुशी की बात है. अगरतला के दुगली से पवित्र मिट्टी लेकर पहुंचे बीएसएफ के जवान जनार्दन कुमार ने कहा : पूरी प्रक्रिया पूर्ण होने के बाद ही मिट्टी लायी गयी है. इसके कई साक्ष्य हमारे पास है. शहीद की मिट्टी वह भी परमवीर चक्र की मिट्टी लाने में जो प्रक्रिया होती है. उसे पूरी तरह पूरी की गयी है. इन लोगों के अलावा सेना के कई अधिकारी आये थे. सैनिक संगठन के अनिरुद्ध सिंह, निदेशक बीएस पाठक, रामचंद्र राम सहित कई लोग थे. सभी लोगों ने शहीद की वीरता के बारे में बताया.
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::::: दोस्तों की जुबानी शहीद की वीरता की कहानी
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