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पुल बहा, टापू बन गये दर्जनभर गांव
गुमला : गुमला के करमटोली का पुल गत बुधवार की रात्रि पानी की तेज बहाव में बह गया. बुधवार को दोपहर से ही तेज बारिश हो रही थी. जो गुरुवार की सुबह तक जारी रहा. जिससे नदी का जलस्तर बढ़ गया और करमटोली पुल बह गया. पुल के बहने से तेलगांव, कोनाटोली, सेमरटोली, डंभाटोली, महुआटोली, […]
गुमला : गुमला के करमटोली का पुल गत बुधवार की रात्रि पानी की तेज बहाव में बह गया. बुधवार को दोपहर से ही तेज बारिश हो रही थी. जो गुरुवार की सुबह तक जारी रहा. जिससे नदी का जलस्तर बढ़ गया और करमटोली पुल बह गया. पुल के बहने से तेलगांव, कोनाटोली, सेमरटोली, डंभाटोली, महुआटोली, बोकटा व सिकोई सहित दर्जनभर गांवों के ग्रामीणों का संपर्क जिला मुख्यालय से कट गया है. पुल बहने के कारण पुल के समीप के खेतों में पानी भर गया है.
खेतों में धान की खेती की गयी है, जो सुकरा पहान और रामलखन सिंह का है. खेत में पानी भरने के कारण इन किसानों को आर्थिक नुकसान हुआ है. वनराज मुंडा, पचवा उरांव, बजरंग उरांव सहित अन्य किसान धानरोपनी करने की तैयारी में थे. लेकिन पुल के बहने और खेतों में पानी भर जाने के कारण वे धानरोपनी नहीं कर पाये.
प्रशासन से उम्मीद बेकार है : प्रदीप चौधरी, बलराम बड़ाइक, मनोज साहू, रंजीत तिर्की, राजकुमार चौधरी, सत्यनारायण बड़ाइक, विभु बड़ाइक आदि लोगों ने बताया कि पुल लगभग 35 वर्ष पुराना है. जो तेलगांव पंचायत सहित दर्जनभर गांवों को जिला मुख्यालय से जोड़नेवाला मुख्य मार्ग है. लेकिन इन 35 वर्षो के अंतराल में एक बार भी शासन अथवा प्रशासन की ओर से पुल की मरम्मत नहीं करायी गयी.
प्रशासन से उम्मीद करना भी बेकार है. इधर दो वर्ष पूर्वभी पुल क्षतिग्रस्त हो गया था. उस समय भी प्रशासन ने सहयोग नहीं किया. नतीजा पंचायत स्तर पर ही पुल की मरम्मत करायी गयी थी.
अपने ही गांव में कैद हुए ग्रामीण : पुल बहने से ग्रामीणों के समक्ष बड़ी विकट समस्या उत्पन्न हो गयी है. क्योंकि उक्त मार्ग एक दर्जन से भी अधिक गांवों के हजारों ग्रामीणों का मुख्य मार्ग है. पुल टूट जाने के कारण वे अपने ही गांवों में कैद हो गये हैं. पुल बहने से सबसे ज्यादा परेशानी विद्यार्थियों को हुई है.
सुबह विद्यालय जाने के लिए जब विद्यार्थी वहां पहुंचे तो टूटे हुए पुल को देख कर निराश हो गये. उस समय पानी का बहाव इतना तेज था कि पानी पुल के उपर से होकर बह रहा था. वे बैरंग अपने घरों की ओर लौट गये.
इसी तरह गांव के अन्य ग्रामीण भी टूटे हुए पुल को देख कर अपने-अपने घरों की ओर लौट गये. बाद में पानी कम होने के बाद कुछ ग्रामीण जान जोखिम में डाल कर गार्डवाल पर चढ़ कर पार हुए.
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