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‘कैरव काव्यत्रयी’ व ‘बिखरे लावा दाने’ का लोकार्पण
हूल दिवस पर साहित्य प्रेमियों का लगा जमावड़ा गोड्डा : मंगलवार को स्थानीय विद्यापति भवन में हूल दिवस पर एक साथ दो ख्याति प्राप्त साहित्यकारों का पुस्तक लोकार्पण हुआ. जिसमें कैरव द्वारा लिखी गयी पुस्तक कैरव काव्यत्रयी तथा उपेंद्र नाथ झा अमरावत द्वारा लिखी बिखरे लावा दाने का लोकार्पण किया गया. कार्यक्रम में मुख्य अतिथि […]
हूल दिवस पर साहित्य प्रेमियों का लगा जमावड़ा
गोड्डा : मंगलवार को स्थानीय विद्यापति भवन में हूल दिवस पर एक साथ दो ख्याति प्राप्त साहित्यकारों का पुस्तक लोकार्पण हुआ. जिसमें कैरव द्वारा लिखी गयी पुस्तक कैरव काव्यत्रयी तथा उपेंद्र नाथ झा अमरावत द्वारा लिखी बिखरे लावा दाने का लोकार्पण किया गया.
कार्यक्रम में मुख्य अतिथि पूर्व डीडीसी गोड्डा सह आवास बोर्ड के अध्यक्ष दिलीप झा, प्रसिद्ध आलोचक डॉ खगेंद्र ठाकुर, स्वतंत्रता सेनानी महेश्वर झा एवं नगर अध्यक्ष अजीत कुमार सिंह द्वारा संयुक्त रूप पुस्तक का लोकार्पण किया गया. इस दौरान श्री झा ने कहा कि गोड्डा साहित्य से लेकर सामाजिक सरोकार के मामले में काफी उर्वरक है. गोड्डा तथा आस-पास के विभिन्न जिलों में रह कर काम करने का मौका मिला है.
गोड्डा के प्रथम विधायक बुद्धिनाथ झा कैरव स्वतंत्रता सेनानी, कुशल राजनेता तथा साहित्य प्रेमी थे. उनकी ईमानदारी केवल इस बात से ही झलकती है कि आज उनके पास रहने को अपना मकान भी नहीं है. आज गोड्डा के पहले विधायक को लोगों ने भुला दिया है. उनके पैतृक गांव सनौर तक पक्की सड़क भी मयस्सर नहीं है. गोड्डा के युवाओं क ो ऐसे विभूतियों की कृति का प्रचार-प्रसार करना चाहिए.
वहीं प्रसिद्ध आलोचक सह साहित्यकार डॉ खगेंद्र ठाकुर ने कहा कि कैरव जी ऐसे विलक्षण प्रतिभा के धनी थे. उनके साथ रह कर कई कार्यक्रमों में शामिल होने का मौका मिला है. उन्होंने कहा कि वे एक राजनेता भी थे. यही कारण था कि साहित्य से उनका लगाव हो गया.
कैरव जी द्वारा लिखी गयी अछूत नामक काव्य संग्रह जो 1933 में लिखा गया था. साहित्य के कई सिद्धांतों को रखा है. कहा कि साहित्यकार कैरव जी कि कविता संग्रह कैरव काव्यत्रयी में अछूतों के प्रति जो संवेदना है, वह इस बात को सिद्ध करता है कि उनके अंदर की भावना कितना सौम्य रहा होगा. कार्यक्रम के दौरान साहित्यकार सुशील कुमार झा ‘साहिल’ ने अपनी रचना को गा कर सुनाया. वहीं वक्ताओं में अजीत कुमार सिंह, रविशंकर झा, प्रो अनिरुद्ध दयाल, डॉ नीरज ने भी अपनी बातों को रखा.
कडिया पर लिखी कविता
साहित्यकार शिवकुमार भगत की रचना कङिाया की प्रस्तुति की गयी. समाज तथा व्यवस्था पर करारा प्रहार करने वाली कविता को सुन उपस्थित लोगों ने खूब सराहना की. कार्यक्रम का संयोजन सर्वजीत झा द्वारा किया गया. जबकि मंच संचालन सुरजीत झा कर रहे थे.
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