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ओके::फ्लैग-छोटा डोरमा गांव में समस्याओं का मकड़जाल

-गांव में एक भी चापानल व कुआं नहीं-पानी के लिए दूसरे गांव पर निर्भर हैं ग्रामीणप्रतिनिधि, बोआरीजोरबोआरीजोर प्रखंड अंतर्गत डोरमा गांव में समस्याओं का अंबार है. गांव में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है. यह गांव प्रखंड मुख्यालय से महज पांच किमी पर बसा है. डोरमा गांव की आबादी करीब 500 है. गांव में कुल 80 […]

-गांव में एक भी चापानल व कुआं नहीं-पानी के लिए दूसरे गांव पर निर्भर हैं ग्रामीणप्रतिनिधि, बोआरीजोरबोआरीजोर प्रखंड अंतर्गत डोरमा गांव में समस्याओं का अंबार है. गांव में मूलभूत सुविधाएं भी नहीं है. यह गांव प्रखंड मुख्यालय से महज पांच किमी पर बसा है. डोरमा गांव की आबादी करीब 500 है. गांव में कुल 80 घर हैं. गांव में पेयजल की सुविधा नदारद है. गांव में एक भी चापानल व कुआं नहीं है. प्रतिदिन गांव की महिलाएं तलबडि़या गांव से पानी लाने जाती हैं. ग्रामीणों ने बताया कि गांव के गरीबों को इंदिरा आवास का लाभ भी नहीं मिल रहा है. ग्रामीण प्रखंड कार्यालय का चक्कर काट कर थक चुके हैं. यहां के बुजुर्ग ग्रामीणों को वृद्धावस्था पेंशन का लाभ भी नहीं मिल रहा है. ग्रामीणों ने बताया कि स्थानीय जनप्रतिनिधियों व प्रखंड प्रशासन की लापरवाही के कारण यह स्थिति उत्पन्न हुई है. ग्रामीणों में काफी रोष है. ———————” 10 ग्रामीणों के नाम इंदिरा आवास की स्वीकृति के लिए भेजा गया है. गांव में पेयजल की सुविधा के लिए कई बार विभाग को आवेदन दिया गया है. पेंशन की स्वीकृति के लिए आवेदन प्रखंड कार्यालय को दिया गया है.”-बाबूलाल मरांडी, मुखिया मेघी पंचायत.———————————————————————तस्वीर: 06 अपने झोपड़ी वाले घर के सामने खड़े ग्रामीण

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