विद्यालय की बहन पेहल पारीख ने अहिल्याबाई होलकर की जीवनी को विस्तार से बतायी. बतौर मुख्य अतिथि कहा कि अहिल्याबाई एक असामान्य महिला थीं. उनके राज्य में सर्वार्थ शांति नैतिकता धर्म परायणता तथा सुख समृद्धि व्याप्त थी. उनकी शासन व्यवस्था आदर्श माना जाता था. वहीं प्रधानाचार्य अर्जुन प्रसाद आर्य ने कहा कि महाराष्ट्र के माहेश्वर राज्य में जब चारों ओर अराजकता, चोरी, डकैती, आतंक, मारपीट चरम सीमा पर थी, ऐसे कालखंड में 31 मई 1725 को चांडी (अहमदनगर) स्थित माणकोजी शिंदे के घर कुशाग्र बुद्धि और निर्भय स्वभाव की अहिल्याबाई ने जन्म लिया.
अहिल्याबाई होल्कर के कार्य प्रेरणादायक
संपूर्ण जनमानस में अहिल्याबाई का नाम श्रद्धा से लिया जाता है. विद्यालय प्रबंधकारिणी अध्यक्ष मनोहर पांडेय ने कहा कि इनकी लोक कल्याणकारी शासन, भीलों जैसी जनजाति समूह, विधवाओं के हितों की रक्षा, समाज सुधार, कृषि सुधार, जल प्रबंधन, पर्यावरण संरक्षण, जन कल्याण और शिक्षा प्रेरणादायक है. कार्यक्रम का संचालन रीना कुमारी ने किया. प्रांतीय योजनानुसार प्रतिवर्ष मातृ भारती का गठन किया गया जिसमें संयोजिका प्रमिला देवी, सह संयोजिका कविता देवी बनाई गई. कार्यक्रम में विद्यालय परिवार सहित काफी संख्या में लोग थे.
डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है