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आंगनबाड़ी केंद्रों में वाटर फिल्टर की व्यवस्था नहीं

बाल विकास परियोजना के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों को पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा है.

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: चापानल का पानी पीते हैं बच्चे इटखोरी. बाल विकास परियोजना के तहत संचालित आंगनबाड़ी केंद्र में पढ़ने वाले बच्चों को पेयजल भी नसीब नहीं हो रहा है. परियोजना क्षेत्र के सभी चार प्रखंड (इटखोरी, पथलगड्डा, गिद्धौर, मयूरहंड) के 205 आंगनबाड़ी केंद्र के बच्चे चापानल का पानी पीते हैं. किसी भी केंद्र में वाटर फिल्टर (प्यूरीफायर) नहीं लगा हुआ है. कई आंगनबाड़ी केंद्र में तो अपना चापानल नहीं है, गली मोहल्ले अथवा नजदीक के स्कूलों के चापानल से बच्चे पानी पीते हैं. बाल विकास परियोजना कार्यालय से मिली जानकारी के अनुसार, कोनी पंचायत के आंगनबाड़ी केंद्रों में अपना चापानल नहीं है. केंद्रों में प्यूरीफायर नहीं होने के कारण बच्चों को चापानलों का आयरनयुक्त पानी पीना पड़ रहा है. केंद्रों को सुदृढ़ व बच्चे स्वस्थ रहे, इसके लिये समाज कल्याण विभाग द्वारा प्रत्येक वर्ष जिला कार्यालय को राशि उपलब्ध करायी जाती है, लेकिन उक्त राशि से अबतक शुद्ध पीने के पानी की व्यवस्था नहीं हो सकी है. स्कूल व आंगनबाड़ी केंद्र में पेयजल के लिए ग्राम पंचायतों को भी राशि उपलब्ध करायी जाती है, जिसे पेयजल, हैंडवास, सफाई पर खर्च करना है. प्यूरीफायर लगाने की मांग की जायेगी: सीडीपीओ सीओ सह सीडीपीओ सविता सिंह ने कहा कि प्यूरीफायर तो किसी भी केंद्र में नहीं लगा हुआ है, परियोजना स्तर पर इसके लिये कोई राशि उपलब्ध नहीं होती है. मैंने खराब चापानलों की मरम्मत करायी है. सभी बच्चे चापानल का पानी पीते हैं, पानी की दिक्कत नहीं है. वरीय अधिकारियों को पत्र लिख कर प्यूरीफायर लगाने की मांग करूंगी.

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