जमीनी स्तर पर नहीं उतर रहीं योजनाएं प्रतिनिधि, सुपौल सूबे में विकास की बयार बहने की बात कही जा रही है. लेकिन जिले भर में विकास महज सपना ही बना हुआ है. बीते कई दशकों से सरकार के मुखिया सहित विविध मंत्रियों द्वारा समुचित विकास को लेकर तरह तरह का आश्वासन दिया जाता है. साथ ही घोषित किये गये योजनाओं को अविलंब अमल कर उसे पूर्ण कराने का दावा भी किया जाता रहा है. बावजूद इसके विभागीय लापरवाही के कारण अधिकांश योजनाएं जमीनी स्तर पर कार्य पूर्ण होता नहीं दिख रहा है. इस कारण कोसी इलाके स्थित सुपौल जिला आज भी पिछड़ा ही बना हुआ है. मालूम हो कि जिले भर की शिक्षा व्यवस्था हो या स्वास्थ्य या फिर कृषि व अन्य सभी की स्थिति बदतर ही बनी हुई है. जिस कारण अधिकांश योजना अपने आप में एक बड़ी समस्या बन उद्धारक का बाट जोह रहा है. व्यवस्था सुधारक ही हैं अव्यवस्थितजब किसी भी व्यवस्था के सुधारक ही अव्यवस्थित हो तो योजनाओं का लाभ किसे मिले. सवाल उठना तो लाजिमी ही है. सरकार द्वारा आवश्यकता के अनुसार हरेक क्षेत्र में दर्जनों योजनाओं को संचालित किया गया है. साथ ही योजनाओं को धरातल पर शत प्रतिशत उतारे जाने को लेकर संबंधित विभाग के पदाधिकारियों को इसका दायित्व सौंपा गया. लेकिन अधिकांश विभागों की शिथिलता के कारण योजनाओं का लाभ संबंधित लोगों को नहीं मिल पा रहा है. आलम यह है कि विभागीय पदाधिकारी कर्मियों के अभाव से जूझ रहा है. तो कार्यालय में पदस्थापित गिने चुने कर्मी अतिरिक्त कार्य कराये जाने का रोना रो रहे हैं. ऐसे में आम जनों की परेशानी को कोई नहीं है समझने वाला. आखिर कार योजनाओं के लाभ के लिए या तो लाभुक कार्यालय का चक्कर काटते हैं. या फिर बिचौलिये का सहारा लेकर अपने कार्य को संपन्न कराना मुनासिब समझते हैं.संचालित योजनाओं की स्थिति है बदतर जिले भर के संचालित अधिकांश कार्यालय की स्थिति ऐसी है कि विविध मामले से संबंधित सैकड़ों आवेदन धूल फांक रहा है. प्रखंड व अंचल व कृषि सहित अन्य कार्यालयों में प्रति दिन सैकड़ों लाभुक योजनाओं के लाभ पाने को लेकर चक्कर काटने को विवश हो रहे हैं. बावजुद इसके कार्यों का निष्पादन नहीं किया जाता है. पेंशन, राशन – किरासन, पारिवारिक लाभ, कन्या विवाह, डीजल अनुदान, बीज प्रोत्साहन राशि सहित अन्य मामले को लेकर ग्रामीण क्षेत्र से आये दर्जनों लाभुकों ने बताया कि लाभुकों को लाभ मिले. इसे लेकर सरकार द्वारा योजनाओं का संचालन किया जाता है. लेकिन विभागीय कर्मी कर्तव्य निष्ठ होकर कार्य करना नहीं चाहते हैं. बताया कि जो लाभुक नजराना चढ़ाते हैं उनका कार्य तुरंत कर दिया जाता है. लाभुकों ने यह भी बताया कि हरेक योजनाओं के लाभ उपलब्ध कराये जाने में पदाधिकारी, कर्मी व बिचौलियों का मिलीभगत रहता है. जिसका खामियाजा लाभुकों को भुगतना पड़ रहा है. ऑन लाइन प्रक्रिया की है गजब कहानीलाभुकों ने बताया कि बिचौलिया गिरी समाप्त किये जाने को लेकर कुछ योजनाओं में ऑन लाइन भुगतान की प्रक्रिया अपनाया गया है. लेकिन यहां पर भी तू डाल डाल- मै पात – पात वाली कहानी चरितार्थ हो रहा है. बताया कि सरकार द्वारा बिचौलिया प्रथा को समाप्त किये जाने को लेकर ऑन लाइन भुगतान होने का निर्देश दिया गया. लेकिन विभागीय कर्मी व पदाधिकारी की शिथिलता के कारण योजनाओं का लाभ नहीं मिल पा रहा है. दर्जनों किसानों ने बताया कि गेंहू की पैदावार को लेकर सरकार द्वारा प्रखंड स्तर पर बीज मुहैया कराया गया. जहां किसानों से बीज के एवज में राशि भी लिया गया. साथ ही विभाग द्वारा बताया गया कि जमा की गयी राशि को उनके अकाउंट में एक सप्ताह के भीतर भेज दिया जायेगा. लेकिन एक माह से अधिक समय बीत जाने के बावजूद अब तक लाभुकों द्वारा जमा की गयी राशि बंधक बना हुआ है. जिस कारण किसानों को भारी परेशानी का सामना करना पड़ रहा है. यह मामला तो महज एक उदाहरण के रूप में है. कई योजनाओं की कमोबेश स्थिति यही है.कहते हैं पदाधिकारी इस बाबत जिला कृषि पदाधिकारी संत लाल साह ने बताया कि लाभुकों को सरकार द्वारा देय बीज अनुदान के भुगतान को लेकर संबंधित बीएओ को राशि उपलब्ध करा दिया गया है. बताया कि लाभुकों को अनुदान नहीं मिलने की जानकारी उन्हें नहीं है. बताया कि शीघ्र ही उक्त मामले के निबटारे को लेकर बीएओ से जानकारी प्राप्त करेंगे.
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जमीनी स्तर पर नहीं उतर रहीं योजनाएं
जमीनी स्तर पर नहीं उतर रहीं योजनाएं प्रतिनिधि, सुपौल सूबे में विकास की बयार बहने की बात कही जा रही है. लेकिन जिले भर में विकास महज सपना ही बना हुआ है. बीते कई दशकों से सरकार के मुखिया सहित विविध मंत्रियों द्वारा समुचित विकास को लेकर तरह तरह का आश्वासन दिया जाता है. साथ […]
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