सरायगढ़ : लोक स्वास्थ्य अभियंत्रण विभाग की शुद्ध पेयजल आपूर्ति योजना मुख्यालय सहित ग्रामीण क्षेत्रों में सफल नहीं हो पा रही है. लोगों को शुद्ध पेयजल मुहैया कराने के उद्देश्य से पीएचइडी द्वारा आठ वर्ष पूर्व स्थानीय बीएन इंटर महाविद्यालय भपटियाही परिसर में करीब 30 लाख की लागत से जलमीनार का निर्माण कराया गया.
लेकिन उक्त मीनार शोभा की वस्तु बन कर रह गयी है. जलमीनार निर्माण के समय लोगों को उम्मीद जगी थी कि प्रखंड मुख्यालय सहित आस-पास क्षेत्रों में आयरन मुक्त पेयजल नसीब होगा. लेकिन आलम यह है कि इतनी बड़ी राशि खर्च होने के बाद भी यहां के लोग दूषित (लौह युक्त) पानी पीने पर विवश हैं. जबकि स्वच्छता एवं पेयजल सरकार की सर्वोच्च प्राथमिकता में शामिल है. यह जल मीनार प्रखंड की कुव्यवस्था का ज्वलंत उदाहरण बन कर रह गया है.
गौरतलब है कि जल मीनार निर्माण के बाद एक सप्ताह तक लोगों को शुद्ध पानी की आपूर्ति की गयी. लेकिन इसके बाद से पानी की आपूर्ति बंद है. विभाग द्वारा बीच-बीच में दिखावे के लिये कभी कभार जल आपूर्ति की रस्म अदायगी भी की जाती रही है. फिलवक्त लोगों के लिए यह जलमीनार सफेद हाथी के समान साबित हो
रहा है.
जल मीनार के देखभाल करने हेतु पीएचइडी विभाग के कर्मी भी नियुक्त है. इसके नाम पर प्रत्येक माह हजारों की राशि का बंदर बांट गुपचुप तरीके से किया जा रहा है. लेकिन स्थानीय लोगों को एक बूंद भी शुद्ध पेयजल नसीब नहीं हो पा रहा है. जिसका खामियाजा लोगों को भुगतना पड़ता है. यहां तक कि संवेदक द्वारा 2.5 किलोमीटर की परिधि में लोहे का पाइप बिछाना था. लेकिन मात्र 01 किलोमीटर में पाइप बिछा कर छोड़ दिया गया है, जो चालू अवस्था में नहीं है. शुद्ध पेयजल के लिए आस में बैठे हैं लोग.
तीन-चार जगह पानी पीने के लिये स्टेंड पोस्ट के साथ जम मीनार में विभिन्न प्रकार के संयंत्र ट्रांसफॉर्मर व जेनरेटर लगाये गये. वहीं शुद्ध पेयजल के लिये लाया गया आयरन रिमुवल प्लांट मशीन नहीं लगाया गया है. जो आज भी कॉलेज परिसर में बेकार पड़ा हुआ है तथा जंग की भेंट चढ़ रहा है. जबकि लोहे का पाइप प्रखंड मुख्यालय, पीएचसी, कोसी निरीक्षण भवन, भपटियाही बाजार सहित अन्य जगहों पर लगाया जाना था.
जलमीनार की आपूर्ति क्षमता है दस हजार गैलन
इस जल मीनार की क्षमता 10 हजार गैलन आपूर्ति की है. जिसके लिये विद्युत सप्लाई के लिए अलग से ट्रांसफॉर्मर भी लगाया गया है तथा मोटर पंप की सुविधा भी उपलब्ध करायी गयी है. इसके बावजूद भी जल मीनार से शुद्ध पेयजल की आपूर्ति बंद है और इसके रख-रखाव तथा अन्य मदों में राशि निकासी बदस्तूर जारी है. जिसके कारण प्रखंड क्षेत्र की हजारों की आबादी आयरन युक्त दूषित पानी पीने को विवश है. जबकि सरकार फाइलों में जल मीनार चालू है.
समस्या की बाबत बोले जनप्रतिनिधि व ग्रामीण
प्रखंड प्रमुख विजय कुमार यादव, जिला परिषद सदस्य महादेव यादव, शत्रुध्न प्रसाद मेहता, जदयू प्रखंड अध्यक्ष सुरेश प्रसाद सिंह, राजद प्रखंड अध्यक्ष रामनंदन यादव, भाजपा मंडल अध्यक्ष प्रभु कुमार मेहता, सांसद प्रतिनिधि प्रो सूर्यनारायण मेहता, बीएन इंटर कॉलेज के प्राचार्य अवध नारायण सिंह आदि का कहना है कि शुद्ध पेयजल योजना का लाभ आमलोगों को नहीं मिलने से विभागीय उदासीनता की पोल खुल रही है. इसके आय-व्यय के नाम पर प्रत्येक माह हजारों रुपये की बंदर बांट गुपचुप तरीके से किया जा रहा है.
बताया कि अगर किसी निष्पक्ष एजेंसी से इसकी जांच करायी जाय तो एक बड़े घोटाले का मामला उजागर हो सकता है. वहीं पीएचसी प्रभारी डॉ राम निवास प्रसाद का कहना है कि यह कोसी का पिछड़ा इलाका है. लौह युक्त पानी प्रचुर मात्रा में रहने के कारण लोग विभिन्न प्रकार के जल जनित बीमारी के चपेट में आ रहे हैं. जिसके कारण उनमें डायरिया, टाइफाइड, घेंघा, जाउन्डिस सहित अन्य पेट जनित रोगों का शिकार होना पड़ता है.
आयरण रिमूवल प्लांट का प्रस्ताव भेजा जा रहा है. विभागीय आदेश की स्वीकृति मिलने के उपरांत फरवरी माह तक संयंत्र लगा कर शुद्ध पेयजल की आपूर्ति की जायेगी तथा ग्रामीण पाइपजल आपूर्ति योजना के तहत राज्य योजना से इसका विस्तारीकरण करके वार्डों को पूर्ण संतृप्ति करते हुए नया आइआरपी के साथ शुद्ध पेयजल का गृह जल संयोग कर हर घर को जल आपूर्ति की जायेगी.
राजीव कुमार चौधरी, एसडीओ पीएचइडी, सुपौल