सुपौल : जिले की शिक्षा व शिक्षकों की समस्याओं में अपेक्षित सुधार हो, इसे लेकर पंचायत, प्रखंड, नगर नियोजन इकाई से लेकर जिला परिषद नियोजन इकाई तक का गठन किया गया. साथ ही सभी स्थानीय स्तर पर संचालित शिक्षा विभाग को सभी नियोजन इकाई के साथ सामंजस्यता पूर्वक कार्य निष्पादित किये जाने का आदेश जारी किया गया. लेकिन शिक्षा कार्यालय के डीपीओ स्थापना की मनमाने रवैये से नियोजन इकाई क्षुब्ध व आश्चर्यचकित है.
जिला परिषद व नगर परिषद नियोजन इकाई के संदर्भ में मिली जानकारी के अनुसार इस इकाई के तहत नियोजित किये गये माध्यमिक, उच्च माध्यमिक शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन भुगतान की जिम्मेवारी संबंधित इकाई की रही है. यहां तक कि सरकार व विभाग द्वारा जारी आदेश में भी बताया गया है कि उक्त नियोजित शिक्षक व पुस्कालयाध्यक्षों के निमित्त वेतन राशि का आवंटन संबंधित शिक्षा कार्यालय के जिला कार्यक्रम पदाधिकारी स्थापना शाखा को भेजा जायेगा.
जहां संबंधित डीपीओ स्थापना वेतन भुगतान हेतु कोषागार से निकासी के उपरांत संबंधित नियोजन निकाय के खाता में राशि स्थानांतरित करवायेगी. लेकिन सुपौल जिले में इस नियम की धज्जियां उड़ायी जा रही है.
आरटीआइ के जरिये मामले का हुआ खुलासा
आरटीआई कर्ता अनिल कुमार सिंह ने बताया कि जिला परिषद निकाय द्वारा नियोजित किये गये माध्यमिक व उच्च माध्यमिक शिक्षकों व पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन मद की राशि का भुगतान नियोजन इकाई के बजाय शिक्षा विभाग के डीपीओ स्थापना द्वारा किया जा रहा है. जो विभागीय नियम के विरुद्ध है. श्री सिंह ने बताया कि जिला परिषद द्वारा शिक्षकों के वेतन भुगतान कराने हेतु एसबीआई शाखा में खाता संख्या 33360332340 संचालित है. साथ ही पुस्तकालयाध्यक्षों के वेतन भुगतान को लेकर एक अलग खाता संख्या 33360342542 संचालित है. बावजूद इसके डीपीओ स्थापना द्वारा भुगतान किया जाता रहा है. वहीं श्री सिंह को उक्त मामले में नगर परिषद इकाई से गत चार अक्टूबर को दी गयी सूचना में जिक्र किया गया है कि शिक्षा विभाग से नगर परिषद इकाई को वित्तीय वर्ष 2015-16 से 2017-18 तक शिक्षकों के वेतन मद का आवंटन अप्राप्त है.
डीपीओ स्थापना की मनमानी चरम पर
अब सवाल उठना लाजिमी है कि जब संबंधित नियोजन इकाई को वेतन भुगतान की जिम्मेवारी दी गयी है. ऐसी स्थिति में शिक्षा कार्यालय के डीपीओ स्थापना द्वारा विभागीय आदेश का अनुपालन क्यों नहीं किया जा रहा है. वित्तीय मामले में इस तरीके से हावी रहना डीपीओ की कार्यशैली पर जहां सवाल खड़ा कर रहा है. वहीं नियोजन इकाई को अपने शिक्षकों के वेतन भुगतान की जानकारी नहीं होना लोगों के समझ से परे है. जबकि डीपीओ स्थापना द्वारा उक्त कार्य में हस्तक्षेप किया जाना कहीं ना कहीं वित्तीय अनियमितता का मामला भी प्रतीत हो रहा है.
क्या कहते हैं अधिकारी
संबंधित मामले की जांच करायी जायेगी कि शिक्षा विभाग के डीपीओ द्वारा किन कारणों से इस प्रकार की कार्रवाई की जा रही है. मामले की जांचोपरांत संबंधित विभाग को प्रतिवेदन भेज विधि सम्मत कार्रवाई किये जाने की अनुशंसा की जायेगी.
अखिलेश कुमार झा, उप विकास आयुक्त, सुपौल