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बिहार को मिलेगा दूसरा टाइगर रिजर्व, राज्य के इस जिले में अब बसेंगे बाघ, मई से शुरू होगा रेस्क्यू मिशन!

Tiger Reserve: बिहार को जल्द ही दूसरा टाइगर रिजर्व मिलने जा रहा है. केंद्र सरकार कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा देने की तैयारी में है, जो वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से चार गुना बड़ा होगा.

Tiger Reserve: बिहार को जल्द ही दूसरा टाइगर रिजर्व मिलने जा रहा है. केंद्र सरकार जल्द ही कैमूर वन्यजीव अभ्यारण्य को टाइगर रिजर्व का दर्जा देने वाली है. यह अभ्यारण्य वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से चार गुना बड़ा होगा. जिससे यहां बाघों की बड़ी आबादी बसाई जा सकेगी. फिलहाल वीटीआर में 54 बाघ हैं, लेकिन कैमूर में इनकी संख्या और बढ़ने की उम्मीद है. मई से अन्य राज्यों के टाइगर रिजर्व से बाघों को लाकर यहां छोड़ा जाएगा.

इको सेंसिटिव जोन बनेगा कैमूर टाइगर रिजर्व

कैमूर टाइगर रिजर्व को इको सेंसिटिव जोन घोषित करने के लिए 20 मार्च तक केंद्र सरकार को प्रस्ताव भेजा जाएगा. इस जोन में 10 किमी के दायरे में नए उद्योग और कारखाने नहीं खोले जा सकेंगे, जिससे वन्यजीवों का प्राकृतिक आवास सुरक्षित रहेगा. 450 वर्ग किमी का क्षेत्र कोर जोन के रूप में चिह्नित किया गया है, जहां मानव हस्तक्षेप पूरी तरह प्रतिबंधित होगा. वहीं, 1050 वर्ग किमी का बफर जोन होगा, जिसमें शेरगढ़ किला, गांव, मंदिर और अन्य ऐतिहासिक स्थल भी शामिल होंगे.

300 किमी लंबा वन्यजीव कॉरिडोर बनेगा टाइगर संरक्षण की रीढ़

कैमूर अभ्यारण्य उत्तर प्रदेश, मध्य प्रदेश और झारखंड के टाइगर रिजर्व से जुड़ा हुआ है. यहां से होकर उत्तर प्रदेश के सोनभद्र और मिर्जापुर से मध्य प्रदेश के डुबरी टाइगर रिजर्व तक 300 किमी लंबा वन्यजीव कॉरिडोर फैला हुआ है. वहीं, दक्षिण में झारखंड के पलामू टाइगर रिजर्व और गढ़वा जंगल से भी इसका प्राकृतिक संपर्क है. यह कॉरिडोर बाघों और अन्य वन्यजीवों के सुरक्षित आवागमन में अहम भूमिका निभाएगा.

कैमूर में पहली बार 2019 में मिले थे बाघों के निशान

कैमूर में बाघों की मौजूदगी के प्रमाण पहली बार 2019 में तिलौथू क्षेत्र में मिले थे. जब वहां बाघ के पंजों के निशान और मल पाए गए थे. इसकी पुष्टि वाइल्डलाइफ इंस्टीट्यूट ऑफ इंडिया, देहरादून ने की थी. 2020 में पहली बार कैमूर के जंगल में बाघ को कैमरे में कैद किया गया, जिसके बाद यहां वन्यजीव संरक्षण को लेकर गंभीर पहल की गई.

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वीटीआर से भटके बाघों को मिलेगा नया घर

वाल्मीकि टाइगर रिजर्व (वीटीआर) से कई बार बाघ भटककर ग्रामीण इलाकों में पहुंच जाते हैं. जिससे मानव-वन्यजीव संघर्ष की स्थिति उत्पन्न हो जाती है. अब ऐसे बाघों को रेस्क्यू कर कैमूर टाइगर रिजर्व में बसाया जाएगा, जिससे उनकी सुरक्षा भी होगी और वीटीआर में बाघों की बढ़ती संख्या का संतुलन भी बना रहेगा. कैमूर टाइगर रिजर्व की घोषणा से बिहार के वन्यजीव संरक्षण को नई दिशा मिलेगी और यहां पर्यटन को भी बढ़ावा मिलेगा. राज्य का यह दूसरा टाइगर रिजर्व बाघों के लिए एक नया और सुरक्षित आश्रय स्थल साबित हो सकता है.

Abhinandan Pandey
Abhinandan Pandey
भोपाल से शुरू हुई पत्रकारिता की यात्रा ने बंसल न्यूज (MP/CG) और दैनिक जागरण जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में अनुभव लेते हुए अब प्रभात खबर डिजिटल तक का मुकाम तय किया है. वर्तमान में पटना में कार्यरत हूं और बिहार की सामाजिक-राजनीतिक नब्ज को करीब से समझने का प्रयास कर रहा हूं. गौतम बुद्ध, चाणक्य और आर्यभट की धरती से होने का गर्व है. देश-विदेश की घटनाओं, बिहार की राजनीति, और किस्से-कहानियों में विशेष रुचि रखता हूं. डिजिटल मीडिया के नए ट्रेंड्स, टूल्स और नैरेटिव स्टाइल्स के साथ प्रयोग करना पसंद है.

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