सीतामढ़ी : शहर के मेहसौल स्थित मसजिद को लेकर हुआ विवाद थमता नजर नहीं आ रहा है. मसजिद को लेकर दोनों पक्ष ने अपनी-अपनी दावेदारी की है. मसजिद ए अहले हदीश मेहसौल के फैयाज अहमद ने कहा है कि उक्त मसजिद सदियों से अहले हदीश के जिम्मे रहा है. मसजिद के पूरब हाजी जान अली वक्फ स्टेट है. जिसके सदस्यों ने शनिवार को मसजिद में लगे अहले हदीश के बोर्ड को पोत दिया, वहीं हंगामा कर लोगों को खदेड़ मसजिद से भगा दिया.
मौके पर पहुंची प्रशासन की टीम ने मामला शांत किया. प्रशासन ने दोनों पक्ष से कागजात मांगा है. उन्होंने कहा कि मामला देवबंदी व अहले हदीश के बीच का विवाद नहीं है. यह मसजिद अहलेहदीश व हाजी जान वक्फ स्टेट के समर्थकों के बीच का मामला है.
उधर, जामा मसजिद के सचिव मो सगीर ने बताया है कि मेहसौल चौक पर वर्ष 1894 में जमींदार नबाव सरफराज हुसैन खां ने सात डिसमिल जमीन में जामा मसजिद का निर्माण कराया था. यह मसजिद वर्ष 1894 के खतियान के आधार पर आज भी अवस्थित है. वर्ष 1920 में हाजी जान अली ने 2 एकड़ जमीन उक्त मसजिद के नाम वक्फ की. जिसका मोतवल्ली उन्होंने अपने बेटे मो इस्माइल को नियुक्त किया. वक्फनामा में तय किया गया कि उपरोक्त मसजिद का मोतवल्ली मो इस्माइल के परिवार के पीढ़ी-दर पीढ़ी कोई पुत्र ही होगा. मसजिद के देखरेख के लिये एक कमेटी का गठन किया गया है. बताया है कि शनिवार को वहाबी अहले हदीश के कुछ असमाजिक तत्वों ने सीतामढ़ी के अलावा शिवहर, मुजफ्फरपुर, मोतिहारी व दरभंगा से लोगों को बुलवा कर हंगामा कराया गया.
वहीं मसजिद पर कब्जा जमाने की कोशिश की गयी. साथ ही मस्जिद के इमाम, कर्मचारी व नमाजियों को मारपीट कर मस्जिद से निकाल दिया गया. लाठी-डंडा व हथियारों का भय दिखा दहशत फैलाया गया. इसकी सूचना जब स्थानीय लोगों को मिली तो लोगों ने इसका विरोध किया.उन्होंने बताया कि प्रशासन ने दोनों गुट के कागजात देखने के बाद मसजिद का ताला खुलवा दिया, वहीं आदेश दिया कि जो कमेटी पूर्व में काम कर रहीं थी, वहीं कमेटी यानी हनफी जमात काम करेगी.
मसजिद ए अहले हदीश व हाजी जान अली वक्फ स्टेट जामा मसजिद ने जताया मसजिद पर अपना हक